सस्ते कर्ज की उम्मीद में बाजार
पिछले हफ्ते के तीन दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट का दौर रहा, लेकिन सप्ताहांत में देखे तो कुछ क्षेत्रों में लगातार दूसरे हफ्ते तेजी का दौर देखने को मिला है। भारतीय स्टेट बैंक का उदाहरण लें, तो जून, 2015 में ब्याज दरों में कटौती की संभावना व महंगाई की
पिछले हफ्ते के तीन दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट का दौर रहा, लेकिन सप्ताहांत में देखे तो कुछ क्षेत्रों में लगातार दूसरे हफ्ते तेजी का दौर देखने को मिला है। भारतीय स्टेट बैंक का उदाहरण लें, तो जून, 2015 में ब्याज दरों में कटौती की संभावना व महंगाई की दर में कटौती की वजह से इसमें तेजी का रुख बना हुआ है। कुछ बैंकों ने अपने फंसे कर्जे की स्थिति को सुधारने में सफलता हासिल की है। इसकी वजह से बैंकों के शेयरों पर सकारात्मक असर पड़ा है।
एनएसई बैंक सूचकांक इस हफ्ते दो फीसद ऊपर गया है। वैसे तो अभी शेयर बाजार में अस्थिरता जारी रहने के आसार हैं, लेकिन अभी जो स्थिति है उससे बाजार में प्रवेश करने का एक मौका भी मिलता है। खास तौर पर कुछ प्रमुख कंपनियों और मिडकैप शेयरों में निवेश करने का यह एक बढ़िया मौका है।
अगर पिछली तिमाही के नतीजों पर जाएं, तो अधिकांश कंपनियों के वित्तीय नतीजे उम्मीद के मुताबिक ही रहे हैं। हां, पंजाब नेशनल बैंक को आप अपवाद मान सकते हैं। एफएमसीजी कंपनियों की मार्जिन की स्थिति पहले से सुधरी है। कच्चे माल की लागत में कमी आने की वजह से कई क्षेत्रों की कंपनियों के परिणाम पर सकारात्मक असर पड़ा है। आने वाले दिनों में भी ऐसा ही माहौल बने रहने के आसार हैं क्योंकि बैंकों की तरफ से ब्याज दरों में कटौती किये जाने की संभावना है। निवेशकों की निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया यात्रा पर भी हैं। अगर इस दौरान कोई अहम घोषणा होती है तो उसका असर भी बाजार पर पड़ना तय है। चीन और भारत के बीच 22 अरब डॉलर के समझौते हुए हैं।
ग्लोबल स्तर पर होने वाले कुछ बदलाव भी शेयर बाजार की चाल को प्रभावित करेंगे। अभी तक को यह लग रहा है कि अमेरिकी डॉलर कुछ कमजोर हो सकता है और कच्चे तेल की कीमत कमोबेश स्थिर रहेगा। अगले हफ्ते जर्मनी अर्थव्यवस्था के आंकड़े आने वाले हैं, जबकि अमेरिका में रोजगार के आंकड़े पर भी बाजार की नजर रहेगी।
संदीप पारवाल
एमडी
एसपीए
कैपिटल्स