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सिंगल महिला के लिए बीमा से जोखिम कवरेज के क्या हैं विकल्प?

इस सवाल का जबाव देने से पहले मैं एक पुरानी कहानी आप सभी को बताना चाहता हूं। लगभग 35 वर्ष पहले बंगाल में एक उपन्यास ने काफी तहलका मचाया था। यह उपन्यास एक युवा विधवा के बारे में था जिसके पति की मृत्यु तब हो गई थी जब वह महज

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2016 12:06 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2016 12:17 PM (IST)
सिंगल महिला के लिए बीमा से जोखिम कवरेज के क्या हैं विकल्प?

इस सवाल का जबाव देने से पहले मैं एक पुरानी कहानी आप सभी को बताना चाहता हूं। लगभग 35 वर्ष पहले बंगाल में एक उपन्यास ने काफी तहलका मचाया था। यह उपन्यास एक युवा विधवा के बारे में था जिसके पति की मृत्यु तब हो गई थी जब वह महज 17 वर्ष की थी।

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पति की मौत के बाद उसे घर से बाहर कर दिया जाता है। लेकिन वह बहुत ही मजबूत इरादे की महिला होती है और पूरे समाज से लड़ती है। इस लड़ाई में एक बार भी वह अपना सिर नहीं झुकने देती। उसके पास गहनों का एक बक्सा होता है जो उसकी कुल जमा पूंजी होती है। उसके आसपास के कई लालची लोगों की नजर उस पर होती है लेकिन उस बक्से को बचाने के लिए वह जान की बाजी लगा देती है। अंत में उसकी नवासी को वह बक्सा मिलता है जिसे वह समाज कल्याण के लिए दान कर देती है।

यह कहने में कोई झिझक नहीं कि जमाना काफी बदल चुका है। आज समाज के हर वर्ग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। माता-पिता स्वयं बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। महिलाएं आज सफलतापूर्वक अपना घर ही नहीं संभाल रहीं, बल्कि प्रोफेशनल करियर में भी काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। बूज एंड कंपनी नाम की एक सलाहकार कंपनी की रिपोर्ट बताती है कि अगर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को रोजगार में समान अवसर

मिलने लगे तो अमेरिका की आर्थिक विकास दर पांच फीसद और जापान की विकास दर

वर्ष 2020 तक नौ फीसद की रफ्तार से बढ़ेगी। ऐसे में महिलाओं को भी पुरुषों जैसे

ही बीमा पॉलिसियां चाहिए क्योंकि उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ रही है और किसी हादसे

की चुनौतियों से बचने के लिए उनके पास भी विकल्प होने चाहिए।

जहां तक अकेली, विधवा और स्वतंत्र महिला की बात है तो उसके लिए बीमा की

जरूरत तो और ज्यादा हो जाती है। इन महिलाओं को बीमा कवरेज के लिए पहले से

ही अच्छी प्लानिंग कर लेनी चाहिए ताकि भविष्य की अनिश्चितताओं के प्रति अपने

बच्चों या अन्य आश्रितों के हितों की रक्षा हो सके और उन्हें किसी प्रकार के वित्तीय संकट

का सामना नहीं करना पड़े। वैसे, भारत में महिलाओं के लिए अलग से बीमा पॉलिसी

खरीदने की परंपरा की शुरुआत नहीं हो पाई है। लेकिन एक अकेली मां के लिए यह

जरूरी हो जाता है ताकि वह अपने बच्चों को भविष्य में किसी प्रकार की दिक्कत का

सामना नहीं करने दे। ऐसे में महिलाओं को बीमा करवाने से पहले निम्न बातों का ध्यान

रखना चाहिए।

1. अगर आप नहीं रहें तब भी आश्रितों को नहीं हो वित्तीय दिक्कत

2. गंभीर बीमारी होने पर वित्तीय बोझ पडऩे से हो सुरक्षा

3. सामान्य बीमारी से भी बचाव के लिए हो बीमा

4. बच्चों की शिक्षा के लिए फंड बनाने पर हो ध्यान

5. सेवानिवृत्ति के बाद के लिए फंड की व्यवस्था इन मुद्दों को ध्यान में रखकर अगर बीमा

करवाया जाए तो सिंगल महिला भी एक निश्चित समय में अच्छा खासा फंड जुटा

सकती है जो उसे एक बेहतर भविष्य भी देने में मददगार साबित होगा। हो सकता है कि

इन बीमा से बहुत अच्छा रिटर्न नहीं मिले लेकिन जीवन में एकमुश्त खर्चे के बोझ से

बचने के लिए काफी मदद मिलेगी। मैं सभी महिलाओं को खास तौर पर टर्म बीमा

पॉलिसी खरीदने की सलाह जरूर देताहूं।

अमित कुमार रॉय

चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर

एगॉन लाइफ इंश्योरेंस


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