बैंकश्योरेंस से घर-घर पहुंचेगा बीमा
भारतीय जीवन बीमा उद्योग की स्थिति काफी मजबूत है। आर्थिक विकास के ढर्रे, जनसंख्या की अनुकूल स्थिति तथा बीमा की बढ़ती जरूरत को देखते हुए इसमें वृद्धि की जबरदस्त संभावनाएं हैं। बीमा उद्योग का दीर्घकालिक रुख सकारात्मक है। जिन कंपनियों के पास टिकाऊ बिजनेस मॉडल है, वे इससे अच्छा लाभ
भारतीय जीवन बीमा उद्योग की स्थिति काफी मजबूत है। आर्थिक विकास के ढर्रे, जनसंख्या की अनुकूल स्थिति व बीमा की बढ़ती जरूरत को देखते हुए इसमें वृद्धि की जबरदस्त संभावनाएं हैं। बीमा उद्योग का दीर्घकालिक रुख सकारात्मक है। जिन कंपनियों के पास टिकाऊ बिजनेस मॉडल है, वे इससे अच्छा लाभ उठा सकती हैं।
भारत में बैंकश्योरेंस ऐसे मॉडल के रूप में उभरा है, जो बीमा कंपनी की नए उत्पाद गढ़ने की क्षमता को बैंक के ग्राहक आधार व ब्रांच नेटवर्क के साथ मिलाकर एक प्रभावी गठजोड़ तैयार करता है। बैंकों का एक लाख से अधिक शाखाओं का विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर निश्चित रूप से देश में बीमा उत्पादों का वितरण करने व पहुंच बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है। इससे ग्राहकों को सहूलियत के साथ-साथ सभी वर्गों में बीमा उत्पादों की पहुंच सुनिश्चित होती है। यूं तो यह बिजनेस मॉडल सभी पक्षकारों के लिए फायदेमंद है, मगर इसका सबसे ज्यादा लाभ ग्राहक को मिलता है।
बैंकश्योरेंस मॉडल की खासियतें
कम लागत पर पैसा वसूल:
वितरण का ढांचा पहले से मौजूद होने से इसकी लागत पहले से तय व बहुत मामूली होती है। ऐसे में ग्राहक को दिए जाने वाले लाभ का प्राथमिकता के आधार पर निर्धारण किया जा सकता है। चूंकि कंपनी के साथ ग्राहक का रिश्ता बीमा उत्पाद की बिक्री तक सीमित नहीं रहता। लिहाजा, ग्राहक को बेहतर सलाह प्राप्त होती है। ऊपर से नीचे तक एक श्रृंखला होने से बीमा उत्पाद बिक्री की पूरी प्रक्रिया नियंत्रित होती है। इसमें ग्राहक को राजी करने से लेकर उसके केवाईसी दस्तावेज प्राप्त करने, प्रोसेसिंग, सर्विसिंग वगैरह सभी कुछ शामिल है। इससे ग्राहक की गुणवत्ता से लेकर नियमितता तक हर चीज में निरंतरता रहती है।
प्रणाली और प्रक्रिया का एकीकरण :
बीमा प्रणाली के बैंक शाखाओं के साथ एकीकरण से ग्राहक के लिहाज से बड़ी सहूलियत होती है। एकीकरण के फलस्वरूप होने वाली बचत ग्राहक को प्रदान की जा सकती है। इससे उत्पाद पर अधिकतम पैसा वसूल होता है। ग्राहक को पॉलिसी के साथ बैंक शाखा में ही प्रीमियम अदा करने की जो सहूलियत मिलती है, उसका तो कोई मुकाबला ही नहीं है।
निरंतरता की संस्कृति को प्रोत्साहन:
बिक्री प्रक्रिया के दौरान बैंक के दृष्टिकोण से बीमा व्यवसाय की दीर्घकालिक प्रकृति का पता चलता है। वे ‘उचित ग्राहक’ को ‘ उचित बिक्री’ पर जोर देते हैं, ताकि लंबी अवधि में लाभ हो। अपना ग्राहक बनाए रखने में बैंकों की रुचि होती है। इससे पोर्टफोलियो की क्वॉलिटी सुधरती है और बैंक इसे बनाए रखते हैं। आंकड़े बताते हैं कि अन्य माध्यमों के मुकाबले बैंकश्योरेंस से बेहतर निरंतरता प्राप्त होती है।
