बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान क्या करें निवेशक? कहां करें निवेश कि हो मोटा मुनाफा
इस तरह की बिकवाली बाजार में 2008 के वित्तीय संकट में देखी गई थी लेकिन इस बार की बिकवाली थोड़ा डराने वाली है क्योंकि इसके साथ अनिश्चिता जुड़ी हुई है।
नई दिल्ली, प्रकर्ष गगदानी। पूरा विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में है और इसके चलते दुनिया भर के बाजार ताश के पत्तों की तरह गिर रहे हैं। भारत का इक्विटी बाजार भी इससे अलग नहीं है। हालांकि, बिकवाली कुछ सप्ताह पहले ही शुरू हो गई थी, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित करने के बाद हड़कंप की स्थिति बन गई और बडे़ पैमाने पर बिकवाली शुरू हो गई। इस तरह की बिकवाली बाजार में 2008 के वित्तीय संकट में देखी गई थी, लेकिन इस बार की बिकवाली थोड़ा डराने वाली है, क्योंकि इसके साथ अनिश्चिता जुड़ी हुई है।
जब वित्तीय और आर्थिक संकेतों का विश्लेषण कर लिया जाए तो निवेशक किसी कारण से होने वाले ऐसे दौर को समझ सकते हैं, लेकिन इतने बडे़ पैमाने के स्वास्थ्य संकट के बारे में हम में से कोई नहीं जानता। हम भारत सहित पूरी दुनिया में सरकार की ओर से दी जा रही कुछ राहत को देख रहे हैं। इससे बाजार को कुछ सहायता मिल सकती है। लेकिन हर गुजरते दिन के साथ कोरोना वायरस का संकट जिस तरह गहरा रहा है, उसे देखते हुए यह अनुमान लगाना बहुत कठिन है कि बाजार में सुधार कैसे आएगा। इस प्रभाव को खत्म होने में कुछ सप्ताह और महीने भी लग सकते हैं, लेकिन तब तक निवेशकों के मन में उनके मौजूदा निवेश और भविष्य की निवेश योजनाओं के बारे में सवाल उठते रहेंगे।
ज्यादातर निवेशकों और बाजार से नियमित तौर पर जुड़े रहने वाले निवेशकों को भी हाल में अपने निवेश के कुल मूल्य में कमी या घाटा हुआ होगा, ऐसे हालात में हम उन्हें यह सलाह देंगे कि शांत बैठें और किसी भी तरह निवेश के निर्णय से पहले तार्किक ढंग से विचार करें। पहला कदम तो यह होना चाहिए कि अपने पोर्टफोलियो को देखिए और इसे उचित ढंग से फिर से संतुलित कीजिए।
कुछ लोगों को डेट ऐसेट्स में अपना निवेश बढ़ाना चाहिए, वहीं कुछ को गोल्ड आधारित निवेश पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह सुरक्षित होता है। मौजूदा हालात में एक रिटेल निवेशक को इक्विटी एसेट एलोकेशन को 55 प्रतिशत तक सीमित करना चाहिए। डेट में कुल 35 से 40 प्रतिशत और बाकी स्वर्ण में निवेश करना चाहिए। जिन रिटेल निवेशकों ने पर्याप्त रिसर्च नहीं की है, उन्हें सीधे इक्विटी निवेश से बचना चाहिए और सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे उनके पोर्टफोलियो में अस्थिरता का प्रभाव कम होगा।
निवेशक समुदाय का एक वर्ग यह मानता है कि मजबूत व्यापार और अच्छे मैनेजमेंट वाले कई अच्छे स्टॉक इस समय में किफायती कीमत पर उपलब्ध हैं। लेकिन एक नियमित रिटेल निवेशक को अभी भी सतर्क रहना चाहिए और जानबूझ कर गलती करने से बचना चाहिए, क्योंकि हमें यह पता नहीं है कि दुनिया भर से आ रही खबरों के बीच और कितनी बिकवाली होगी।
- अस्थिरता के बावजूद एसआईपी के जरिए म्यूचअल फंड में निवेश करना जारी रखिए
- अपनी म्युचुअल फंड एसआईपी को मत रोकिए
- यदि आप कुछ दिन देखें और इंतजार करें और यह तूफान थम जाए तो शांत वातावरण में ऐसे निवेश अवसर मिल सकते हैं, जो आकर्षक हों और आप इनमें पूरी रिसर्च व सही सलाह के आधार पर निवेश कर सकते हैं।
- एफएमसीजी जैसे क्षेत्र ज्यादातर फंड मैनेजरों की प्राथमिकता में रहेंगे। अगले तीन माह में ज्यादातर निवेशकों को इक्विटी बाजारों का अहसास होगा।
एसआईपी इनफ्लो डाटा की हालिया रिपोर्ट के अनुसार यह अच्छी बात है कि अस्थिरता के बावजूद रिटेल निवेशक ने इसमें कमी नहीं की है। दीर्घावधि में एसआईपी संपत्ति निर्माण का अच्छा जरिया है।
(लेखक 5पैसा डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)