शेयर बाजार में ईपीएफओ का निवेश: देर से उठाया गया कदम
लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार ईपीएफओ शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करने जा रहा है। कुछ ऐसे ही। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि अब तक इक्विटी निवेश काफी कम रहा है। वित्त मंत्रालय के दवाब व दुनियाभर में पेशन फंड्स के अनुभवों को देखते हुए ईपीएफओ अब
लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार ईपीएफओ शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करने जा रहा है। कुछ ऐसे ही। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि अब तक इक्विटी निवेश काफी कम रहा है। वित्त मंत्रालय के दवाब व दुनियाभर में पेशन फंड्स के अनुभवों को देखते हुए ईपीएफओ अब इक्विटी में निवेश करेगा।
ईपीएफओ के शेयर बाजार में निवेश करने के फैसले पर तीन तरह की प्रतिक्रिया हुई हैं। एक वर्ग वह है, जिसका कहना है कि अब सभी बचत खत्म हो जाएंगी क्योंकि ईपीएफओ ने दाव लगाना शुरू कर दिया है। दूसरा वर्ग ऐसा है, जो मानता है कि शेयर बाजार में निवेश से ईपीएफओ में बदलाव आएगा और बचतकर्ताओं को रिटायरमेंट पर जितने धन की जरूरत होती है, उतना रिटर्न उन्हें मिलेगा। तीसरे तरह के ऐसे लोग हैं, जिनका कहना है कि शेयर बाजार में निवेश का ईपीएफओ का विचार अच्छा है लेकिन अब जो कुछ किया जा रहा है वह काफी कम, सुस्त व देर से उठाया हुआ कदम है।
मैं चाहता हूं कि दूसरे वर्ग का विचार सही हो, लेकिन मुझे मालूम है कि यह सिर्फ विचार भर है। शेयर बाजार में निवेश बढ़ रहा है और इस साल पांच प्रतिशत वृद्धि के साथ करीब एक लाख करोड़ रुपये का निवेश शेयर बाजार में होगा। इस साल के शुरू में कुल पूंजी करीब 8.5 लाख करोड़ रुपये थी और पिछले वर्षों के अनुमान के आधार पर कहा जा सकता है कि मार्च 2016 तक यह 9.7 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। उस समय 5000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश मात्र 0.5 प्रतिशत होगा।
बीते वर्षों के रुझान को ध्यान में रखें तो ईपीएफओ अगर अपना निवेश दोगुना भी करता है तो भी कुल पूंजी में उसका हिस्सा आने वाले पांच दस वर्षों तक पांच फीसद से नीचे ही रहेगा। स्पष्ट तौर पर कहें तो जो लाभ ईपीएफओ के सदस्यों को मिलने की संभावना है, उसके बारे में बातें करना भी उपयुक्त नहीं है। इक्विटी में निवेश का सबसे प्रमुख मकसद अधिकाधिक रिटर्न प्राप्त करना होना चाहिए, ताकि सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्ति को महंगाई के मुकाबले उचित रिटर्न प्राप्त हो। अगर इक्विटी का हिस्सा कुल पूंजी का 10 प्रतिशत नहीं होता है तो जिस मकसद से शेयर बाजार में निवेश किया जा रहा है, वह मकसद हल नहीं होगा ।
दुर्भाग्य से जो भी अनुमान अभी व्यक्त किए जा रहे हैं, उनसे कभी भी ये लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकेंगे। मेरे कहने का मतलब है कि ऐसी स्थिति में इक्विटी से प्राप्त रिटर्न गैर इक्विटी वाले हिस्से से प्राप्त रिटर्न के बराबर या कम हो सकते हैं। इसलिए जब तक ईपीएफओ के संरक्षक इक्विटी के बारे में अपनी सोच में क्रांतिकारी बदलाव नहीं लाते, तब तक न तो इक्विटी के समर्थकों की आशा व न ही उससे नफरत करने वालों की चेतावनी सही साबित होगी। कुल मिलाकर इससे शेयर बाजार में धीरे-धीरे निवेश आएगा जो अच्छा है, लेकिन इस कवायद का यह मकसद नहीं था।
धीरेंद्र कुमार