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जीवन बीमा कराते समय रखें खास बातों का ध्यान

जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय अक्सर ग्राहक एजेंट की बातों पर ही भरोसा करते हैं। ऐसा करना सही नहीं है क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि वह पॉलिसी से जुड़ी सारी जानकारी आपको दे। ज्यादातर मामलों में एजेंट पॉलिसी की खूबियों का ही बखान करते हैं जबकि कमियों की जानकारी होना भी जरूरी है ताकि बाद में पछताना न पड़े। क्या आपके

By Edited By: Published: Mon, 24 Mar 2014 03:07 PM (IST)Updated: Mon, 24 Mar 2014 03:07 PM (IST)
जीवन बीमा कराते समय रखें खास बातों का ध्यान

जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय अक्सर ग्राहक एजेंट की बातों पर ही भरोसा करते हैं। ऐसा करना सही नहीं है क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि वह पॉलिसी से जुड़ी सारी जानकारी आपको दे। ज्यादातर मामलों में एजेंट पॉलिसी की खूबियों का ही बखान करते हैं जबकि कमियों की जानकारी होना भी जरूरी है ताकि बाद में पछताना न पड़े।

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क्या आपके पास जीवन बीमा कवर है? आप कहते हैं कि हां है और इसे आपने एक बड़ी बीमा कंपनी के लाइसेंसशुदा एजेंट के जरिये लिया है। दूसरा सवाल, क्या आपका कवर पर्याप्त है और क्या आपको उस प्लान के फायदे मालूम हैं? इस पर आपका जवाब होता कि इस विषय में ज्यादा नहीं मालूम क्योंकि आपने ब्योरे का व्यापक अध्ययन नहीं किया है। हममें से ज्यादातर लोगों के साथ यही समस्या है। हम एजेंटों के कहने पर जीवन बीमा पॉलिसी ले लेते हैं, जबकि हमें ठीक से उस पॉलिसी की खासियतों के बारे में मालूम नहीं होता। दूसरी ओर एजेंट के अपने सेल्स टार्गेट होते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए वे आपको किसी भी तरह पॉलिसी बेचने की कोशिश करते हैं। यदि एजेंट नहीं तो हम अपने परिजनों, रिश्तेदारों या मित्रों के कहने पर पॉलिसी ले लेते हैं। वैसे जीवन बीमा पॉलिसी लेने का निर्णय निश्चित रूप से एक अच्छा निर्णय है। लेकिन उससे पहले आपको कुछ बातों पर अवश्य गौर कर लेना चाहिए। यहां हम उनका जिक्र कर रहे हैं:

यदि आप किसी वित्तीय सलाहकार की सेवाएं लेते हैं तो उसे आप अपनी जरूरतों के बारे में बताएं और उपलब्ध विकल्पों का ब्योरा देने को कहें। आपको उससे स्पष्ट रूप से पॉलिसी और प्लान का ब्योरा पूछना चाहिए और उसके फायदों के बारे में बात करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो आपको विभिन्न प्लान और पॉलिसियों के बारे में ऑनलाइन रिसर्च करनी चाहिए। बाजार में उपलब्ध सभी विकल्पों पर नजर दौड़ानी चाहिए और अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप सबसे उपयुक्त प्लान का चयन करना चाहिए। इसके अलावा आपको बीमा कंपनी की प्रतिष्ठा, उसके इतिहास और प्रदर्शन के बारे में पता करना चाहिए। इसमें भी खास तौर पर यह देखना चाहिए कि दावों (क्लेम्स) के निपटारे का उसका रिकॉर्ड कैसा है। इसके लिए क्लेम्स सेटलमेंट रेशियो/कन्जर्वेशन रेशियो/परसिस्टेंसी देखनी चाहिए। इससे पता चलेगा कि कंपनी के कितने प्रतिशत पुराने ग्राहक दोबारा उसके पास आते हैं।

कैसे चुनें पॉलिसी

यदि आप निवेश-सह-बीमा प्लान का चयन करते हैं तो कृपया लाइफ कवर को समझने का प्रयास करें। इसके अलावा सभी शुल्कों को निकाल कर निवेश पर रिटर्न का आकलन करें। यदि आप शुद्ध रूप से केवल सुरक्षा कवर का चुनाव करते हैं तो इससे केवल बीमा प्राप्त होगा। बचत इसमें शामिल नहीं होगी। आप सावधि बीमा प्लान भी ले सकते हैं। यह सस्ता पड़ता है।

