Move to Jagran APP

यात्रा बीमा कराते समय रखें ध्यान

यह धारणा गलत है कि ट्रैवल इंश्योरेंस की जरूरत केवल विदेश यात्रा के वक्त होती है। अपने देश के भीतर भी यात्रा बीमा उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना विदेश यात्रा के लिए। विदेश में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि विदेशी धरती पर चिकित्सा खर्च बहुत ज्यादा हो सकता है। गि

By Edited By: Published: Sun, 20 Apr 2014 06:41 PM (IST)Updated: Mon, 21 Apr 2014 09:40 AM (IST)
यात्रा बीमा कराते समय रखें ध्यान

यह धारणा गलत है कि ट्रैवल इंश्योरेंस की जरूरत केवल विदेश यात्रा के वक्त होती है। अपने देश के भीतर भी यात्रा बीमा उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना विदेश यात्रा के लिए। विदेश में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि विदेशी धरती पर चिकित्सा खर्च बहुत ज्यादा हो सकता है।

prime article banner

गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है। ज्यादातर लोगों ने पसंदीदा जगहों पर घूमने की योजनाएं बना ली हैं। लेकिन यात्रा की योजना बनाना ही काफी नहीं है। इसका बीमा कराने के बारे में भी सोचना चाहिए। सुखद यात्रा अनुभव के लिए यह बेहद आवश्यक है।

यात्रा बीमा कई तरह की आपात स्थितियों में सुरक्षा प्रदान करता है। मसलन, अचानक यात्रा रद होना, बीच में रुकावट, चेक्ड-इन सामान, पासपोर्ट आदि गुम या चोरी हो जाना, व्यक्तिगत दायित्व, दंगों जैसे कारणों से निर्धारित अवधि से ज्यादा रुकने की जरूरत, अचानक इलाज या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता वगैरह। यात्रा खर्च के मात्र एक फीसद से इन सबके विरुद्ध बीमा सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है।

बढ़ती जागरूकता और तकनीकी प्रगति के फलस्वरूप ज्यादातर बीमा कंपनियां बीमा कराने की ऑनलाइन सुविधा प्रदान करने लगी हैं। इस तरह बीमा कराना आसान है और मिनटों में हो जाता है। इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन तरीके से विभिन्न विकल्पों का तुलनात्मक अध्ययन कर अपने लिए उपयुक्त बीमा प्लान का चयन किया जा सकता है।

आपके लिए सबसे उपयुक्त प्लान कौन सा है। न्यूनतम लागत में सबसे उपयुक्त बीमा पॉलिसी कैसे प्राप्त की जा सकती है। इनसे भी अहम सवाल यह है कि आपात स्थितियों में यात्रा बीमा का दावा (क्लेम) कैसे प्राप्त किया जाए। आइए जरा इनके उत्तर प्राप्त करने की कोशिश करते हैं:

शुरुआत आपके टिकट से करते हैं। सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि जिस परिवहन निगम, एयरलाइन या रेलवे की सेवा का टिकट ले रहे हैं क्या वह बीमा प्रदान करती है। संभव है कि वह केवल दुर्घटना बीमा प्रदान करती हो। जो भी हो, इस विषय में जान लेना बेहतर रहता है।

यात्रा का गंतव्य और अवधि:

यात्रा बीमा कवर गंतव्य की दूरी के हिसाब से अलग-अलग ढंग से तय होता है। जिन देशों में अचानक इलाज की जरूरत आपको वित्तीय रूप से तबाह कर सकती है, वहां बड़े बीमा कवर की जरूरत पड़ती है। उदाहरण के लिए अमेरिका जाते वक्त सबसे ज्यादा बीमा कवरेज की जरूरत होती है, क्योंकि वहां इलाज का खर्च ज्यादा है। उदाहरण के लिए अमेरिका में दिल के ऑपरेशन की लागत भारत के मुकाबले 10 गुना तक ज्यादा हो सकती है। इसके बाद उन 26 यूरोपीय देशों का नंबर आता है, जिन्हें शेंजेन कंट्रीज बोला जाता है। एशियाई देशों की यात्रा के लिए ज्यादा कवरेज आवश्यक नहीं, क्योंकि इन मुल्कों में इलाज सस्ता है।

तीस साल का कोई स्वस्थ व्यक्ति यदि एक हफ्ते के लिए अमेरिका के किसी बड़े शहर की यात्रा करता है तो उसे कम से कम 50,000 डॉलर का बीमा कवर लेना चाहिए। बड़े चिकित्सा खर्चो की जरूरत महसूस हो रही हो तो पांच लाख डॉलर तक की कवरेज ली जा सकती है। यात्रा की अवधि बहुत मायने रखती है। इससे बीमा लागत में मामूली बढ़ोतरी होती है, क्योंकि आपात संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यदि आप किसी रोमांचक यात्रा (एडवेंचर ट्रिप) पर या डॉक्टर की सलाह के खिलाफ जा रहे हैं तो बीमा कंपनी को बताना ना भूलें। इससे प्रीमियम तो काफी बढ़ जाएगा, किंतु दावा राशि प्राप्त करने में आसानी होगी।

उम्र का सवाल:

