तैयार रहिए जीवन बीमा में बदलाव के लिए
जीवन बीमा बाजार का प्रदर्शन इस वर्ष कैसा रहेगा? चालू वित्त वर्ष के दौरान जीवन बीमा कारोबार में बहुत ज्यादा बेहतरी की उम्मीद तो नहीं है। मुझे लगता है कि इस बाजार में 8 फीसद तक की बढ़ोतरी होगी। हां, अगले वित्त वर्ष के दौरान हालात सुधरने के आसार हैं। मुझे
जीवन बीमा बाजार का प्रदर्शन इस वर्ष कैसा रहेगा?
चालू वित्त वर्ष के दौरान जीवन बीमा कारोबार में बहुत ज्यादा बेहतरी की उम्मीद तो नहीं है। मुझे लगता है कि इस बाजार में 8 फीसद तक की बढ़ोतरी होगी। हां, अगले वित्त वर्ष के दौरान हालात सुधरने के आसार हैं। मुझे लगता है कि जीवन बीमा कारोबार में 15 फीसद तक बढ़ोतरी हो सकती है। वैसे जहां तक मेरी कंपनी का सवाल है तो दिसंबर तक के कारोबार में 30 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान हमारे कारोबार में 35 फीसद की बढ़ोतरी होने के आसार हैं।
अब जबकि जीवन बीमा को लेकर अधिकांश नियम कानून साफ हो चुके हैं, क्या बदलाव आप देख रहे हैं?
सही कह रहे हैं आप। मुझे लगता है कि जीवन बीमा कारोबार में कई तरह के बदलाव अगले चरण में आएंगे। नए बदलाव के लिए सरकार के साथ ही कंपनियों और आम ग्राहक को भी तैयार रहना होगा। एक बदलाव यह होगा कि बीमा खरीदने में आम ग्राहक की भूमिका बढ़ेगी। एजेंट्स की भूमिका कम होगी क्योंकि ग्राहक अब सीधे तौर पर ज्यादा से ज्यादा पॉलिसियां खरीदेगा। यह बदलाव इंटरनेट इस्तेमाल बढ़ने की वजह से होगा। ज्यादा से ज्यादा लोग इंटरनेट से जुड़ेंगे और इसका एक बड़ा हिस्सा ऑनलाइन बीमा उत्पाद खरीदेगा। इस वजह से ही दूसरा बदलाव बीमा कंपनियों के स्तर पर आएगा। बीमा कंपनियों को ऐसे उत्पाद तैयार करने होंगे जो आसानी से ग्राहकों को समझ में आ सकें। इसी तरह से सरकार और नियामक एजेंसी के स्तर पर ही कुछ काम करने की जरूरत है, ताकि नियमों को और पारदर्शी बनाया जा सके।
पॉलिसियां किस तरह से बदलेंगी?
जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि सामान्य तरीके से समझ में आने वाली पॉलिसियां बनाई जाएंगी। इसी तरह से टर्म पॉलिसियां में कई बदलाव आएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोग टर्म पॉलिसियां खरीदेंगे, नई तरह की टर्म पॉलिसियां बाजार में लाई जाएंगी। मुझे लगता है कि पेंशन पॉलिसियों के बाजार में भी काफी बदलाव आएंगे। वैसे इसकी राह में सरकार के ही कुछ नियम अड़चन डाल रहे हैं। लेकिन देश में समाजिक सुरक्षा की जितनी कमी है उसे देखते हुए बीमा कंपनियों की तरफ से पेंशन बाजार पर नए सिरे से ध्यान दिए जाने की संभावना है।
टर्म पॉलिसियों को लेकर लोगों में काफी भ्रम रहता है?
हां, लेकिन इसके पीछे एक वजह ग्राहकों में इसको लेकर कम जानकारी है। एक तो भारत में वैसे ही काफी कम लोग बीमा करवाते हैं और जो करवाते हैं वह जरूरत से काफी कम करवाते हैं। चार-पांच लाख रुपये का बीमा करवाने के बाद लोग समझते हैं कि उन्होंने पर्याप्त बीमा करवा लिया। जो बिल्कुल नाकाफी है। हालात यह हैं कि 50-60 लाख रुपये के मकान खरीद लेते हैं, लेकिन बीमा पॉलिसी महज कुछ लाख का खरीदते हैं। ग्राहक यह नहीं सोचता कि अगर उसे कुछ हो गया तो इस मकान की किस्त कौन चुकाएगा। मोटे तौर पर यह समझ लीजिए अगर किसी व्यक्ति की 30 हजार रुपये की मासिक आय है और दुर्भाग्य से उसे कुछ हो जाता है तो उसके परिवार को 30 हजार रुपये मासिक आय के लिए बैंक में 60 लाख रुपये होने जरूरी हैं। यह कहने की जरूरत नहीं कि आज की तारीख में किसी भी व्यक्ति के लिए बैंक में 60 लाख रुपये रखना काफी मुश्किल है। मेरा सुझाव यही है कि टर्म पॉलिसी न सिर्फ सस्ती होती हैं बल्कि यह आसानी से तमाम दायित्वों की सुरक्षा भी कर सकती हैं। मेरे ख्याल से थोड़ा उत्तरदायित्व कंपनियों को भी निभाना होगा, ताकि टर्म पॉलिसियों को लेकर ग्राहकों को ज्यादा शिक्षित बनाया जा सके।
आपकी कंपनियां किस तरह की पॉलिसियां लाएंगी?
8एक प्रमुख बीमा कंपनी के तौर पर हम लगातार नई पॉलिसियों पर काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि आसानी से समझ में आने वाली लेकिन ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक पॉलिसियां बाजार में लाई जाएं। हाल ही में हमने प्रीमियम वापस करने वाली टर्म पॉलिसी लांच की है। इसमें टर्म होने पर भी पॉलिसीधारक को समय पूरा होने पर पूरी प्रीमियम की राशि वापस मिल जाएगी। इसी तरह से हमने ज्वाइंट लाइफ टर्म पॉलिसी भी लांच की है। जो पति व पत्नि संयुक्त तौर पर ले सकते हैं। एक हेल्थ बीमा पॉलिसी भी हमने लांच की है, जो क्रिटिकल बीमारियों को लेकर है। इसमें बीमाधारक को बीमित बीमारी होने पर एकमुश्त राशि दे दी जाती है।
यतीश श्रीवास्तव
सीओओ, एगॉन रेलीगियर लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
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