बाजार की उथल-पुथल में संभल कर करें निवेश
बाजार इस वक्त 21000 अंकों के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर है। बीते सप्ताह भारी घटनाक्रमों के बीच बाजार ने यह स्तर पाया है। उम्मीद है अब आगे बाजार इसी स्तर पर स्थिर बना रहेगा। निचले स्तर पर अभी खरीदारी का रुख बने रहने की संभावना है। हालांकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के निवेश का रुख और वैश्विक गतिविधियां घरेलू शेयर
बाजार इस वक्त 21000 अंकों के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर है। बीते सप्ताह भारी घटनाक्रमों के बीच बाजार ने यह स्तर पाया है। उम्मीद है अब आगे बाजार इसी स्तर पर स्थिर बना रहेगा। निचले स्तर पर अभी खरीदारी का रुख बने रहने की संभावना है। हालांकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के निवेश का रुख और वैश्विक गतिविधियां घरेलू शेयर बाजार पर अपना असर अभी भी बनाए रखेंगी।
अमेरिकी फेड रिजर्व ने महीनों की चर्चा के बाद आखिरकार प्रोत्साहन पैकेज की वापसी शुरू कर दी है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक मान रहा है कि अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। इससे हमारे निर्यात को फायदा मिलेगा जिसका असर चालू खाते के घाटे को कम करने पर पड़ेगा। साथ ही प्रोत्साहन पैकेज की धीमी वापसी से कम होने वाली लिक्विडिटी कमोडिटी बाजार में भी कीमतों में कमी लाएगी। इसका असर आने वाले दिनों में महंगाई में कमी के रूप में दिखेगा।
वैसे भी इस बार प्रोत्साहन पैकेज की वापसी से निपटने के लिए सरकार काफी हद तक तैयार है। रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपनी स्वैप स्कीम के जरिए 34 अरब डालर जुटाए थे। उसके चलते रिजर्व बैंक अमेरिकी फेड के प्रोत्साहन पैकेज की वापसी के कदम को लेकर निश्चिंत है। इतना ही नहीं कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बाजार सूचकांकों में भारतीय बांडों के शामिल होने के संकेत हैं। ऐसा होने पर अगले साल से देश में विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ सकता है।
इन सब संकेतों के बावजूद अगला सप्ताह उथल-पुथल भरा हो सकता है। गुरूवार को वायदा सौदों का निपटारा होना है। साथ ही बाजार साल के अंत की तरफ बढ़ रहा है। लिहाजा निवेश का प्रवाह कम होना स्वाभाविक है। बाजार के कारोबारी वाल्यूम में भी कमी आएगी। रिलायंस को सशर्त गैस के दाम बढ़ाने की कैबिनेट से मिली मंजूरी ने बाजार को सकारात्मक रुख दिखाया है। एम एंड एम फाइनेंशियल और अपोलो हास्पिटल 27 दिसंबर से वायदा शेयरों की सूची में शामिल हो रहे हैं। लिहाजा इनमें निवेशकों का आकर्षण बढ़ेगा। इसलिए जरूरी है कि नया निवेश संभल कर करें।
क्रिसमस और नए साल के चलते विदेशों से नए निवेश प्रवाह की उम्मीद नहीं है। वैसे भी विदेशी फंड दिसंबर के आखिरी पखवाड़े से निवेश का प्रवाह घटाना शुरू कर देते हैं। इन फंडों से निवेश का प्रवाह अब दोबारा नए साल में ही शुरू होगा। अगले सप्ताह अमेरिका, फ्रांस और जापान से रियल एस्टेट, कंज्यूमर खर्च के आंकड़े आएंगे। बाजार पर इनका भी असर पड़ेगा।
संदीप पारवाल [एमडी, एसपीए कैपिटल्स]