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बजट में हुई तीन सरकारी नेशनल इंश्योरेंस कंपनियों की घोषणा

साधारण बीमा कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 100 फीसद से घटकर फिलहाल 55 फीसद पर आ चुकी है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 01 Feb 2018 06:32 PM (IST)Updated: Thu, 01 Feb 2018 06:32 PM (IST)
बजट में हुई तीन सरकारी नेशनल इंश्योरेंस कंपनियों की घोषणा
बजट में हुई तीन सरकारी नेशनल इंश्योरेंस कंपनियों की घोषणा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आम बजट में सरकार ने वित्तीय क्षेत्र में सुधार को लेकर बहुत लंबी चौड़ी घोषणाओं से परहेज किया है। हालांकि साधारण बीमा क्षेत्र में एक ऐसी घोषणा है, जो आने वाले दिनों में काफी असर डालेगी। यह घोषणा है साधारण बीमा क्षेत्र की तीन सरकारी कंपनियों नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस कंपनी और ओरियंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विलय की। वर्ष 2000 में जब से बीमा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला गया है, तब से इन सरकारी कंपनियों के सामने प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है।

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साधारण बीमा कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 100 फीसद से घटकर फिलहाल 55 फीसद पर आ चुकी है। विलय होने वाली तीनों कंपनियों की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 38 फीसद है। विलय के बाद साधारण बीमा क्षेत्र में सरकार की दो कंपनियां रह जाएंगी। विलय से बनी कंपनी के अलावा दूसरी सरकारी कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस है। विदेशी बीमा कंपनियां भारतीय बाजार में नए उत्पादों व तकनीकी के जरिये ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। इससे सरकारी कंपनियां पिछड़ती जा रही हैं। इस लिहाज से वित्त मंत्री अरुण जेटली की घोषणा काफी अहम साबित होगी।

वित्त मंत्री ने इन तीन कंपनियों के विलय के बाद नई कंपनी को आइपीओ के जरिये बाजार में सूचीबद्ध कराने का भी एलान किया है। इससे सरकार को 80 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में इसी तरह पेट्रोलियम क्षेत्र की कंपनियों में विलय की शुरुआत की है। इसके तहत ही हाल में सरकारी तेल कंपनी ओएनजीसी ने एचपीसीएल का अधिग्रहण किया है। इससे सरकार को 37,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है।

जानकारों के मुताबिक विलय के बाद गठित बीमा कंपनी के आइपीओ से केंद्र सरकार को 10 से 15 हजार करोड़ रुपये की राशि मिलने की उम्मीद है। इस फैसले का साधारण बीमा उद्योग पर भी काफी असर पड़ेगा। सबसे पहले तो निजी कंपनियों का अब एक बेहद शक्तिशाली सरकारी कंपनी से मुकाबला होगा। वैसे बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से ये कंपनियां निजी कंपनियों के मुकाबले आगे हैं, लेकिन निजी क्षेत्र की आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड, बजाज एलायंज जनरल जैसी कंपनियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

सरकारी साधारण बीमा कंपनियों के पास तकरीबन 8,000 शाखाएं हैं, जबकि निजी कंपनियां अभी दो हजार शाखाएं ही खोल सकी हैं। दूसरा असर इन तीनों कंपनियों के कर्मचारियों पर होगा। अभी कई शहरों में एक साथ इन तीनों कंपनियों के कार्यालय मिल जाएंगे। विलय के बाद एक क्षेत्र में एक ही कंपनी होगी, इसलिए शाखाओं का समायोजन करना होगा। इसी आधार पर कर्मचारियों की संख्या में भी कटौती करनी पड़ सकती है।


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