घिसटते जीवन बीमा के बाजार में रखें सावधानी
बीमा उद्योग में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जहां इस उद्योग के बारे में सरकारी नीतियों में अनिश्चितता बनी हुई है, वहीं विभिन्न विदेशी कंपनियां अपने साझेदारों का साथ छोड़ देश से बाहर जाती नजर आ रही हैं। यहां काम करने वाली बीमा कंपनियां शाखाएं बंद कर रही हैं। रोजगार म्
बीमा उद्योग में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जहां इस उद्योग के बारे में सरकारी नीतियों में अनिश्चितता बनी हुई है, वहीं विभिन्न विदेशी कंपनियां अपने साझेदारों का साथ छोड़ देश से बाहर जाती नजर आ रही हैं। यहां काम करने वाली बीमा कंपनियां शाखाएं बंद कर रही हैं। रोजगार में भी कटौती कर रही हैं। पिछले तीन सालों के दौरान निजी जीवन बीमा कंपनियां 1600 से अधिक ब्रांच बंद कर चुकी हैं। साल 2008-09 में बीमा क्षेत्र में 29.38 लाख एजेंट थे। 2012-13 में इनकी संख्या घटकर 21.25 लाख रह गई है। उद्योग के ऐसे हाल के बीच ग्राहकों द्वारा पहले तीन साल में पारंपरिक पॉलिसी वापस करने की दर अब बढ़कर 50 फीसद हो गई है। सरकारी क्षेत्र की जानी-मानी कंपनी एलआइसी के मामले में भी यह दर 47 फीसद है।
पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के सीईओ यशीश दहिया का मानना है कि अधिकतर बीमा कंपनियों के अधिकांश उत्पादों के प्रति ग्राहकों में निराशा घर करने लगी है। दहिया के अनुसार इसकी वजह यह है कि पिछले आठ-दस सालों के दौरान अधिकांश ग्राहकों को बहुत सारे गलत बीमा उत्पाद बेचे गए हैं।
तो क्या करें आप
-प्रतिस्पर्धा का फायदा उठाएं
-प्रीमियम की तुलना करें
-क्लेम सेटेलमेंट रेशियो देखें
-एक टर्म बीमा जरूर खरीदें
-निवेश के लिहाज से बीमा खरीदें तो लंबी अवधि के लिए