Move to Jagran APP

हेल्थ पॉलिसी चुनाव आसान व क्लेम भी

इसी वर्ष फरवरी में बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने हेल्थ इंश्योरेंस की कई उलझनों को सुलझाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। व्यक्तिगत पॉलिसियों के लिए ये दिशानिर्देश एक अक्टूबर, 2013 से लागू होंगे। इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस में प्रयुक्त कई शब्दों की परिभाषाओं का मान्

By Edited By: Published: Mon, 15 Jul 2013 01:41 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
हेल्थ पॉलिसी चुनाव आसान व क्लेम भी

इसी वर्ष फरवरी में बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने हेल्थ इंश्योरेंस की कई उलझनों को सुलझाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। व्यक्तिगत पॉलिसियों के लिए ये दिशानिर्देश एक अक्टूबर, 2013 से लागू होंगे। इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस में प्रयुक्त कई शब्दों की परिभाषाओं का मानकीकरण किया है। पोर्टेबिलिटी की विभिन्न उलझनों को भी नियामक ने सरल बनाकर सुलझाया है। इसकी वजह से हेल्थ पॉलिसी को समझना आसान होगा। कंपनियां छुपी शर्तो के आधार पर पॉलिसी धारकों को गुमराह नहीं कर पाएंगी। नियामक ने हेल्थ इंश्योरेंस में प्रचलित लगभग 46 शब्दावलियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। इसके अलावा इसने 11 गंभीर बीमारियों को भी स्पष्ट किया है। आइए, नई परिभाषाओं के लाभों को समझते हैं।

loksabha election banner

क्या है डिडक्टिबल:

डिडक्टिबल मेडिकल खर्च का वह हिस्सा है जिसका भुगतान आपको पहले करना होता है और शेष पैसों का भुगतान बीमा कंपनी बाद में करती है। उदाहरण के तौर पर किसी इंडेम्टिी पॉलिसी के मामले में अगर पॉलिसी के तहत डिडक्टिबल की राशि 2,000 रुपये है और इलाज में 10,000 रुपये खर्च होते हैं तो पॉलिसी धारक को 2,000 रुपये का वहन खुद करना होगा। शेष 8,000 रुपये का भुगतान बीमा कंपनी करेगी। अगर इलाज में सिर्फ 2,000 रुपये तक ही खर्च होते हैं तो बीमा कंपनी कोई भरपाई नहीं करेगी।

बीमा कंपनियों को स्पष्ट तौर पर जिक्र करना होगा कि अगर सालाना आधार पर लागू किया जाता है तो क्लेम चाहे एक साल के दौरान जितनी बार किया जाए, डिडक्टिबल का भुगतान पॉलिसी धारक एक बार ही करेगा। अगर प्रति क्लेम के आधार पर इसे लागू किया जाता है तो पॉलिसी धारक साल के दौरान चाहे जितनी बार क्लेम करे उस पर डिडक्टिबल लागू होगा। अगर आजीवन के लिए लागू किया जाता है तो पॉलिसी धारक कवर के दौरान जितने क्लेम करेगा डिडक्टिबल का भुगतान उसे खुद करना होगा।

पोर्टर्बिलिटी का लाभ कंपनी पर निर्भर:

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टबिलिटी से जुड़ी उलझनों को भी इरडा ने सरल बनाया है। पोर्टबिलिटी का मतलब है कि बीमा कंपनी बदलते समय आपके वे लाभ यथावत रहें जो पुरानी कंपनी के पॉलिसी वषरें के दौरान आपने अर्जित किए हैं। इसमें पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करने की समय-सीमा और वैसी बीमारियां शामिल होती हैं जिन्हें एक निश्चित अवधि के बाद कवर किया जाता है।

अस्पताल की परिभाषा में बदलाव:

नई परिभाषा के अनुसार, कोई भी अस्पताल या नर्सिंग होम जो क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के तहत पंजीकृत होगा वहां इलाज मान्य होगा। अब तक 15 बेड वाले अस्पतालों में ही हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधाएं मिल पाती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.