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संतुलित पोर्टफोलियो बेहतर रिटर्न का आधार

सेविंग प्लान में इक्विटी में निवेश 20 फीसद तक ही किया जाता है। फंड की बाकी राशि फिक्स्ड इनकम में निवेश रहती है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 25 Apr 2016 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 25 Apr 2016 11:41 AM (IST)
संतुलित पोर्टफोलियो बेहतर रिटर्न का आधार

’एचडीएफसी चिल्ड्रंस गिफ्ट फंड के 15 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस फंड की इंवेस्टमेंट फिलॉसफी क्या रही है?

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-इस फंड में बेहद सरल इंवेस्टमेंट फिलॉसफी है कि बढ़िया क्वालिटी की कंपनियों की इक्विटी का पोर्टफोलियो उस वक्त तैयार किया जाए जब वे सस्ते दामों पर उपलब्ध हों। इसके बाद इस पोर्टफोलियो को लंबे समय तक अपने पास रखा जाए। हमारी रणनीति है कि इस पोर्टफोलियो में बड़ी और मझोली कंपनियों का अच्छा मिश्रण रहे। जहां तक फिक्स्ड इनकम में निवेश की बात है, कोशिश की जाती है कि इसमें निवेश को औसतन चार से सात वर्ष की अवधि तक बनाए रखा जाए। जहां तक निवेश रणनीति की बात है, कुल फंड का 70-75 फीसद निवेश इक्विटी में और शेष फिक्स्ड इनकम में रखा जाता है। इसे बाजार की चाल के मुताबिक खरीद बिक्री की प्रक्रिया के जरिये निरंतर संतुलित बनाए रखा जाता है।

’इस फंड की क्या खूबियां और फायदे हैं?

-फंड में तीन वर्ष अथवा बच्चे की आयु 18 वर्ष होने तक जो बाद में हो, लॉक इन का विकल्प रखा गया है। इस फंड में हमने दो तरह के प्लान रखे हैं। इंवेस्टमेंट और सेविंग। इंवेस्टमेंट प्लान में फंड का 40-75 फीसद हिस्सा इक्विटी में निवेश होता है। वैसे सामान्यत: कोशिश 70-75 फीसद निवेश इक्विटी में करने की होती है। बाकी हिस्सा फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में होता है। सेविंग प्लान में इक्विटी में निवेश 20 फीसद तक ही किया

जाता है। फंड की बाकी राशि फिक्स्ड इनकम में निवेश रहती है। इसके चलते इसका पोर्टफोलियो काफी हद तक संतुलित रहता है। लॉक इन अवधि का विकल्प होने से फंड मैनेजर को निवेश का दायरा बढ़ाने में मदद मिलती है।

’एचडीएफसी का यह फंड दूसरे इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से कितना अलग है?

-इसकी सबसे खास बात यह है कि यह बच्चे के भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है। इसमें निवेश कर बच्चों की पढ़ाई से लेकर अन्य खर्चों की पूर्ति की जा सकती है। दूसरी बात यह कि इस फंड का लॉक इन विकल्प हमें निवेश के लिए लंबी अवधि का दायरा रखने का मौका देता है। इससे हम चुनिंदा मझोली कंपनियों में निवेश का लाभ ले पाते हैं।

’शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति पर आपका क्या आकलन है?

-सेंसेक्स इस वक्त अपने पीई का 14-15 गुना पर कारोबार कर रहा है। इसलिए इस बात को समझना होगा कि मध्यावधि में रिटर्न कंपनियों के वित्तीय नतीजों में आने वाली ग्रोथ और वैल्यूएशन के पुनर्मूल्यांकन पर ही निर्भर करेगा। जीडीपी की सामान्य दर पर कंपनियों के नतीजों में लंबी अवधि में 15 से 20 फीसद की रफ्तार देखी जा रही है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कंपनियों की ग्रोथ सामान्य से नीचे ही रही है। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था

रफ्तार पकड़ेगी कुछ वर्ष तक कंपनियों की विकास दर सामान्य से ऊपर रहेगी जिसकी वजह से अच्छे रिटर्न देखने को मिलेंगे।

’आप अपने पोर्टफोलियो को फिलहाल कैसे पोजिशन कर रहे हैं?

-निवेश की हमारी मौजूदा रणनीति में फिलहाल इंवेस्टमेंट प्लान में हमारा 73 फीसद फंड इक्विटी में निवेशित है। हमारे पोर्टफोलियो में बड़ी कंपनियों के अलावा मझोली कंपनियों का अच्छा मिश्रण है। जहां तक फिक्स्ड इनकम का सवाल है, इसमें हमारी अवधि छह वर्ष की है। सेविंग प्लान के तहत इक्विटी में हमने 18 फीसद निवेश किया हुआ है और इसके लिए पांच वर्ष की अवधि तय की गई है। इसके पोर्टफोलियो में भी बड़ी और मझोली कंपनियों का मिश्रण है।

’वित्त वर्ष 2016-17 के लिए क्या किसी खास उद्योग क्षेत्र को चिन्हित करते हैं?

-हमारी निवेश की रणनीति में कंपनियों के आधार पर निवेश किया जाता है, न कि किसी क्षेत्र विशेष के आधार पर। वैल्यूएशन के आधार पर देखें तो वित्तीय और कमोडिटी कंपनियां आकर्षक दिखती हैं। हालांकि दोनों क्षेत्रों के समक्ष अपनी अलग अलग चुनौतियां भी हैं। कमोडिटी में कीमतों में गिरावट चिंता बनी हुई है तो वित्तीय क्षेत्र में खराब असेट या एनपीए को लेकर चिंता है। अगर हम यह मानें की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ेगी तो कैपिटल गुड्स क्षेत्र और बुनियादी ढांचागत क्षेत्र मध्यावधि में अच्छा लग रहा है। जबकि दूसरी तरफ कंज्यूमर कंपनियों के शेयर आज की तारीख में महंगे लग रहे हैं।

चिराग सीतलवाड

सीनियर फंड मैनेजर, इक्विटी

एचडीएफसी असेट मैनेजमेंट कंपनी


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