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एक से ज्यादा हेल्थ पॉलिसियां

इलाज पर बढ़ते खर्च, खतरनाक बीमारियों के प्रति बढ़ती जागरूकता व बेहतर वित्तीय समझ के फलस्वरूप भारत में हेल्थ बीमा की खरीद बढ़ रही है। एक समय में एक से ज्यादा बीमा पॉलिसियां रखने का चलन भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। ऐसे ज्यादातर मामलों में एक पॉलिसी सेवायोजक की ओ

By Edited By: Published: Sun, 15 Jun 2014 07:05 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jun 2014 03:12 PM (IST)
एक से ज्यादा हेल्थ पॉलिसियां

इलाज पर बढ़ते खर्च, खतरनाक बीमारियों के प्रति बढ़ती जागरूकता व बेहतर वित्तीय समझ के फलस्वरूप भारत में हेल्थ बीमा की खरीद बढ़ रही है। एक समय में एक से ज्यादा बीमा पॉलिसियां रखने का चलन भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। ऐसे ज्यादातर मामलों में एक पॉलिसी सेवायोजक की ओर से प्रदत्त की गई होती है, जबकि दूसरी लोग खुद खरीदते हैं। अपनी कंपनी के अलावा एक अतिरिक्त मेडिकल इंश्योरेंस प्लान खरीदने का लाभ नौकरी छूटने या बदलने की स्थिति में मिलता है। हेल्थ पॉलिसी जितनी जल्दी खरीद ली जाए, उतना अच्छा। इससे पहले से मौजूद बीमारी के लिए प्रतीक्षा अवधि को पार करने का वक्त मिल जाता है।

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अतिरिक्त हेल्थ पॉलिसी खरीदने का निर्णय लेते समय अपनी चालू हेल्थ पॉलिसियों की जानकारी उजागर करना जरूरी है। इसमें वे सभी पॉलिसियां आती हैं, जिनका प्रीमियम आप दे रहे हैं। यदि अपनी जेब से प्रीमियम नहीं भर रहे हैं, और आपका एम्प्लॉयर प्रीमियम अदा कर रहा है तो इसकी जानकारी देने की जरूरत नहीं है। पहले से मौजूद हेल्थ पॉलिसियों की जानकारी न देना हेल्थ इंश्योरेंस कांट्रैक्ट का सीधा उल्लंघन माना जाएगा। जांच में यदि उजागर हुआ कि आपने जानकारी छुपाई है, तो उसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां रखना जतन का काम है। खासकर दावा (क्लेम) करते वक्त खास सावधानी की जरूरत रहती है। क्योंकि इरडा ने दावा प्रक्रिया (क्लेम प्रोसेस) में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं, जिनसे भ्रम पैदा हो सकता है। पहले कांट्रीब्यूशन क्लॉज का प्रावधान था, जिसके तहत सभी बीमा कंपनियों को अपनी बीमित राशि के बराबर कवर अमाउंट का योगदान करना पड़ता था। ऐसा यह मानकर किया गया था कि बीमा कंपनियों ने आपकी अन्य हेल्थ पॉलिसियों के बारे में जानकारी ले ली है।

परंतु नए नियमों के अनुसार, दावा निपटान प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल हो गई है। यदि दावा राशि बीमा कंपनी द्वारा प्रदत्त बीमा राशि से कम है, तो कांन्ट्रीब्यूशन क्लॉज लागू नहीं होगी। परंतु यदि दावा राशि बीमा राशि से अधिक है, तो बीमा कंपनी कान्ट्रीब्यूशन क्लॉज लागू करेगी। यहां आप अपने दावे के लिए बीमा कंपनी का चयन करने को स्वतंत्र है। दावा निपटान प्रक्रिया को आसानी से समझने के लिए इसे चरणबद्ध ढंग से देखते हैं। पहले एकल दावे के लिहाज से और फिर बहुल दावों के लिहाज से।

एकल दावा (सिंगल क्लेम):

-अस्पताल में भर्ती होने से पहले बीमा कंपनी को सूचित करें।

-भुगतान प्राप्त करने के लिए क्लेम

फॉर्म भरें।

-सभी बिल, रसीदें, डिस्चार्ज के कागजात, नुस्खे, जांच रिपोर्टे, एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआइ फिल्म साथ में अटैच करें।

-क्लेम निपटान स्थिति पर नजर रखें। टीपीए या इंश्योरेंस कंपनी आपसे अतिरिक्त कागजात की मांग कर सकती है। आपको वे प्रदान करने होंगे।

-सामान्यत: आपको 30-40 दिन में क्लेम प्राप्त हो जाना चाहिए।

बहुल दावे (मल्टिपल क्लेम्स):

-अस्पताल में भर्ती होने से पहले सभी बीमा कंपनियों को सूचित करें।

-यह तय करें कि किस कंपनी से पहले क्लेम लेना है।

-उस कंपनी का क्लेम फॉर्म भरें और सभी ओरिजनल बिल, रसीदें व कागजात साथ में लगाएं।

-अगली बीमा कंपनियों से क्लेम करने के लिए अस्पताल से सभी कागजात की अतिरिक्त अटेस्टेड कापियां निकलवा लें।

-पहली बीमा कंपनी आपको एक स्टेटमेंट देगी, जिसमें लिखा होगा कि उनके पास सभी ओरिजनल कागजात हैं और उन्होंने दावा निपटा दिया है।

-पहली बीमा कंपनी से दावा प्राप्त होने के बाद आप दूसरी कंपनी में दावा करें। पहली कंपनी से आपको क्लेम सेटलमेंट समरी भी लेनी चाहिए। जिसमें आपके द्वारा मांगी गई राशि, डिडक्शन व बीमा कंपनी द्वारा अदा की गई राशि आदि का ब्योरा होगा। इसके बाद आप अगली बीमा कंपनी में दावा करें।

-अब अगली कंपनी का क्लेम फार्म भरें व पहली कंपनी की क्लेम सेटलमेंट समरी उसके साथ नत्थी करें।

-आप साथ में कवरिंग लेटर भी लगा सकते हैं, जिसमें लिखा होगा कि आपने इससे पहले फलां कंपनी से क्लेम प्राप्त किया है। कवरिंग लेटर में आप साथ में नत्थी कागजात का ब्योरा भी दे सकते हैं।

-यदि किसी तीसरी बीमा कंपनी से भी क्लेम चाहते हैं तो उसका क्लेम फॉर्म भरकर दूसरी बीमा कंपनी से प्राप्त सेटलमेंट कागजात को नत्थी करें।

बीमा कंपनी की ओर से पॉलिसी की शर्तो व नियमों के अनुसार, सीमाएं व कटौतियां लागू कर दावा राशि का भुगतान किया जाता है। बहुल दावों में दूसरी या तीसरी कंपनी द्वारा यही प्रक्रिया अपनाई जाती है और पहली कंपनी से प्राप्त राशि को घटाने के बाद भुगतान किया जाता है।

यशीश दहिया

सीईओ एंड को-फाउंडर पॉलिसीबाजार डॉट कॉम

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