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आसान बनाएं थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस क्लेम

अगर आपके पास कार या बाइक है तो आपको मालूम ही होगा कि सड़क पर चलने के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना अनिवार्य है। दरअसल यह बीमा अपने लिए नहीं बल्कि अपने वाहन से किसी दूसरे व्यक्ति या उसकी संपत्ति को पहुंचने वाली क्षति की भरपाई करती है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के प्रीमियम की दरें बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) कर

By Edited By: Published: Mon, 27 May 2013 10:54 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
आसान बनाएं थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस क्लेम

अगर आपके पास कार या बाइक है तो आपको मालूम ही होगा कि सड़क पर चलने के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना अनिवार्य है। दरअसल यह बीमा अपने लिए नहीं बल्कि अपने वाहन से किसी दूसरे व्यक्ति या उसकी संपत्ति को पहुंचने वाली क्षति की भरपाई करती है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के प्रीमियम की दरें बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) करता है। पहली अप्रैल 2013 से थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम में बीमा नियामक ने लगभग 20 फीसद का इजाफा किया है। इसलिए अगर आप अपने वाहन का इंश्योरेंस रिन्यू करवाने जा रहे हैं तो पहले से ही जेब ढीली करने के लिए तैयार रहें।

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आपको यह समझना चाहिए कि किसी भी मोटर इंश्योरेंस के दो हिस्से होते हैं- पहला है थर्ड पार्टी कवर और दूसरा ओन डैमेज कवर। ओन डैमेज कवर के तहत किसी दुर्घटना की वजह से आपके वाहन को पहुंचने वाली क्षति कवर की जाती है। ओन डैमेज कवर की दरें बीमा नियामक तय नहीं करता। कंपनियां जोखिम और बाजार की प्रतिस्पर्धा के आधार पर इसे तय करती हैं। खैर मनाइए कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में हुई बढ़ोतरी के बाद कंपनियों ने ओन डैमेज कवर की दरों में बढ़ोतरी नहीं की है, नहीं तो वाहन के रख-रखाव के खर्च में सिर्फ इंश्योरेंस के कारण सालाना 20 फीसद से अधिक का इजाफा झेलना होता।

बीमा नियामक ने साल 2011-12 में थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस में औसत 58 प्रतिशत, साल 2012-13 में 15 प्रतिशत और साल 2013-14 में 20 फीसद की बढ़ोतरी की है। बीमा नियामक के आंकड़ों के अनुसार मोटर इंश्योरेंस उद्योग का क्लेम रेशियो साल 2010-11 में 213 प्रतिशत था लेकिन साल 2011-12 में यह घट कर 145 प्रतिशत पर आ गया। थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम में बढ़ोतरी की बड़ी वजह भी क्लेम रेशियो ही थी।

एक अप्रैल 2013 से प्रभावी थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की दरें

कार

1,000 सीसी तक --- 941 रुपये

1,000 सीसी से अधिक लेकिन 1,500 सीसी से कम --- 1,110 रुपये

1,500 सीसी से अधिक --- 3,424 रुपये

बाइक एवं स्कूटर

75 सीसी तक --- 414 रुपये

75 सीसी से अधिक लेकिन 150 सीसी तक --- 422 रुपये

151 सीसी से 350 सीसी तक --- 420 रुपये

350 सीसी से अधिक --- 804 रुपये

स्त्रोत: आईआरडीए

थर्ड पार्टी बीमा के क्लेम की प्रक्रिया

किसी भी वाहन के लिए अनिवार्य होने की वजह से वाहन मालिक थर्ड पार्टी बीमा तो ले लेते हैं लेकिन ज्यादातर लोगों को इस बीमा के क्लेम प्रक्रिया के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं होती। सबसे पहले तो यह समझना चाहिए कि यह मोटर इंश्योरेंस के ओन डैमेज कवर से बिल्कुल भिन्न है इसलिए इसके क्लेम की प्रक्रिया भी भिन्न है। वाहन चालक मालिक को दुर्घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचित करते हुए प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए। साथ ही बीमा कंपनी को भी सूचित किया जाना चाहिए। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के मामलों का निपटारा मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) में होता है और थर्ड पार्टी की क्षतिपूर्ति की राशि का निर्धारण अदालत द्वारा तय किया जाता है जिसकी भरपाई थर्ड पार्टी इंश्योरेंस देने वाली बीमा कंपनी करती है।

थर्ड पार्टी क्लेम के मामले में कुछ दस्तावेजी प्रकिया पूरी करना भी जरूरी होता है। उदाहरण के तौर पर पॉलिसीधारक द्वारा पूरी तरह भरा गया क्लेम फॉर्म, ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी, पॉलिसी की कॉपी, पुलिस स्टेशन में कराई गई प्राथमिकी की कॉपी, वाहन के आरसी की कॉपी, अगर वाहन कंपनी के नाम से रजिस्टर्ड है तो उसके मूल दस्तावेज के मामले में स्टांप और कॉमर्शियल वाहनों के मामले में उनके परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट शामिल हैं।

कैसे बनाएं क्लेम को सरल

दुर्घटना के बारे में आप बीमा कंपनी को जितनी अधिक जानकारी देंगे आपके क्लेम की प्रक्रिया उतनी ही सरल होती जाएगी। इसलिए क्लेम फॉर्म को भरते समय औपचारिकता पूरी करने के बजाए उसमें विस्तार से दुर्घटना से जुड़ी जानकारी दें। अगर संभव हो तो दुर्घटना स्थल से वाहन हटाए जाने से पहले दुर्घटना स्थल की एक तस्वीर ले लें और इसे क्लेम फॉर्म के साथ संलग्न करें। अगर आपके वाहन से कोई घायल हुआ है और आपने उसे किसी नजदीकी निजी अस्पताल या नर्सिग होम में भर्ती करवाया, जहां इलाज के खर्च का भुगतान आपको करना है तो आप इसकी सूचना तुरंत अपनी बीमा कंपनी को दें। इलाज में होने वाले खर्च की भरपाई बीमा कंपनी करेगी।

दलालों के फेर में न पड़ें

दुर्घटना के बाद आपसे ऐसे लोग भी संपर्क करेंगे जो थर्ड पार्टी क्लेम मुआवजे की राशि आसानी से दिलाने का वादा करेंगे। ऐसे बिचौलियों और दलालों से सावधान रहें। अगर आपके दस्तावेज पूरे हैं तो आप सीधे बीमा कंपनी से संपर्क करें। थर्ड पार्टी क्लेम जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दर्ज करवाएं। अगर मामला अदालत में है तब भी आपको लगातार बीमा कंपनी के संपर्क में रहना चाहिए। इससे आपको क्लेम के चरण की जानकारी मिलती रहेगी। अक्सर ऐसा देखा गया है कि पालिसीधारक की दिलचस्पी कम होने की वजह से क्लेम के पैसे मिलने में देर होती है। अदालत से समय पर अपने पक्ष में पैसे मिल जाएं, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है।


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