बीमा कंपनी ने क्लेम को रिजेक्ट कर दिया, अब क्या करें?
नियामक इरडा ने दो साल पूर्व के अपने एक सर्कुलर के जरिये साफ कर दिया था कि कोई भी कंपनी केवल इस आधार पर क्लेम देने से मना नहीं कर सकती कि ग्राहक ने समय पर सूचना नहीं दी अथवा क्लेम से संबंधित कागजात देरी से मुहैया कराए। इरडा की नजर में परिस्थितिवश कोई व्यक्ति्
नियामक इरडा ने दो साल पूर्व के अपने एक सर्कुलर के जरिये साफ कर दिया था कि कोई भी कंपनी केवल इस आधार पर क्लेम देने से मना नहीं कर सकती कि ग्राहक ने समय पर सूचना नहीं दी अथवा क्लेम से संबंधित कागजात देरी से मुहैया कराए।
इरडा की नजर में परिस्थितिवश कोई व्यक्ति यदि तय समयसीमा के भीतर अपना क्लेम दाखिल नहीं करता या जरूरी तथ्य मुहैया नहीं करा पाता तो उसे केवल मैकेनिकल तरीके से रिजक्ट कर देना गलत है। इससे ग्राहकों और बीमा उद्योग के बीच आपसी रिश्ते में कमजोरी आएगी।
कंपनियों को साफ कहा गया है कि पहले वे पॉलिसी धारक से देरी की वजह जानने की कोशिश करेंगी। पूरी छानबीन के बाद अगर क्लेम न देने की वजह स्पष्ट होती है, तभी इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर आप अपनी बीमा कंपनी द्वारा बिना वजह क्लेम के लिए मना किए जाने से परेशान हैं तो पहले कंपनी के विवाद निवारण संभाग के पास लिखें।
इसके बाद इरडा के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इरडा के शिकायती काल सेंटर 155255 पर कॉल कर इसके बारे में जानकारी ली जा सकती है। इसके बाद भी अगर आप संतुष्ट नहीं हैं तो बीमा लोकपाल का दरवाजा खटखटा सकते हैं। क्लेम मिलने में हुई देरी की स्थिति में भी आप लोकपाल के पास जा सकते हैं। लोकपाल बीमा कंपनी को आपको एकबारगी (एक्स ग्रेशिया) भुगतान का फैसला भी सुना सकता है।