Mediclaim Policy लेने जा रहे हैं तो पहले कर लें ये 5 काम, फिर बुढ़ापे तक आराम ही आराम
Mediclaim Policy लेने से पहले कुछ अहम बातों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। ऐसा न होने पर फायदे की जगह आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसलिए आप भी कुछ चीजों की पड़ताल जरूर कर लें।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आमतौर पर मेडिकल बीमा (Mediclaim Policy) लेते समय हम उससे जुड़ी सभी चीजों की पड़ताल करना जरूरी नहीं समझते और बिना खोजबीन किए आंख मूंदकर बीमा खरीद लेते हैं। अधिक से अधिक हमारा ध्यान केवल सस्ते प्रीमियम और कैशलेस कवर जैसी चीजों पर ही रहता है। क्या अपने कभी सोचा है कि आपका आधार प्रीमियम समय के साथ क्यों बढ़ता रहता है? क्या आप जानते हैं कि आपके मेडिकल बीमा में कौन-कौन सी बीमारियां कवर हो रही हैं? क्या आपको पता है कि आपके मेडिकल बीमा में बीमारियों का वेटिंग पीरियड कितना है? अगर इनमें से किसी भी सवाल का जवाब 'ना' में हैं तो इसका मतलब है कि आप मेडिकल बीमा को बहुत गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि मेडकल बीमा खरीदते समय ये पांच बातें जरूर जान लें।
मेडिकल बीमा पॉलिसी में क्या-क्या शामिल है?
स्वास्थ्य बीमा किसी व्यक्ति या उसके परिवार की वित्तीय सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। भारत में चिकित्सा साल दर साल 15 फीसद की दर से महंगी होती जा रही है, ऐसे में पूरे परिवार के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना का विकल्प चुनना अनिवार्य हो गया है, ताकि अस्पताल में भर्ती होने पर होने वाले खर्चों से बचा जा सके। एक कंप्रिहेंसिव स्वास्थ्य बीमा योजना एक तरह की क्षतिपूर्ति योजना है जो अस्पताल में भर्ती होने के दौरान किए गए सभी खर्चों का भुगतान करती है। इसमें आमतौर पर बीमारी, चोट या दुर्घटना से संबंधित खर्चों को कवर किया जाता है। कंप्रिहेंसिव मेडिकल पॉलिसी में एम्बुलेंस की लागत, कमरे का किराया, दवाएं, जांच, सर्जरी/प्रत्यारोपण जैसी सभी चीजों को को इन-पेशेंट अस्पताल एडमिशन के तहत कवर किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इसमें अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद की सभी छोटी-बड़ी चीजें कवर होती हैं। कई पॉलिसी ऑर्गन डोनेशन जैसी चीजों को भी कवर करती हैं। कंप्रिहेंसिव मेडिकल पॉलिसी के अन्य लाभ भी हैं, जैसे कि मुफ्त वार्षिक चिकित्सा जांच, सम अश्योर्ड को रिस्टोर कर पाना, मैटरनिटी और अन्य कवर। आप व्यक्तिगत दुर्घटना और गंभीर बीमारी कवरेज जैसे ऐड-ऑन खरीदकर आधार कवरेज को और बढ़ा सकते हैं।
प्रीमियम को कितना समझते हैं आप
आपका प्रीमियम समय के साथ बढ़ता जाएगा और यह आयु वर्ग, क्लेम और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। इसलिए आप कोई भी स्वास्थ्य बीमा योजना चुनते हैं, उसका प्रीमियम आपकी उम्र, स्वास्थ्य की स्थिति आदि के आधार पर लगभग हर साल या अधिकतम हर 5 साल में बढ़ जाएगा। ऐसे में हर किसी के मन में यह स्वाभाविक प्रश्न होगा कि मेडिकल इंश्योरेंस लेना क्या इतना जरूरी है? इसका उत्तर हैं- हां। COVID-19 की दूसरी लहर में लोग जिस तरह बीमार पड़े और उनको अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत हुई, उसको देखते हुए सभी के लिए मेडिकल पॉलिसी बहुत जरूरी है। लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने के साथ, मधुमेह, मोटापा, पाचन संबंधी रोग और उच्च रक्तचाप के मामले बढ़ते जा रहे हैं। युवा इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं, ऐसे में एक कंप्रिहेंसिव मेडिकल पॉलिसी लेना बहुत जरूरी है।
आप जितनी जल्दी स्वास्थ्य बीमा योजना चुनते हैं, उतनी ही कम संभावना होगी कि आपको पहले से कोई बीमारी हो। चूंकि युवाओं को आमतौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता कम होती है, इसलिए किसी बीमारी की प्रतीक्षा अवधि भी पहले ही समाप्त हो जाएगी।
क्या पॉलिसी लेते समय बीमारियों के बारे में बताना जरूरी है
इसका जवाब है- हां। आपको थायराइड, बीपी या शुगर भी क्यों न हो, आप मेडिक्लेम पालिसी ले सकते हैं। स्वास्थ्य बीमा कवरेज हर किसी के लिए उपलब्ध है। आप अपने बीमा प्रदाता को अपनी बीमारी के बारे में सूचित करते रहें। कोई बीमारी छिपाने पर अथवा गलत जानकारी देने पर आपके दावे को खारिज किया जा सकता है। इसलिए यदि आपको उच्च रक्तचाप या मधुमेह भी है तो अपने लिए निर्धारित दवाओं की सूची के साथ इसका उल्लेख करना न भूलें। पॉलिसी देने वाली कंपनी आपके जोखिम का आकलन करेगी और उसके अनुसार प्रीमियम निश्चित करेगी।
मेडिकल पॉलिसी में क्या शामिल नहीं है
कुछ शर्तें स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों द्वारा कवर नहीं की जाती हैं। इन मामलों में बीमा प्रदाता किसी भी दावे को स्वीकार नहीं करेगा। हालांकि, आप एड ऑन पॅकेज में ये इनमें से कुछ चीजें शामिल कर सकते हैं।
- पहले से मौजूद कोई बीमारी, जिसकी जानकारी आपने पॉलिसी लेते समय नहीं दी है
- जीवन शैली से संबंधित बीमारियां
- मातृत्व संबंधी जटिलताएं, जिनमें उपचार और प्रसव आदि शामिल हैं
- आत्महत्या का प्रयास
- जन्मजात रोग
- युद्ध में घायल होने पर
- दंत चिकित्सा और आंखों की बीमारियां
- प्राकृतिक चिकित्सा, चुंबकीय या एक्यूप्रेशर आदि
कॉर्पोरेट पॉलिसी बनाम पर्सनल कवर
भले ही आप किसी बड़ी कंपनी के लिए काम करते हों, पर्सनल मेडिकल पॉलिसी आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है। कॉर्पोरेट पॉलिसी सीमित कवरेज के साथ आती हैं। इसमें मिलने वाला कवरेज समय के साथ कम भी हो सकता है। रिजाइन करने या रिटायर होने के बाद आपकी पॉलिसी का नवीनीकरण भी नहीं होता है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद आपको सीमित कवरेज का विकल्प चुनना होगा। व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा योजनाएं सही सुरक्षा और बेहतर कवरेज चुनने की सुविधा देती हैं।