जीवन बीमा से लंबे समय की सुरक्षा
बीमा ऐसा उत्पाद है जो पॉलिसीधारक को जीवनभर की सुरक्षा प्रदान करता है। किसी भी कामकाजी व्यक्ति के लिए, जिस पर कई आश्रितों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी हो, यह एक जरूरी निवेश है। पॉलिसीधारक की मृत्यु की स्थिति में यह उसके परिजनों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। जीवन बीमा
बीमा ऐसा उत्पाद है जो पॉलिसीधारक को जीवनभर की सुरक्षा प्रदान करता है। किसी भी कामकाजी व्यक्ति के लिए, जिस पर कई आश्रितों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी हो, यह एक जरूरी निवेश है। पॉलिसीधारक की मृत्यु की स्थिति में यह उसके परिजनों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
जीवन बीमा वित्तीय योजना का सबसे प्राथमिक साधन है। यह अकेले दम पर आपको और आपके परिवार को आड़े वक्त पर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
जीवन बीमा का बुनियादी लक्ष्य ऐसे नुकसानों की भरपाई करना है, जिनके लिए हम तैयार नहीं होते। यह अप्रत्याशित हानियों से निपटने में मदद प्रदान करता है। जीवन बीमा उत्पाद अनदेखी घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिहाज से ही तैयार किए जाते हैं। कोई भी अन्य निवेश इस तरह की सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता।
जीवन बीमा के नए उत्पाद
जनवरी 2014 से बीमा क्षेत्र में नए नियम-कायदे लागू हो रहे हैं। लेकिन जीवन बीमा का उद्देश्य वही है। नए दिशानिर्देश भी जीवन बीमा के दीर्घकालिक उद्देश्यों की ही पूर्ति करते हैं। बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के इन दिशानिर्देशों के तहत जीवन बीमा उत्पादों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है : परंपरागत जीवन बीमा योजनाएं, परिवर्तनीय जीवन बीमा योजनाएं (वैरिएबल इंश्योरेंस प्लान या वीआइपी) व यूनिट-संबद्ध बीमा योजनाएं (यूलिप)। इनसे आवश्यकता आधारित बीमा उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा तथा अधिक जीवन बीमा सुरक्षा प्राप्त होगी। इसके अलावा बेहतर सरेंडर वैल्यू प्राप्त होगी तथा डिक्लोजर में सुधार होगा। साथ ही, ग्राहकों को सरल और ग्राहक-अनुकूल बीमा योजनाएं प्राप्त होंगी। नए परंपरागत बीमा उत्पादों में ग्राहकों को मृत्यु की स्थिति में ज्यादा कवर हासिल होगा। नियमित प्रीमियम वाली पॉलिसियों में 45 वर्ष से कम उम्र वाले ग्राहकों को वार्षिक प्रीमियम के दस गुने के बराबर, जबकि इससे अधिक उम्र वालों को सात गुना कवर प्राप्त होगा। परंपरागत योजनाओं में न्यूनतम मृत्यु लाभ बीमित राशि के बराबर होगा। साथ ही कुछ अन्य लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं।
यूलिप के मामले में बीमा कंपनियों को अब पॉलिसीधारक को यील्ड में होने वाली कमी की सूचना हर महीने देनी होगी। नए नियमों के मुताबिक परिवर्तनीय बीमा योजनाओं के मामले में पॉलिसी की शुरुआत में ही न्यूनतम रिटर्न की गारंटी देनी आवश्यक कर दी गई है। इन्हें एक सूचकांक से जोड़ा गया है। यूलिप के तहत एजेंटों को 10 फीसद तक कमीशन मिलेगा। वीआइपी को बीच में खत्म करने के नियम (डिस्कांटीन्यूएशन नार्म) तथा शुल्क ढांचा यूलिप जैसा ही होगा। जहां तक शुल्कों की बात है, नए दिशानिर्देशों के तहत अल्पकालिक पॉलिसियों के कमीशन में कमी कर दी गई है। साथ ही, कमीशन की मात्रा को सभी उत्पादों पर प्रीमियम भुगतान की अवधि से जोड़ दिया गया है। इससे दीर्घ अवधि के उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। यह ग्राहकों और बीमा सलाहकारों दोनों के हित में है।