सामान्यत: 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गो के लिए विदेश यात्रा पर बीमा प्राप्त करना कठिन होता है। खासकर तब और जब वे किसी बीमारी का शिकार हों। इन बीमारियों को कवर करने के लिए विभिन्न तरह के प्लान उपलब्ध हैं। सावधानीपूर्वक इनमें से उपयुक्त चुनाव करना होगा। वैसे तो बड़ी संख्या में ऑनलाइन प्लान उपलब्ध हैं, परंतु बुजुर्गो के मामले में ऑफलाइन यानी बीमा एजेंट को बुलाकर या बीमा कंपनी के दफ्तर जाकर प्लान लेना चाहिए। वहां बुजुर्ग की मेडिकल जांच भी कराई जा सकती है। प्रीमियम व्यक्ति की दशा पर निर्भर करेगा। यह सामान्य प्रीमियम के मुकाबले कई गुना हो सकता है।

यात्रा बीमा की लागत:

चालीस साल तक की उम्र का कोई व्यक्ति यदि एक हफ्ते के लिए अमेरिका जा रहा है तो उसे 50 हजार डॉलर का बीमा कवरेज चाहिए। इसका प्रीमियम मात्र 770 रुपये हो सकता है। किसी एशियाई देश की यात्रा के लिए 500 रुपये के प्रीमियम से काम चल जाएगा। यदि आप एडवेंचर ट्रिप पर हैं तो लागत बढ़ेगी व प्रीमियम दो गुना तक हो सकता है। वरिष्ठ नागरिकों या बुजुर्गो के मामले में भी लागत ज्यादा होगी। कोई 65 वर्षीय व्यक्ति एक हफ्ते के लिए अमेरिका जाता है तो उसे 50 हजार डॉलर के कवर के लिए 1,300 रुपये प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है। ये औसत लागतें हैं। कंपनी व कवरेज में शामिल चीजों के आधार पर प्रीमियम बढ़ सकता है।

बरतें एहतियात:

बीमा खरीदते समय प्रपोजल फॉर्म का डिक्लेरेशन वाला हिस्सा ध्यान से पढ़कर इसमें शामिल चीजों को समझना चाहिए। यह भी कि किन स्थितियों में दावा किया जा सकता है। यदि आप डॉक्टर की मर्जी के खिलाफ यात्रा कर रहे हैं, किसी इलाज की प्रतीक्षा सूची में नहीं हैं, इलाज के सिलसिले में यात्रा नहीं कर रहे हैं और यात्रा से पहले किसी मेडिकल कंडीशन के लिए टर्मिनल प्रोग्नोसिस नहीं प्राप्त की है तो दावा संभव नहीं है। आत्महत्या, खुद की हरकत से घायल होना, मानसिक रुग्णता, अवसाद, एचआइवी/एड्स, नशीली दवाओं के सेवन आदि में भी दावा नहीं किया जा सकता।

बीमा कराने से पहले बीमा कंपनी के निपटान रिकॉर्ड को देखें। यात्रा में सामान चोरी होने का खतरा भी रहता है। कई बीमा कंपनियां यात्रा के दौरान आपके घर में आग लगने व सामान की चोरी का बीमा भी प्रदान करती हैं।

दावे की प्रक्रिया:

सामान पैक करने से पहले बीमा कंपनी व उसके किसी उपयुक्त व्यक्ति का कॉन्टेक्ट नंबर लेना अहम है। इससे आपात स्थितियों में दावा करने में सहूलियत होगी। दावा निपटान के संबंध में भारतीय कंपनियों ने विभिन्न देशों की बीमा कंपनियों के साथ अनुबंध कर रखे हैं। जरूरत पड़ने पर इन कंपनियों से स्थानीय स्तर पर संपर्क साधा जा सकता है। वे आपकी मदद करेंगी। दावा प्रक्रिया प्रारंभ होने पर आप कैशलेस या रीइंबर्समेंट का विकल्प चुन सकते हैं।

उदाहरण के लिए चोपड़ा ने रिलायंस जनरल की 50 हजार डॉलर की ओवरसीज ट्रैवल इंश्योरेंस पालिसी ली है। दुर्भाग्यवश न्यूयॉर्क में उन्हें दिल का दौरा पड़ता है और अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। ऐसे में उनका साथी थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर व आपात सेवा प्रदाता (मसलन यूरोप असिस्ट) से संपर्क साध सकते हैं। सेवा प्रदाता दावा प्रक्रिया प्रारंभ करेगा। चोपड़ा को दो विकल्प दिए जाएंगे। कैशलेस (अस्पताल को भुगतान) व रीइंबर्समेट (चोपड़ा को भुगतान)। कैशलेस क्लेम में उसी प्रकार कुछ कागजात की जरूरत होगी, जैसी भारत में पड़ती है। संभव है कागजात में कमी या मरीज को पहले से हार्ट की बीमारी की स्थिति में कैशलेस प्रक्रिया प्रारंभ न हो पाए। ऐसी दशा में बीमा कंपनी जांच करा कर बाद में रीइंबर्समेट के लिए सहमत हो सकती है। आपात स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर अस्पताल पहुंचाए जाने के मामलों में सामान्यत: बीमा कंपनियां अपनी तरफ से दावा प्रक्रिया शुरू कर देती हैं। जब ग्राहक कोई बात छुपाता नहीं है तो दावे की प्रक्रिया अत्यंत आसान होती है।

राकेश जैन

सीईओ, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस

पढ़ें: आया ऑनलाइन जीवन बीमा का जमाना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.