मिले यूलिप का अधिकतम लाभ
यूलिप दो वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा निवेश है। वित्तीय लक्ष्यों की पूर्ति के साथ-साथ इससे आपकी संपदा भी सृजित होती है। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी शर्त यह है कि वित्तीय लक्ष्य मध्यम से लंबी अवधि यानी दस पंद्रह साल या उससे अधिक के होने
यूलिप दो वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा निवेश है। वित्तीय लक्ष्यों की पूर्ति के साथ-साथ इससे आपकी संपदा भी सृजित होती है। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी शर्त यह है कि वित्तीय लक्ष्य मध्यम से लंबी अवधि यानी दस पंद्रह साल या उससे अधिक के होने चाहिए। लघु अवधि के वित्तीय लक्ष्यो की प्राप्ति के लिए यूलिप के इस्तेमाल की सलाह मैं नहीं दूंगा।
सितंबर, 2010 व जनवरी, 2014 में यूलिप स्कीमों में हुए दो नियामक बदलावों के चलते यह अब निवेश के बेहतरीन विकल्प के तौर पर उभर कर आया है। इसकी कुछ खास बातें हैं, जिन्हें जानना प्रत्येक निवेशक के लिए आवश्यक है।
-इनकी न्यूनतम लॉक-इन अवधि पांच साल की है। यह अवधि सुनिश्चित करती है कि आप इसका उपयोग तात्कालिक लिक्विडिटी को पूरा करने के बजाय लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति में करें।
-इन स्कीमों की संरचना अब काफी प्रतिस्पर्धी हो गई है। म्यूचुअल फंडों की तुलना में इनमें फंड मैनेजमेंट चार्ज भी कम है। यह अधिकतम 1.35 फीसद हो सकता है, जबकि औसत लागत संरचना फंड के आधार पर 1.75 से 2.5 फीसद के बीच हो सकती है। इससे छह से सात साल की अवधि में इसका प्रदर्शन बेहतर हो जाता है।
-फंड के कई विकल्प उपलब्ध हैं। योजनावधि के दौरान जरूरत पड़ने पर आपके पोर्टफोलियो की रिबैलेंसिंग करके इसका रिटर्न व बेहतर किया जा सकता है। इसकी रेंज शुद्ध इक्विटी, शुद्ध ऋण, बैलेंस फंड व लिक्विड फंड तक है।
-फंड स्विचिंग के विकल्प यूलिप को म्यूचुअल फंड से बेहतर बनाते हैं। आप एक ही साल में कई-कई फंडों में अपने निवेश को स्विच कर सकते हैं। वह भी बिना किसी अतिरिक्त भुगतान किए।
-यूलिप जीवन बीमा सुरक्षा को बचत के साथ जोड़ता है। यूलिप के कर लाभ को सुनिश्चित करने के लिए आपको ध्यान रखना होगा कि हर समय डेथ बेनिफिट आपके वार्षिक प्रीमियम का कम से कम दस गुना हो।
सतर्कता बेहद आवश्यक
चूंकि इन योजनाओं की ओर से शेयर बाजार में निवेश किया जाता है, इसलिए इनका रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहता है। यह अस्थिरता निवेशक को तभी प्रभावित कर सकती है, जब उसकी जोखिम लेने की क्षमता कम हो। ऐसे निवेशक बाजार की गिरावट से परेशान हो जाते हैं।
इन्हीं चिंताओं के चलते अक्सर निवेशक अपनी काल्पनिक हानि को असली नुकसान में बदल देते हैं। इसलिए बाजार की प्रत्येक चाल के साथ निवेश के फैसले बदलना नुकसानदायक होता है। साल 2009 में दो मार्च को बाजार में आई तेज गिरावट में निवेशकों द्वारा पैदा की गई यही अस्थिरता उनके नुकसान की वजह बनी। इसलिए बाजार के समय को तय करने के बजाय बाजार में समय बिताएं। यह आपके निवेश के लिए बेहतर होगा।
अनुज अग्रवाल
एमडी एवं सीईओ
बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस
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