थम सकता है बाजार में गिरावट का दौर
बाजार में करेक्शन की प्रक्रिया अब लगभग समाप्त हो गई है। हमारा मानना है कि बाजार अब ऊपर की तरफ का रास्ता देखेगा। पिछले कुछ सप्ताहों से बाजारों में चल रही उथल-पुथल के अब थमने के आसार हैं। निवेशकों को चाहिए कि इस गिरावट का फायदा वे कुछ अच्छी कंपनियों
बाजार में करेक्शन की प्रक्रिया अब लगभग समाप्त हो गई है। हमारा मानना है कि बाजार अब ऊपर की तरफ का रास्ता देखेगा। पिछले कुछ सप्ताहों से बाजारों में चल रही उथल-पुथल के अब थमने के आसार हैं। निवेशकों को चाहिए कि इस गिरावट का फायदा वे कुछ अच्छी कंपनियों के शेयरों को चुनने में उठाएं। हालांकि इस सप्ताह वायदा सौदों की एक्सपायरी के चलते थोड़ी बहुत उठापटक शेयर बाजार में देखी जा सकती है। इस गिरावट के बाद कुछ शेयर जिनमें केनरा बैंकर, हिंडाल्को व आइडिया भी शामिल हैं, लंबी अवधि के निवेश के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं।
चीनी मुद्रा युआन के अवमूल्यन के बाद रुपये की कीमत में आई गिरावट निर्यातकों को कुछ राहत दे सकती है। लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा नहीं होगा, क्योंकि अन्य मुद्राएं भी रुपये की तुलना में ज्यादा कमजोर हुई हैं। पूरी दुनिया के बाजारों पर अभी सबसे ज्यादा असर अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि के बाद होगा। इसका असर बाजारों का पूरा परिदृश्य ही बदल सकता है।
निकट भविष्य में बाजार के लिए कोई घरेलू घटनाक्रम नहीं है, जिसका असर बाजार पर दिखे। इसलिए फिलहाल बाजार वैश्विक संकेतों पर ही चलेगा। घरेलू स्थितियां आने वाले सप्ताह में ही स्पष्ट हो पाएंगी, जब इस बात का खुलासा होगा कि सरकार जीएसटी बिल पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुला रही है या नहीं। इंडियन ऑयल बाजार में विशेष आकर्षण रहेगा, क्योंकि सोमवार को इसमें विनिवेश हो रहा है। सरकार इसमें दस फीसद इक्विटी का विनिवेश कर रही है।
जहां तक कमोडिटी बाजारों का सवाल है, इसका और कमोडिटी से जुड़े शेयरों का बुरा वक्त संभवत: खत्म हो गया है। चीन में मंदी की आशंका के बाद सरकार वहां के बाजारों की मदद में उतरी है, ताकि और गिरावट न हो। यही वजह है कि चीन की सरकार ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया और बैंकों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराई।
ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने इस्तीफा देकर नए चुनाव में और मजबूत होकर लौटने की मंशा जाहिर कर दी है। आर्थिक संकट से निकालने के लिए यूरोपीय सेंट्रल बैंक को कर्ज की किस्त चुकाने के लिए उन्हें अपनी पार्टी में सहमति बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
संदीप पारवाल
एमडी
एसपीए
कैपिटल्स