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कर्ज नीति पर टिकी बाजार की निगाहें

रिजर्व बैंक की कर्ज नीति की मध्य तिमाही समीक्षा और थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई के आंकड़े इस सप्ताह बाजार की चाल प्रभावित करेंगे। महंगाई के आंकड़े सोमवार को ही आ रहे हैं और उनमें कमी आने की संभावना है। बुधवार को रिजर्व बैंक की कर्ज नीति में रेपो रेट फिर बढ़ने की अ

By Edited By: Published: Mon, 16 Dec 2013 12:13 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
कर्ज नीति पर टिकी बाजार की निगाहें

रिजर्व बैंक की कर्ज नीति की मध्य तिमाही समीक्षा और थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई के आंकड़े इस सप्ताह बाजार की चाल प्रभावित करेंगे। महंगाई के आंकड़े सोमवार को ही आ रहे हैं और उनमें कमी आने की संभावना है। बुधवार को रिजर्व बैंक की कर्ज नीति में रेपो रेट फिर बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसके अतिरिक्त अगले सप्ताह तक कंपनियों के एडवांस टैक्स के आंकड़े भी सामने आ जाएंगे, जिससे तीसरी तिमाही में उनके प्रदर्शन का अंदाज लगाना आसान होगा।

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डालर के मुकाबले रुपये की कीमत अब कमोबेश स्थिरता की तरफ बढ़ चली है। कच्चे तेल की कीमतें भी घट रही हैं। सोने चांदी के आयात पर लगाम लगने से सरकार का चालू खाते का घाटा भी अब काबू में है। बाजार इसे सकारात्मक ले रहा है और इसका असर बाजार के कारोबार पर भी दिखाई देगा। माना जा रहा है कि निचले स्तर पर बाजार में खरीद की अवधारणा बनी हुई है और आगे भी जारी रहेगी।

वैश्रि्वक समाचार भी बाजार को प्रभावित करते रहेंगे। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मजबूती से दिख रहे हैं। इसका असर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बांड खरीद नीति पर दिखेगा। यह बाजार को प्रभावित कर सकता है। अगले सप्ताह ही एफओएमसी की दो दिन की बैठक भी हो रही है। चूंकि अमेरिका में ब्याज दरें दो फीसद से नीचे चल रही हैं और चौथी तिमाही में जीडीपी की दर में बहुत तेज वृद्धि की गुंजाइश नहीं है लिहाजा दिसंबर में बांड खरीद नीति को लेकर शायद ही कोई फैसला हो पाए। लेकिन फेड बुधवार को अगले दो साल के लिए महंगाई की दर और आर्थिक विकास के अनुमान जारी कर सकता है। संसद के सत्र पर भी बाजार की निगाहें बनी हुई है। कई महत्वपूर्ण विधेयक संसद से पारित होने की कतार में हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले संभवत: यह संसद का आखिरी सत्र है और अब केवल इसके पांच दिन बचे हैं। इन पांच दिनों में कितने विधेयक पारित हो पाएंगे यह देखना महत्वपूर्ण होगा। रिलायंस जिओ और भारती के बीच हुए करार ने टेलीकाम उद्योग एक बार फिर चर्चा में है। माना जा रहा है कि टेलीकाम उद्योग के नियमन में सुधार से माहौल काफी बदला है।

संदीप पारवाल

एमडी, एसपीए कैपिटल्स


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