Move to Jagran APP

पॉलिसी बोनस के बारे में जानें

बीमा उद्योग में बोनस केवल जीवन बीमा उत्पादों के साथ जुड़ा है? साल दर साल के संचय के बाद इस बोनस को जीवन बीमा उत्पाद की अवधि समाप्त होने या असमय मौत होने पर नामित व्यक्ति को दिया जाता है। जीवन बीमा उत्पादों पर दिए जाने वाले प्रीमियम से होने वाली आय दरअसल बोनस है। इसलिए य्

By Edited By: Published: Sun, 26 Jan 2014 09:15 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2014 09:15 PM (IST)
पॉलिसी बोनस के बारे में जानें

बीमा उद्योग में बोनस केवल जीवन बीमा उत्पादों के साथ जुड़ा है?

loksabha election banner

साल दर साल के संचय के बाद इस बोनस को जीवन बीमा उत्पाद की अवधि समाप्त होने या असमय मौत होने पर नामित व्यक्ति को दिया जाता है। जीवन बीमा उत्पादों पर दिए जाने वाले प्रीमियम से होने वाली आय दरअसल बोनस है। इसलिए यह संपत्ति सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। मुख्यत: बोनस पारंपरिक प्लान के साथ दिया जाता था, लेकिन अब कई ऐसे नए बीमा उत्पाद आ गए हैं, जिनमें बोनस का प्रावधान रहता है।

ज्यादातर बीमा कंपनियां बोनस का इस्तेमाल बीमा ग्राहकों को लुभाने के लिए करती हैं। इसलिए पॉलिसी लेते वक्त बोनस राशि का तुलनात्मक अध्ययन अवश्य किया जाए। ऐसा करने के लिए पहले यह जरूरी है कि बीमा कंपनियां कितनी तरह से बोनस का भुगतान करती हैं।

साधारण बोनस :

यह प्रारंभिक तरह का बोनस है, जो प्रत्येक पारंपरिक प्लान के साथ दिया जाता है। इसकी गणना बीमित राशि के आधार पर होती है। इसकी घोषणा सालाना होती है। यह अवधि समाप्त होने के बाद मिलता है।

संचित प्रतिवर्ती बोनस :

इसकी गणना बीमित राशि के एक निश्चित प्रतिशत के आधार पर होती है। लेकिन गणना के वक्त पिछले साल मिले बोनस की राशि को भी बीमित राशि के साथ जोड़ लिया जाता है।

टर्मिनल बोनस :

यह आवश्यक नहीं है कि सभी बीमा कंपनियां टर्मिनल बोनस का भुगतान करें। यह कंपनी के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है। इसका भुगतान बीमा अवधि समाप्त होने या असमय मृत्यु पर किया जाता है। निश्चित समय तक पॉलिसी में बने रहने पर इसे पॉलिसीधारक को बीच में भी दिया जा सकता है।

अंतरिम बोनस :

अंतरिम बोनस आमतौर पर साल के बीच में बीमा कंपनियां घोषित करती हैं। इसका भुगतान बोनस घोषित करने की दो तारीखों के बीच पॉलिसी समाप्त होने या मृत्यु होने पर किया जाता है।

नकद बोनस :

बोनस का यही एक प्रकार है, जो सालाना आधार पर पॉलिसीधारक को दिया जाता है। इसका भुगतान आमतौर पर साल के अंत में नकद किया जाता है।

-यश दहिया

सीईओ व सह संस्थापक पॉलिसीबाजार डॉट काम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.