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कमोडिटी निवेश का ककहरा

पिछले अंक में हमने यह चर्चा शुरू की थी कि कमोडिटी कारोबार देश के विभिन्न कमोडिटी एक्सचेंजों के जरिये होता है। ये एक्सचेंज वायदा बाजार नियामक फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) के नियमन के अधीन काम करते हैं। कमोडिटी बाजार में कई तरह के लोगों की सहभागिता होती है- ब्रोक

By Edited By: Published: Mon, 09 Sep 2013 02:59 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
कमोडिटी निवेश का ककहरा

पिछले अंक में हमने यह चर्चा शुरू की थी कि कमोडिटी कारोबार देश के विभिन्न कमोडिटी एक्सचेंजों के जरिये होता है। ये एक्सचेंज वायदा बाजार नियामक फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) के नियमन के अधीन काम करते हैं।

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कमोडिटी बाजार में कई तरह के लोगों की सहभागिता होती है- ब्रोकर्स, प्रोड्यूसर हेजर्स, कंज्यूमर हेजर्स और सटोरिया, आदि। ब्रोकर दरअसल निवेशकों और एक्सचेंजों के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी कमोडिटी में ट्रेड करना चाहता है तो उसे यह ब्रोकर के माध्यम से करना होगा। जहां तक हेजर्स का सवाल है, ये कमोडिटी बाजार के ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो किसी कमोडिटी विशेष में निहित जोखिम का फायदा उठाते हैं। जहां प्रोड्यूसर हेजर्स उस वक्त के जोखिम को कम करना चाहते हैं, जब बाजार में उत्पाद आने पर उसके मूल्य में कमी हो जाए, वहीं कंज्यूमर हेजर्स ठीक इससे उल्टा करते हैं। सटोरिये किसी कमोडिटी की कीमतों में आए उतार-चढ़ाव का फायदा उठाते हैं।

कैसे करें शुरुआत

किसी कमोडिटी में वायदा कारोबार करने के लिए यह जरूरी है कि आप किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग खाता खोलें। ऐसा ऑफलाइन और ऑनलाइन- दोनों ही तरीकों से किया जा सकता है। अगर कोई कारोबारी चाहे तो वह किसी कमोडिटी के सौदों का कैश में निपटारा कर सकता है या फिर वह चाहे तो जिंस की डिलीवरी ले सकता है। अगर वह अपने सौदे को कैश में निपटाना चाहता है तो ऑर्डर देते समय उसे इस बारे में सूचित करना होगा। दूसरी ओर यदि उसे डिलीवरी लेना है तो यह भी इंगित करना होगा। यह जानना जरूरी है कि कमोडिटी बाजार का वायदा कारोबारी किसी कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी से पहले कैश और डिलीवरी के विकल्पों में कई बार परिवर्तन कर सकता है।

जुड़ें सिर्फ पंजीकृत ब्रोकर से

कारोबार करने के लिए किसी कारोबारी को किसी ब्रोकर के साथ सामान्य खाता समझौते पर हस्ताक्षर करना होता है। इस खाते के लिए नो योर क्लाइंट प्रक्रिया का पालन करना भी जरूरी होता है। यही नहीं, कारोबारी को एक्सचेंज और ब्रोकर के नियम मानने के लिए लिखित हामी भरनी पड़ती है। इसके लिए जरूरी दस्तावेजों में ब्रोकर के पास आइडी और एड्रेस प्रूफ जमा कराना होता है। इसके अलावा छह महीने के बैंक खाते के स्टेटमेंट की कॉपी, अपनी रंगीन फोटो और एक कैंसल्ड चेक लीफ भी देनी होती है। केवाईसी और अन्य औपचारिकताएं हो जाने के बाद ग्राहक का ट्रेडिंग खाता खुल जाता है।


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