दीर्घकालिक सुरक्षा व बचत
नए उत्पादों के आने के बावजूद जीवन बीमा व्यापक वित्तीय उपकरण बना रहेगा, और महज सुरक्षा' के बजाय समग्र वित्तीय योजना का एक घटक होगा। यह संपत्ति बनाने, उसे संरक्षित करने, वारिसों को सौंपने की योजना तैयार करने तथा जरूरत पडऩे पर नकदी प्राप्त का आधार तैयार करेगा। इससे लोगों में लंबी अवधि तक नियमित बचत की आदत को बढ़ावा मिलेगा। इससे न केवल संपत्ति संग्रह को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं के लिए धन की सतत वृद्धि भी सुनिश्चित होगी। इससे आप अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों से भटक नहीं पाएंगे।
वैसे तो बीमा प्रारंभ करने की कोई सही उम्र नहीं होती। परंतु जितनी जल्दी शुरुआत हो उतना ही दीर्घकाल में फायदा मिलता है। वैसे भी उम्र के साथ बीमा का प्रीमियम बढ़ता जाता है। कम उम्र में आप शारीरिक रूप से ज्यादा फिट होते हैं और स्वास्थ्य भी बढिय़ा होता है। इससे बीमा की लागत कम रखने में मदद मिलती है और प्रीमियम कम देना पड़ता है। मोटे तौर पर अपनी सालाना आय की बीस गुना राशि के बराबर जीवन बीमा कराना चाहिए। परिवार वाले किसी भी कमाऊ व्यक्ति को जीवन बीमा कराना चाहिए। परिवार को आर्थिक योगदान के मूल्य के हिसाब से गृहणियों को भी जीवन बीमा की जरूरत है। और तो और, भविष्य की आय की संभावनाओं और जोखिम को देखते हुए बच्चों के जीवन बीमा पर भी विचार करना चाहिए। समय से पहले मृत्यु या लंबी आयु -जीवन में दोनों ही स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। और दोनों ही स्थितियों में जीवन बीमा की आवश्यकता है। इसके लिए अनेक उत्पाद उपलब्ध हैं। इनमें सावधि बीमा, चिल्ड्रेन इंश्योरेंस प्लान, एंडोमेंट पॉलिसी, हेल्थ प्लान, पेंशन प्लान, यूलिप शामिल हैं।
जरूरत का आकलन
जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते वक्त अपनी जरूरत का आकलन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए देखना चाहिए कि उम्र के किस पड़ाव पर कौन सी जिम्मेदारी निभानी पड़ सकती है, आश्रितों की संख्या क्या है, वित्तीय लक्ष्य कैसे हैं तथा जीवन शैली क्या है आदि। रिटायरमेंट के बाद आप एक आरामदेह और निश्चित जिंदगी जीना चाहते हैं। इन स्वर्णिम वर्षो को सर्वश्रेष्ठ ढंग से गुजारने के लिए आपको अपनी समस्त संपत्तियों को नियमित आय के अनुरूप एकजुट करना होगा। स्वास्थ्य और इलाज के खर्चो का हिसाब लगाना होगा तथा अपने परिवार के लिए कुछ धनराशि छोडऩे की व्यवस्था भी करनी होगी। इसके लिए आपको एक पेंशन प्लान तथा हेल्थ कवर में निवेश करना चाहिए। हालांकि निवेश आधारित जीवन बीमा पॉलिसी लेने में कोई बुराई नहीं हैं, किंतु आश्रितों को सुरक्षा के लिहाज से सबसे पहले सुरक्षा प्रदान करने वाली पॉलिसी खरीदने में ही समझदारी है। सावधि बीमा तथा लोन कवर बीमा सुरक्षा प्रदान करने वाली पॉलिसियां हैं। इनमें अदा किया गया प्रीमियम मेच्योरिटी पर वापस नहीं मिलता। परंतु पॉलिसी अवधि में पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर परिवार को एकमुश्त राशि मिलती है।
अनूप राउ
सीईओ, रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस