पॉलिसी में किसी को नामित करना जरूरी
-बीमा पॉलिसियों के निस्तारण के लिए किस तरह के कागजात की जरूरत होती है? किसी भी बीमा पॉलिसी की असली परीक्षा तभी होती है, जब ग्राहक उसके निस्तारण के लिए कंपनी के दरवाजे पर दस्तक देता है। एक बीमा कंपनी के तौर पर हमारी हरदम यह कोशिश होती है कि ग्राहकों को अपनी पॉलि
-बीमा पॉलिसियों के निस्तारण के लिए किस तरह के कागजात की जरूरत होती है?
किसी भी बीमा पॉलिसी की असली परीक्षा तभी होती है, जब ग्राहक उसके निस्तारण के लिए कंपनी के दरवाजे पर दस्तक देता है। एक बीमा कंपनी के तौर पर हमारी हरदम यह कोशिश होती है कि ग्राहकों को अपनी पॉलिसी के तहत मुआवजा हासिल करने में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। कई बार ग्राहक बीमा अवधि पूरा होने से पहले ही पॉलिसी लौटा देते हैं और पॉलिसी का निस्तारण करना चाहते हैं। स्वाभाविक मौत पर या दुर्घटना के बाद भी सामान्य तौर पर पॉलिसी के तहत मुआवजा हासिल करने के लिए ग्राहक पॉलिसी का निस्तारण करता है।
अगर मौत की स्थिति में पॉलिसी का निस्तारण करवाया जा रहा है तो इसके लिए बीमित व्यक्ति के मृत्यु प्रमाणपत्र की कॉपी सबसे पहली जरूरत है। अगर सामान्य परिस्थितियों (बीमा अवधि के बाद) में बीमा का मुआवजा लेने की कोशिश की जा रही है तो संबंधित पॉलिसी से जुड़े कागजात की मूल कॉपी को ले जाना भी उतना ही जरूरी है। इसके अलावा जिस व्यक्ति को बीमा की राशि दी जानी है, उसके साथ बीमित व्यक्ति के रिश्ते को प्रमाणित करने वाले कागजात, बैंक खाते का विवरण आदि अन्य कागजात हैं, जिनकी जरूरत होती है।
-निर्धारित अवधि से पहले बीमा मुआवजा लेने के लिए क्या नियम हैं?
अगर बीमा की निर्धारित अवधि से पहले बीमा पॉलिसी के तहत मुआवजा के लिए आवेदन करने की स्थिति है तो यहां कागजातों की संख्या थोड़ी बढ़ जाती है। खास तौर पर अगर बीमा करवाने के 45 दिनों के भीतर ही निस्तारण का प्रस्ताव आता है तो कंपनियों की तरफ से ज्यादा सतर्कता बरती जाती है। ऐसी स्थिति में बीमा कंपनियों की तरफ से अन्य कई तरह के कागजात मांगे जाते हैं। मसलन, पर्सनल फिजिशियन से प्रमाणपत्र, मेडिकल सहायक का प्रमाणपत्र, नियोक्ता का प्रमाणपत्र, वगैरह। कंपनियां यहां हर मामले के लिए अलग-अलग नियम अपनाती हैं। अप्राकृतिक मौत होने पर एफआइआर की कॉपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मौत पर पुलिस की जांच की रिपोर्ट वगैरह भी मांगी जाती है। लेकिन जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि हर मामला अलग होता है और कंपनी मामले के हिसाब से फैसला करती है।
-एक पॉलिसीधारक को क्या करना चाहिए कि उसके पॉलिसी का निस्तारण सही तरीके से हो?
सबसे पहले तो हर व्यक्ति को अपनी बीमा पॉलिसी के बारे में किसी विश्वसनीय परिवारिक सदस्य को जानकारी दे देनी चाहिए, ताकि अगर दुर्घटना होती है तो वह व्यक्ति बीमा कंपनी से तुरंत संपर्क कर सके और सही जानकारी उपलब्ध करा सके। साथ ही बीमा करवाने के साथ ही ग्राहकों को किसी व्यक्ति को उसका हकदार भी नामित कर देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो पॉलिसी के निस्तारण में और भी कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में न सिर्फ पॉलिसी के तहत मुआवजा लेने में देरी होती है, बल्कि कई बार गलत हाथों में इसके जाने का डर होता है।
-आपकी कंपनी ग्राहकों को सही जानकारी देने के लिए क्या करती है?
हमारी जीवन बीमा कंपनी ग्राहकों के साथ लगातार संपर्क में रहती है, ताकि उन्हें पॉलिसी के हर पहलू के बारे में सही व सटीक जानकारी दी जाती रहे। ग्राहकों को पॉलिसी की खासियत के अलावा प्रीमियम भुगतान, फंड प्रदर्शन वगैरह के बारे में भी लगातार जानकारी दी जाती है। हमारी कोशिश होती है कि ग्राहक अपनी बीमा जरूरत के साथ ही पॉलिसी के फायदे के बारे में भी पूरी तरह से समझ जाए।
हम ग्राहकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि वे कॉल सेंटर के जरिये या कंपनी के कार्यालय में जाकर सीधे प्रतिनिधियों से मिलकर अपनी शंका दूर करें।
मयंक बथवाल
डिप्टी सीइओ
बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस
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