Move to Jagran APP

Jagran Trending | Income Tax History in India: 1857 के सिपाही विद्रोह से है ‍इनकम टैक्‍स का कनेक्‍शन, जानें इन पैसों का क्‍या करती है सरकार

Jagran Trending | Income Tax History of India आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि सिपाही विद्रोह के बाद तत्‍कालीन अंग्रेज सरकार की अर्थव्‍यवस्‍था चरमरा गई थी। इसे देखते हुए सर जेम्‍स विल्‍सन ने 1860 में भारत में इनकम टैक्‍स लगाने की शुरुआत की थी।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 25 Apr 2022 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Apr 2022 07:21 AM (IST)
Jagran Trending | Income Tax History in India: 1857 के सिपाही विद्रोह से है ‍इनकम टैक्‍स का कनेक्‍शन, जानें इन पैसों का क्‍या करती है सरकार
Income Tax History of India: The connection of income tax with the Sepoy Mutiny of 1857

नई दिल्‍ली, मनीश कुमार मिश्र। अगर आप नौकरीपेशा हैं और आपकी टैक्‍सेबल आय 2.50 लाख रुपये से ज्‍यादा है तो आपको Income Tax चुकाना पड़ता है। क्‍या आप जानते हैं कि इनकम टैक्‍स का कनेक्‍शन 1857 में हुए सिपाही विद्रोह की घटना से है? यह जानकर आपको आश्‍चर्य होगा, लेकिन वास्‍तविकता यही है। भारत में उस समय राज करने वाले अंग्रेज सरकार ने सिपाही विद्रोह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए टैक्‍स लेना शुरू किया था। सर जेम्‍स विल्‍सन ने 1860 में इस उद्देश्‍य से पहली बार टैक्‍स लगाने की शुरुआत की थी। नया Income Tax Act यानी आयकर अधिनियम 1918 में पारित किया गया। बाद में, 1922 में एक नया आयकर अधिनियम लाया गया। 1961-62 तक यही अधिनियम लागू रहा। हालांकि, तबतक इसमें कई संशोधन किए जा चुके थे।

loksabha election banner

Income Tax Act 1860 | आयकर अधिनियम 1860

1857 में हुए सिपाही विद्रोह की वजह से भारत की ब्रिटिश सरकार को जबरदस्‍त घाटा हुआ था। इसकी भरपाई के लिए ही अंग्रेज सरकार ने 1860 में आयकर अधिनियम पारित किया। इसे पांच साल तक लागू करने के बाद समाप्‍त कर दिया गया।

आयकर अधिनियम 1860 की खास बातें

  • कृषि से होने वाली आय कर-मुक्‍त रखी गई
  • जीवन बीमा के प्रीमियम को टैक्‍स के दायरे से बाहर रखा गया
  • हिंदू अविभाजित परिवार यानी HUF को टैक्‍स के लिहाज से अलग इकाई माना गया

आयकर अधिनियम 1918 की मुख्‍य बातें | The Income Tax Act of 1918

आयकर अधिनियम 1918 में आयकर प्रणाली में बड़े बदलाव किए गए। पहली बार टैक्‍सेबल इनकम की गणना में प्राप्तियों और कटौतियों को शामिल किया गया।

आयकर अधिनियम 1922 | The Income Tax Act of 1922

भारत की आयकर प्रणाली में इनकम टैक्‍स एक्‍ट 1922 मील का पत्‍थर माना गया। यह अधिनियम भारत में संगठित आयकर संरचना का प्रतिनिधित्‍व करने वाला बना। आयकर अधिनियम 1922 ने भारत की टैक्‍स प्रणाली में जो लचीलापन चाहिए था, उसे पूरा किया। यह अधिनियम देश में अगले 40 वर्षों तक प्रभावी रहा। आयकर अधिनियम 1922 की खास बात यह थी कि तत्‍कालीन अवधि की बजटीय जरूरतों के अनुसार, टैक्‍स की दरों का निर्णय किया गया। साथ ही टैक्‍स की दर में बदजाव के लिए आयकर अधिनियम में संशोधन जरूरी नहीं रह गया।

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

1947 स्‍वतंत्रता के बाद की कर (Tax) प्रणाली

1962 तक आयकर अधिनियम 1922 सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण था। हालांकि, इसके लागू होने के बाद से इसमें कई संशोधन भी किए गए। 1961 में भारत सरकार ने आयकर अधिनियम 1961 लागू किया। इसके प्रभावी होने के बाद देश के इनकम टैक्‍स के इतिहास में महत्‍वपूर्ण बदलाव देखने को मिला। देश में टैक्‍स की गणना के लिए पहली बार रेवेन्‍यू ऑडिट के लिए एक प्रणाली पेश की गई थी। इनकम टैक्‍स ऑफिसर्स की जिम्‍मेदरियां भी इस एक्‍ट के तहत निर्धारित की गईं। वर्तमान में भी आयकर अधिनियम 1961 ही प्रभावी है। इस अधिनियम के बाद इनकम टैक्‍स रूल्‍स 1962 लाया गया था। सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्‍यू को बांट दिया गया और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्‍ट टैक्‍सेज (CBDT) की स्‍थापना भी सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्‍यू एक्‍ट, 1963 के तहत की गई। आइए, जानते हैं

इनकम टैक्‍स एक्‍ट 1961 की खास बातें:

पांच तरीकों से होने वाली आय पर इनकम टैक्‍स लगाया गया जिनमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:

  • वेतन से होने वाली आय
  • कारोबार या पेशे से होने वाली आय
  • कैपिटल गेन्‍स के तौर पर होने वाली आय
  • हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय
  • अन्‍य स्रोतों से होने वाली आय

आखिर टैक्‍स क्‍यों वसूलती है सरकार?

कानूनी तौर पर हर किसी को कर का भुगतान करना है। कर यानी टैक्‍स के पैसे सरकार के खजाने में जाते हैं। जो सरकार सत्‍ता में होती है वह निर्धारित करती है कि टैक्‍स से जुटाई राशि का इस्‍तेमाल कैसे किया जाए और बजट को किस प्रकार व्‍यवस्थित किया जाए। ऐसा नहीं है कि टैक्‍स का पेमेंट करना आपके लिए ऐच्छिक है। अगर आप इनकम टैक्‍स स्‍लैब में आते हैं तो आपको टैक्‍स का भुगतान करना ही होगा।

देश के प्रत्‍येक नागरिक को मूलभूत सुविधाएं उपलब्‍ध कराना

सरकार प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष तौर पर टैक्‍स के तौर पर राशि वसूलती है उसका इस्‍तेमाल देश की जनता के कल्‍याण के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर आप देखें तो टैक्‍स से प्राप्‍त पैसों का खर्च सरकार अस्‍पताल, सड़क, बिजली, शिक्षण संस्‍थान, गरीबों के लिए मुफ्त घर/बिजली/राशन, वाटर सप्‍लाई, कानून व्‍यवस्‍था (पुलिस प्रशासन), अग्निशमन सेवा, न्‍यायिक प्रणाली, आपदा राहत, नये पुल एवं बांधों का निर्मान एवं उनका रखरखाव और लोक कल्‍याण के लिए करती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.