ग्राहक के बारे में पूरी सूचना :
स्वामित्व के बारे में निश्चितता होने से प्रणाली एकीकरण में किया जाने वाला निवेश दीर्घकालिक व रणनीतिक हो सकता है। ग्राहकों को पता होता है कि पॉलिसी को लेकर उनका बैंक हमेशा उनके संपर्क में है। लिहाजा, वे कभी भी पॉलिसी के बारे में सवाल कर जवाब प्राप्त कर सकते हैं। इससे बीमा के प्रति ग्राहकों का भरोसा बढ़ता है।
फायदों का प्रचार :
बैंकों का अपने ग्राहकों के साथ एक रिश्ता होता है। यह ग्राहकों के हालात व उनके बारे में सूचनाओं व विश्वास पर आधारित होता है। इस लिहाज से बीमा पॉलिसी उन वित्तीय उत्पादों के व्यापक पोर्टफोलियो का हिस्सा हो सकती है, जो किसी व्यक्ति का जीवनस्तर व भविष्य संवारने के लिए आवश्यक होते हैं।
बीमा बाजार के विकास के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास पहली शर्त है। फिलहाल, भारत में बीमा बाजार के नए प्रीमियम में बैंकश्योरेंस का योगदान 30-40 फीसद है। लिहाजा, वित्तीय समावेश के सरकारी लक्ष्य को पाने में यह खासा मददगार साबित हो सकता है। नए प्रयोगों व तकनीकी की मदद से इसके जरिये बीमा की पहुंच काफी बढ़ाई जा सकती है।
बैंकश्योरेंस के बढ़ते चलन से बीमा की पहुंच समाज के कमजोर तबके में बढ़ी है। हमारे अपने शोध के अनुसार, सरकारी बैंकों ने अपनी 90 फीसद शाखाओं से बीमा उत्पादों का वितरण प्रारंभ कर दिया है। इनमें से ज्यादातर शाखाएं छोटे व मझोले शहरों व कस्बों में हैं। इससे पता चलता है कि बैंकश्योरेंस का मॉडल सफलतापूर्वक काम कर रहा है। देश के सभी इलाकों व समाज के सभी वर्गों तक पहुंच रहा है। जैसे-जैसे बैंकों की नई शाखाएं खुल रही हैं, वे बीमा को भी उन जगहों पर पहुंचा रहे हैं। इस तरह आबादी के बड़े हिस्से तक बीमा की पहुंच सुनिश्चित हो रही है।
बीमा उद्योग एक नया अध्याय लिख रहा है। इसमें सफलता का मूलमंत्र होगा ग्राहकों की जरूरत पर ध्यान देना तथा परिस्थितियों के अनुरूप बदलने व ढलने की क्षमता हासिल करना। जो बीमा कंपनी नए नियामक वातावरण को समझेगी, तकनीकी नवोन्मेष करेगी, बड़े पैमाने पर डाटा संभालने में समर्थ होगी तथा जिसके पास टिकाऊ बिजनेस मॉडल होगा, वही इस व्यवसाय में कामयाब होगी।
इससे एक दक्ष बीमा उद्योग सामने आएगा, जो पॉलिसीधारक को कम से कम लागत पर बेहतर से बेहतर उत्पाद देने में सक्षम होगा। निश्चय ही इस लक्ष्य के रास्ते में बाधाएं व चुनौतियां भी आएंगी। मगर ग्राहकों के हित रक्षा की स्पष्ट दृष्टि सामने रखते हुए बीमा कंपनियों को उनका मुकाबला करना होगा। बैंकश्योरेंस उद्योग को लेकर मेरा पक्के तौर पर मानना है कि यह न सिर्फ बढ़ेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा।
जॉन होल्डन
सीईओ, कैनरा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी