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जीवन बीमा पॉलिसियों को लेकर मिथक

जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का सर्वमान्य नियम यह है कि सालाना आय से पांच से दस गुना ज्यादा राशि के बराबर पॉलिसी करवा लेनी चाहिए। लेकिन जीवन बीमा खरीदने के लिए यह सर्वमान्य नियम नहीं होना चाहिए। आम आदमी को जीवन बीमा वित्तीय लक्ष्यों, जोखिमा क्षमता व आय को ध्यान में रखकर

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 07 Oct 2014 12:35 AM (IST)Updated: Tue, 07 Oct 2014 12:38 AM (IST)
जीवन बीमा पॉलिसियों को लेकर मिथक

जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का सर्वमान्य नियम यह है कि सालाना आय से पांच से दस गुना ज्यादा राशि के बराबर पॉलिसी करवा लेनी चाहिए। लेकिन जीवन बीमा खरीदने के लिए यह सर्वमान्य नियम नहीं होना चाहिए। आम आदमी को जीवन बीमा वित्तीय लक्ष्यों, जोखिमा क्षमता व आय को ध्यान में रखकर करवाना चाहिए।

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आइए, आपको बताते हैं कि जीवन बीमा को लेकर कुछ खास मिथक क्या हैं।

मिथक 1. जीवन बीमा खर्चीला होता है

हकीकत: जीवन बीमा का प्रीमियम हमेशा ज्यादा नहीं होता है। यह कई चीजों से तय होता है। मसलन, पॉलिसीधारक की उम्र क्या है। स्वास्थ्य की क्या स्थिति है। किस उम्र में बीमा करवाया जा रहा है यह बहुत हद तक बीमा प्रीमियम की राशि को तय करता है। ज्यादा उम्र में बीमा करवाने पर प्रीमियम ज्यादा देना पड़ता है। ग्राहक की जरूरत व बजट को देखकर भी बीमा प्रीमियम को समायोजित किया जा सकता है। सबसे अहम बात जीवन बीमा पॉलिसियों को खर्चा मत मानिए, यह निवेश है, जो उस समय सबसे ज्यादा उपयोगी होता है जब अचानक घर के मुखिया की मौत हो जाए।

मिथक 2. युवाओं को नहीं चाहिए कोई जीवन बीमा

हकीकत : यह आम मिथक है कि हर व्यक्ति को जीवन बीमा नहीं चाहिए खास तौर पर युवाओं को तो इसकी जरूरत ही नहीं है। असलियत में जीवन बीमा कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसकी जीवन के किसी खास समय में सबसे ज्यादा जरूरत होती हो। यह तो करीबी परिवार को आर्थिक संबल देने का जरिया होता है। यह खास किस्म की वित्तीय सुरक्षा की भावना देता है, जो किसी भी अन्य निवेश विकल्प में उपलब्ध नहीं है। इसे खरीदने का सबसे बेहतर समय तब होता है, जब हम युवा व स्वस्थ होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही पॉलिसी की लागत बढ़ती जाती है। ऐसे में जितनी जल्दी बीमा लेने का फैसला किया जाए, उतना ही बेहतर होता है।

मिथक 3. पॉलिसी खरीदने के साथ ही जिम्मेदारी खत्म

हकीकत : यह भी एक मिथक है जिसे कई लोग मानते है और इस वजह से उन्हें परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। आम तौर पर लोग बीमा करवाते हैं और फिर इस बारे में भूल जाते हैं। यह जरूरी है कि आप अपनी जरूरतों में हो रहे बदलाव के मुताबिक ही जीवन बीमा पॉलिसियों में भी बदलाव करते रहें। आपकी पुरानी जरूरतों के हिसाब से बाजार में हो सकता है कोई नई पॉलिसी आ गई है। कई पॉलिसियों में बदलाव कर उन्हें नई जरूरतों के मुताबिक ढाला जा सकता है। हो सकता है कि इसलिए कुछ ज्यादा राशि देनी पड़े।

मिथक 4. जीवन बीमा पॉलिसी का उपयोग कर्ज चुकाने के लिए होता है

हकीकत: अफसोस की बात यह है कि कई लोग इसका इस्तेमाल भी करते हैं। समझदारी इसमें है कि जब आप अपनी बीमा जरूरत की गणना करें तो अपने ऊपर सभी प्रकार के कर्जो (होम लोन वगैरह) को कवरेज देने की भी व्यवस्था करें। मौजूदा कर्ज के साथ ही भविष्य की जरूरतों को जोड़कर ही आपकी सही बीमा आवश्यकता का पता लगाया जा सकता है। इस रास्ते से आप भविष्य में अपने कर्जे का भुगतान भी बीमा से कर सकते हैं।

मिथक 5. जीवन बीमा का फायदा आश्रितों को मिलता है

हकीकत: इस बात में सच्चाई नहीं है कि पॉलिसीधारक को जीवन बीमा का फायदा नहीं मिलता। सही तरीके से जीवन बीमा करवाया जाए तो बच्चों की शिक्षा, उनकी शादी जैसी जिम्मेदारियों को भी आप पूरा कर सकते हैं। यह अन्य वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम होते हैं।

मयंक बथवाल

डिप्टी सीईओ, बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस

पढ़ें: पॉलिसीधारक समझे जिम्मेदारियां


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