फ्लॉप शो बने पेंशन उत्पाद!
ऐसा माना जा रहा है कि पीएफआरडीए विधेयक 2011 के कानून बन जाने के बाद एनपीएस के प्रति लोगों का रुझान बढ़ सकता है। ऐसे में जीवन बीमा के क्षेत्र के काम करने वाली उन कंपनियों को अपने उत्पादों की बिक्री में कमी का आशंका खाए जा रही है जो पेंशन उत्पाद बेचती हैं। हालांकि, यदि जीव्
ऐसा माना जा रहा है कि पीएफआरडीए विधेयक 2011 के कानून बन जाने के बाद एनपीएस के प्रति लोगों का रुझान बढ़ सकता है। ऐसे में जीवन बीमा के क्षेत्र के काम करने वाली उन कंपनियों को अपने उत्पादों की बिक्री में कमी का आशंका खाए जा रही है जो पेंशन उत्पाद बेचती हैं।
हालांकि, यदि जीवन बीमा कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले पेंशन उत्पादों की बात करें तो मौजूदा स्थिति यह है कि बाजार में अभी कुछ गिनी-चुनी कंपनियों के ही पेंशन प्लान उपलब्ध हैं। लेकिन उपभोक्ताओं की इन पेंशन उत्पादों को खरीदने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। यही वजह है कि जो पेंशन उत्पाद बीमा कंपनियों के प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो के 20-25 फीसद योगदान करते थे, अब वे महज 6-8 फीसद तक सिमट कर रह गए हैं। आखिर क्या है इसकी वजह? ऑप्टिमा इंश्योरेंस ब्रोकर्स के सीईओ राहुल अग्रवाल की मानें तो इनकी बिक्री में सुस्ती की प्रमुख वजह यह है कि पेंशन उत्पाद के लिए इच्छुक उपभोक्ता दरअसल इन उत्पादों से हासिल होने वाले संभावित रिटर्न के बारे में आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं। पेंशन योजना से निकलने के विकल्प का अभाव, आंशिक निकासी की कोई सुविधा न होना और उसी बीमा कंपनी से एन्युटी की खरीद की अनिवार्यता जैसे कारणों से भी ग्राहक इनसे किनारा करते नजर आ रहे हैं।
लद गए दिन इन योजनाओं के
दरअसल जीवन बीमा कंपनियों के पेंशन उत्पादों की बिक्री में सुस्ती का क्रम सितंबर, 2010 से ही शुरू हो गया था, जब इरडा ने पेंशन उत्पादों पर अपने नए दिशा-निर्देश जारी करते समय इन पर न्यूनतम 4.5 फीसद सालाना गारंटीड रिटर्न देना अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद धीरे-धीरे निजी कंपनियों के यूलिप आधारित पेंशन प्लान बाजार से गायब हो गए। इसके बाद जीवन बीमा परिषद ने जीवन बीमा कंपनियों से लगातार बातचीत के बाद इनका पक्ष इरडा के समक्ष रखा। इसके बाद जनवरी, 2012 में बीमा नियामक इरडा ने पिछले दिशानिर्देशों को संशोधित करते हुए यह कहा कि जीवन बीमा कंपनियों को अपने पेंशन उत्पादों पर एक न्यूनतम रिटर्न की गारंटी देनी होगी। इसे उत्पाद बेचते समय ही बताना होगा। साथ ही इसने यह भी कहा था कि एन्युटी
उत्पाद भी ग्राहक को उसी बीमा कंपनी से खरीदना होगा। इसके बाद धीरे-धीरे कुछ कंपनियों ने पारंपरिक और यूलिप दोनों ही स्वरूपों में पेंशन उत्पाद उपभोक्ताओं के लिए पेश किए।
मौजूदा स्थिति यह है कि विभिन्न जीवन बीमा कंपनियां इस पर विचार कर रही हैं कि आखिर वे अपने पेंशन उत्पादों पर क्या न्यूनतम रिटर्न रखें जो आर्थिक रूप से उनके लिए वहनीय हो। योगेश अग्रवाल कहते हैं कि यदि पीएफआरडीए ने एनपीएस को आक्रामक तरीके से पेश किया तो जल्दी ही बीमा कंपनियों पेंशन उत्पाद बाजार से बाहर हो सकती हैं।