जीवन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ जाता है इन 10 कारणों से, जानिए
जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर आपके जीवन से जुड़ी कई बातें प्रभाव डालती हैं। आपकी सेहत, आदतें, व्यवसाय की प्रकृति आदि जीवन बीमा के प्रीमियम राशि को घटा-बढ़ा सकती हैं
नई दिल्ली। जीवन बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर आपके जीवन से जुड़ी कई बातें प्रभाव डालती हैं। मसलन, आपकी सेहत, आदतें, व्यवसाय की प्रकृति आदि जीवन बीमा के प्रीमियम राशि को घटा या बढ़ा सकती हैं। उदाहरण के लिए सिगरेट या शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति का जीवन बीमा प्रीमियम ऐसा न करने वाले पॉलिसीधारक की तुलना में कम होता। ऐसा दोनों पॉलिसी होल्डर्स की उम्र और बीमा की अवधि एक जैसी होने पर भी संभव है।
पॉलिसी खरीदने से पहले हमेशा अन्य कंपनियों की पॉलिसी से तुलना करना जरूरी होता है। साथ ही पॉलिसी का चयन करते वक्त केवल प्रीमियम को ही महत्वता नहीं देनी चाहिए। पॉलिसी कवरेज, इंश्योरेंस कंपनी की साख, कस्टमर सर्विस, क्लेम सेटलमेंट अनुपात पर भी ध्यान देना काफी अहम होता है। दैनिक जागरण की बिजनेस टीम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको वो 10 कारण बताने जा रही है जो आपके जीवन बीमा प्रीमियम को बढ़ा सकते हैं:
1. सिगरेट और शराब का सेवन:
सिगेरट और शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसकी वजह से बीमारी या मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम तय करने से पहले आवेदक से इन आदतों के बारे में हमेशा पूछती हैं। आपको बता दें कि यदि आप सिगरेट शराब नहीं पीते हैं तो इस स्थिति में कम प्रीमियम देना होता है। इसके विपरीत अगर आप धूम्रपान के आदी हैं तो प्रीमियम की राशि बढ़ जाती है।
2. व्यवसाय की प्रकृति:
यदि आपका व्यवसाय ऐसा है जिसमें जान का जोखिम अधिक है जैसे कि सी-डाइविंग, बॉम्ब डिफ्यूसिंग यूनिट, फायर फाइटिंग आदि तो इंश्योरेंस कंपनी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में काफी ज्यादा प्रीमियम चार्ज करती है। कुछ कंपनियां इस तरह के व्यवसायों के लिए इंश्योरेंस कवर देने से इंकार भी कर देती हैं।
3. आवेदक की शारीरिक सेहत:
आवेदक की शारीरिक स्थिति भी इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने में अहम भूमिका निभाती है। अगर आपको हृदय रोग या फिर डायबिटीज जैसी बीमारियां हैं तो किसी स्वस्थ्य व्यक्ति की तुलना में आपकी प्रीमियम राशि अधिक होती है। इस वजह से इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी जारी करने से पहले आपके हेल्थ स्टेटस की मांग करती है। इतना ही नहीं इंश्योरेंस कंपनियां कई बार हेल्थ चेकअप और बेसिक टेस्ट अनिवार्य कर देती हैं अगर आवेदक की उम्र निश्चित सीमा से ज्यादा है।
4. पॉलिसी का टेन्योर और बीमा राशि:
पॉलिसी की अवधि जितनी लंबी होती है प्रीमियम उतना ही कम होता है। इसलिए कम उम्र में बीमा पॉलिसी खरीदने पर इसके लिए दिया जाने वाला प्रीमियम भी कम होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंश्योरेंस कवरेज ज्यादा समय के लिए होती है। साथ ही क्लेम के समय मिलने वाली बीमा की राशि के ऊपर भी प्रीमियम निर्भर करता है। आपको बता दें कि सम एश्योर्ड राशि जितनी अधिक होगी बीमा प्रीमियम उतना ही ज्यादा होगा।
5. अधिक वजन – अधिक प्रीमियम:
यदि आवेदक का वजन, लंबाई और उम्र के अनुपात में ज्यादा है तो बीमा के लिए लगने वाले प्रीमियम की राशि अधिक होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मोटापे की बीमारी से ग्रस्त लोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रैशर आदि की संभावनाएं ज्यादा होती है।
6. प्रीमियम भुगतान का तरीका:
बीमाकृत व्यक्ति इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान सालाना, साल में दो बार, एक बार में पूरी पेमेंट, तिमाही या फिर मासिक आधार पर कर सकते हैं। यदि कुल राशि की गणना की जाए तो सालाना प्रीमियम बाकी अन्य विकल्पों की तुलना में कम होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनी को साल की पूरी राशि पहले ही मिल जाती है। साथ ही सिंगल और सालाना प्रीमियम पर एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट भी बच जाती है।
7. राइडर्स के साथ बीमा पॉलिसी लेने पर प्रीमियम की राशि बढ़ जाती है:
यदि आवेदक अपनी मौजूदा पॉलिसी पर अतिरिक्त बेनिफिट्स चाहता है तो इसके लिए अपनी जरूरत अनुसार राइडर्स का चुनाव करना चाहिए। ज्यादा राइडर्स के साथ ली गई पॉलिसी का प्रीमियम निश्चित तौर पर साधारण पॉलिसी से ज्यादा होता है। ऐसे में पॉलिसी के साथ केवल अपनी जरूरत के हिसाब से ही राइडर का चयन करें।
8. ऑनलाइन या ऑफलाइन पॉलिसी का चयन:
कंपनी की पॉलिसी ऑनलाइन पॉलिसी ऑफलाइन पॉलिसी की तुलना में सस्ती होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन खरीदने पर तमाम एजेंट का कमिशन, डिस्ट्रीब्युशन चैनल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट आदि जैसे खर्चे बच जाते हैं। साथ ही ऑनलाइन पॉलिसी खरीदते समय आप पॉलिसी को अपने हिसाब से कस्टामाइज कर सकते हैं।
9. महिलाओं के लिए कम होता है पॉलिसी का प्रीमियम:
पॉलिसी का प्रीमियम आपके महिला या फिर पुरूष होने की बात पर भी निर्भर करता है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पुरूषों की तुलना में महिलाओं की उम्र ज्यादा होती है। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं के लिए कम प्रीमियम चार्ज करती हैं।
10. जैनेटिक फैक्टर्स:
बीमा कंपनी आवेदक से पॉलिसी करवाते वक्त परिवार में पहले से चली आ रही बीमारियों (जैनेटिक बीमारी) के बारे में भी पूछताछ करती है। ऐसे में अगर आपके परिवार में ऐसी कोई बीमारी चली आ रही है तो कंपनी की पॉलिसी के लिए ज्यादा प्रीमियम राशि चार्ज करती है।