जीवन बीमा लेने वालों को कुछ नहीं मिला बजट से
बजटीय घोषणाओं को बीमा क्षेत्र के लिए कैसा मानते हैं? -अगर मैं जीवन बीमा के लिए बात करूं तो साफ तौर पर इस बजट में बहुत कुछ नहीं है। मुझे इस बात की उम्मीद थी कि जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए मिलने वाली कर छूट का दायरा न सिर्फ बढ़ाया
बजटीय घोषणाओं को बीमा क्षेत्र के लिए कैसा मानते हैं?
-अगर मैं जीवन बीमा के लिए बात करूं तो साफ तौर पर इस बजट में बहुत कुछ नहीं है। मुझे इस बात की उम्मीद थी कि जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए मिलने वाली कर छूट का दायरा न सिर्फ बढ़ाया जाएगा, बल्कि हेल्थ बीमा की तरह जीवन बीमा के लिए भी अलग वर्ग रखा जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। देखिए, जीवन बीमा कवरेज के हिसाब से भारत काफी पीछे है। यह भी साबित हो चुका है कि जब तक कर प्रोत्साहन नहीं मिलता, लोग जीवन बीमा करवाने के लिए आगे नहीं आते। ऐसे में सरकार की तरफ से और प्रोत्साहन मिलना चाहिए था। लंबी अवधि की बचत के सबसे सुरक्षित उपाय की अनदेखी कर दी गई है।
ऐसे में आने वाले वर्ष में बीमा कारोबार कैसा रहेगा?
-हम जानते हैं कि पिछले 3-4 वर्ष बीमा क्षेत्र के लिए चिंताजनक रहे। कई तरह की नीतिगत मसलों पर फैसला नहीं होने से अनिश्चितता का माहौल था। यह माहौल अब खत्म हो चुका है। इरडा की तरफ से उत्पादों का लगातार मंजूरी मिल रही है। कई नीतियों को सरकार व नियामक की तरफ से स्पष्ट किया जा चुका है। बजट भले ही जीवन बीमा कारोबार के लिए अच्छा नहीं रहा हो, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। अब राजनीतिक स्थिरता भी है। ऐसे में जीवन बीमा कारोबार के लिए आने वाला साल व इसके बाद का वक्त भी काफी अच्छा रहेगा। जहां तक मेरी कंपनी का सवाल है तो हमने चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी तक 35 फीसद की ग्रोथ हासिल की है।
ग्राहकों को बेहतर सेवा देने के लिए आपकी कंपनी क्या कर रही है?
एक वर्ष पहले जब मैं सीईओ बना तो मुझे महसूस हुआ कि सबसे बड़ी चुनौती ग्राहकों के भरोसे को वापस लाना है। ऐसे में हमने 8 गुणा 8 की नीति लागू की। इसका मकसद क्लेम की प्रक्रिया पूरी तरह से आसान बना कर ग्राहकों को बेहतरीन सेवा का अवसर देना था। इसके तहत अगर हमारी कंपनी आठ दिनों के भीतर क्लेम का निपटारा नहीं कर पाती है तो हमने आठ फीसद का ब्याज दंड के तौर पर देने का प्रावधान किया था। इसका सकारात्मक असर पड़ा है। ग्राहकों को सबसे ज्यादा परेशानी क्लेम लेने में होती है और हमने यह सुनिश्चित किया कि कम से कम यहां उन्हें कोई परेशानी नहीं हो। चूंकि हम एक नई कंपनी है, लेकिन हमारी आगे की रणनीति भी पूरी तरह से ग्राहकों पर केंद्रित रहेगी। हमारी अगली रणनीति के चार केंद्र होंगे। सूचना प्रौद्योगिकी पर हम ज्यादा ध्यान देने जा रहे हैं। साथ ही, ब्रांडिंग पर भी हमारा फोकस होगा। हम अपने कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर काफी ध्यान देने जा रहे हैं। चौथा व अंतिम क्षेत्र उत्पादों का होगा। हमारी कंपनी कई नई पॉलिसियां लाने की तैयारी में है। हमारी पहली ऑनलाइन पॉलिसी जल्द ही लांच की जाएगी।
आप जीवन बीमा करवाने वाले ग्र्राहकों को क्या सलाह देंगे?
सबसे पहला सुझाव तो यह है कि जीवन बीमा करवाने में कभी देरी नहीं होनी चाहिए। बेहतर होगा कि इसका आकलन कर ले कि आपको भविष्य में कितनी जरूरत है और आपके दायित्व कितने हैं। अगर आपकी जरूरत दस वर्ष से ज्यादा की है, तभी उसे बीमा के जरिये पूरा करने की कोशिश करें। तीन साल या पांच साल की वित्तीय जरूरतों को बीमा से पूरा नहीं किया जा सकता। साथ ही, इसका भी आकलन करें कि आप जोखिम कितना उठा सकते हैं। इसके बाद नंबर आता है कि आप पॉलिसी पर कितना खर्च कर सकते हैं। इन तीनों तथ्यों के आधार पर बीमा करवाने का फैसला करेंगे तो कभी मुसीबत में नहीं फसेंगे।
विग्नेश शहाणे
सीईओ, आइडीबीआइ
फेडरल लाइफ इंश्योरेंस
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