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लैप्स हो जाए आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी तो इस तरह करें रिवाइव

अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान के अगर चूक जाते हैं तो जानिए कैसे पॉलिसी को रिवाइव कर सकते हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 01 Nov 2017 06:23 PM (IST)Updated: Tue, 21 Nov 2017 04:36 PM (IST)
लैप्स हो जाए आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी तो इस तरह करें रिवाइव
लैप्स हो जाए आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी तो इस तरह करें रिवाइव

नई दिल्ली (जेएनएन)। अपने परिवार को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए इंश्योरेंस प्लान बेहतर विकल्प होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह आपके न रहने पर परिजनों को एक सम एश्योर्ड दिलवाने का एक किफायती और सुरक्षित माध्यम है। इन प्लान्स के एनुअल प्रीमियम रेट्स काफी कम होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप समय पर प्रीमियम का भुगतान करने से चूक जाते हैं तो पॉलिसी का क्या हो सकता है? क्या इससे आपकी पॉलिसी बंद कर दी जाएगी? हम अपनी इस खबर में आपके इन्हीं सवालों के ही जवाब देने जा रहे हैं।

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कब लैप्स होती है इंश्योरेंस पॉलिसी?
किसी भी तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी को खरीदने के बाद हर साल एक निश्चित अवधि तक इसके लिए प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। अगर किसी कारणवश आप समय पर इसका भुगतान नहीं कर पाते हैं तो पॉलिसी टर्मिनेट कर दी जाती है। इसे शुरु करवाने का कोई और विकल्प नहीं होता। ऐसे में नई पॉलिसी खरीदने का ऑप्शन रह जाता है। यह पुरानी पॉलिसी से महंगी पड़ती है क्योंकि इसमें आवेदक की उम्र ज्यादा हो जाती है।

क्या कहना है एक्सपर्ट-

फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी का मानना है कि इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स होने की स्थिति में एक निश्चित ब्याज के साथ प्रीमियम भुगतान कर पॉलिसी को रिवाइव कराया जा सकता है। वहीं, अगर आप भुगतान नहीं करते हैं और यह एक ट्रैडिशनल पॉलिसी है तो लैप्स पीरियड के खत्म होने पर यह पेड अप पॉलिसी बन जाती है। पेड अप पॉलिसी में सम एश्योर्ड घट जाता है। यह आपकी ओर से भुगतान किये गये प्रीमियम पर निर्भर करता है। साथ ही सम एश्योर्ड पॉलिसी के मैच्यौर होने पर ही मिलता है।

जानिए पॉलिसी लैप्स होने की स्थिति में क्या करें-

इस तरह करें लैप्स पॉलिसी को रिवाइव:
जब आप इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करने से चूक जाते हैं तो पॉलिसी को ग्रेस पीरियड स्टेट में ट्रांस्फर कर दिया जाता है। इसके तहत इंश्योरेंस कंपनी की जिम्मेदारी बनती है कि पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद वह बेनिफिशयरी को सम एश्योर्ड का भुगतान करे। आमतौर पर इंश्योरर छमाही और एक साल की अवधि के प्रीमियम के लिए 30 दिन और मासिक भुगतान के लिए 15 दिनों का ग्रेस पीरियड देता है। हालांकि, यह हर कंपनी के लिए यह अवधि अलग-अलग हो सकती है। इस ग्रेस पीरियड के दौरान पॉलिसीधारक प्रीमियम का भुगतान कर अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी को फिर से एक्टिव कर सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि पॉलिसी ग्रेस पीरियड के समाप्त होने के बाद लैप्स मानी जाती है।

पॉलिसी लैप्स होने पर क्या होता है:
अगर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से दिया गया ग्रेस पीरियड खत्म हो जाता है और इसे एक्टिव करने के लिए किसी प्रीमियम का भुगतना नहीं किया जाता तो पॉलिसी लैप्स हो जाएगी। ऐसे में बेनिफिशयरी को पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद सम एश्योरेड नहीं मिलेगा।

उदाहरण से समझें-
अगर किसी व्यक्ति की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है और वह टर्म प्लान के प्रीमियम भुगतान से चूक जाता है। ऐसे में अगर दुर्घटना ग्रेस पीरियड के दौरान हुई है तो परिवार के सदस्य क्लेम फाइल कर सकते हैं और इंश्योरेंस कंपनी को सम एश्योर्ड का भुगतना करना ही पड़ेगा। वहीं, अगर दुर्घटना पॉलिसी के लैप्स हो जाने के बाद हुई है तो इंश्योरेंस कंपनी परिवार को किसी भी तरह के सम एश्योर्ड का भुगतान नहीं करेगी।

हालांकि, लैप्स पॉलिसी बिल्कुल बेकार नहीं होती। इसे एक्टिव भी कराया जा सकता है। इसके लिए पॉलिसीधारक को रीइंस्टेटमेंट प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अधिकांश कंपनियां लैप्स पॉलिसी को रिवाइव करने का विकल्प देती हैं। यह प्रकिया थोड़ी महंगी साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मेडिकल चेकअप या पेनल्टी देनी पड़ सकती है।

लैप्स हो चुकी पॉलिसी को रिवाइव करने की प्रकिया को रीइंस्टेटमेंट कहा जाता है। इसका लाभ तभी उठाया जा सकता है जब ग्रेस पीरियड खत्म हो जाता है। लैप्स पॉलिसी की रीइंस्टेटमेंट प्रक्रिया हर कंपनी की अलग होती है। साथ ही यह बीते हुए समय पर, प्रोडक्ट टाइप और इंश्योरेंस कॉस्ट पर निर्भर करता है।


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