फायदों की लें जानकारी

सक्रिय पॉलिसीधारक बनने के लिए जरूरी है कि आप अपनी पॉलिसी के तहत मिलने वाले समस्त लाभों की जानकारी प्राप्त करें। यदि यह यूनिट लिंक्ड पॉलिसी (यूलिप) है तो आप कई प्रकार के सुनिश्चित फ्री फंडों, प्रीमियम, रीडायरेक्शन एवं एक्टिव मैनेजमेंट का चुनाव कर सकते हैं। अपनी पॉलिसी में अपना सही नॉमिनी (उस व्यक्ति का नाम जिसे आपके न होने पर राशि मिलनी हो) दर्ज कराएं। नॉमिनी में जब चाहे परिवर्तन भी करा सकते हैं। यह आपके ऊपर है और इसमें आपको खुद पहल करनी होगी। यह भी देखें कि आपको कितना प्रीमियम, कितने अंतराल पर कब तक भरना है। किसी बीमा पॉलिसी का लाभ मैच्योरिटी पर मिलने वाले रिटर्न में निहित है। बशर्ते आप प्रीमियम की किस्तें नियमित रूप से आखिर समय तक अदा करते रहें। बीच में प्रीमियम न भरने, पॉलिसी को रद कराने से उतना रिटर्न नहीं मिलता।

हर तरह से हों संतुष्ट

यदि वित्तीय सलाहकार आपका मित्र है तो भी सुनिश्चित करें कि आपने सभी कागजात ठीक से पढ़ और समझ लिए हैं। ऐसा करने के बाद ही आप फार्म भरें और उस पर दस्तखत करें। भरा व दस्तखत किया हुआ फॉर्म प्राप्त होने के बाद ज्यादातर कंपनियां ग्राहक को फोन कर पुष्टि करती हैं कि ग्राहक को ली गई पॉलिसी और उसकी विशेषताओं के बारे में जानकारी है। इस तरह की कॉल आने पर उसे अटेंड करें और पूछी जाने वाली बातों को ध्यान से सुनें और जवाब दें। जहां संदेह हो वहां सवाल करें और स्पष्टीकरण प्राप्त करें।

पॉलिसी प्रपोजल फॉर्म पर अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल, आधार नंबर, पैन नंबर आदि की ठीक से जांच कर लें। इनमें गड़बड़ी बाद में दिक्कत पैदा कर सकती है। पॉलिसी डॉक्यूमेंट आप और बीमा कंपनी के बीच हुए अनुबंध का प्रमाण है। इसमें पॉलिसी की सारी विशेषताएं, लाभ, एक्जिट क्लॉज, क्या करना है, क्या नहीं करना है आदि का ब्योरा होता है। इसे पूरा पढ़ें और सुरक्षित स्थान पर रखें। सुनिश्चित करें कि आपके परिवार को इस बारे में पूरी जानकारी रहे, ताकि जरूरत पड़ने पर पॉलिसी तुरंत मिल जाए।

बीमा कंपनी द्वारा भेजे गए सभी पत्रों, संदेशों, चेतावनियों को पढ़ें। ज्यादातर कंपनियां अब ईमेल, एसएमएस व वेबसाइट के जरिये अपने ग्राहकों के साथ संवाद करने लगी हैं। अपनी बीमा कंपनी की ऑनलाइन वेब सेवाओं में खुद को रजिस्टर कराएं। बीमा कंपनी के सभी संवादों में कस्टमर सर्विस हेल्पलाइन नंबर दिए होते हैं। उन्हें अपने कंप्यूटर या मोबाइल में सुरक्षित रखें। जरूरत पड़ने पर फोन, मेल के जरिए या उनके निकटतम ऑफिस जाकर उनसे संपर्क स्थापित करें और मदद या स्पष्टीकरण मांगें। सावधान रहें। अपनी पॉलिसी का ब्योरा, अपना लॉगइन आइडी एवं पासवर्ड किसी से शेयर न करें। पॉलिसी खरीदने के लिए फोन पर किए जाने वाले झूठे वादों पर भरोसा न करें। बीमा कंपनी का एजेंट या इरडा का प्रतिनिधि बताकर आपको ठगा जा सकता है। केवल कंपनी से सीधे प्राप्त होने वाली जानकारी पर ही भरोसा करें। कंपनी के नाम से संपर्क करने वाले व्यक्ति की विश्वसनीयता की पहले पुष्टि कर लें। यही नहीं, अपनी पॉलिसी पर उपलब्ध टैक्स लाभों और पॉलिसी सरेंडर करने पर लगने वाले टैक्स के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर लें। वरना बाद में आपको टैक्स संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

[मेटिल्डा स्टेनले, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट, कस्टमर रिलेशंस, एचडीएफसी लाइफ]

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