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वारेन बफेट ने बेचे एयरलाइन कंपनियों के शेयर, आइए समझते हैं इसके पीछे की वजह

Investment Tips किसी भी दौर में संकट का काल गुजर जाने के बाद ही पता चल पाता है कि उसके लिए किसकी तैयारी कैसी थी। शेयर बाजार और निवेश के मामले में तो यह बात अक्षरश सत्य है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 10:18 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 07:55 PM (IST)
वारेन बफेट ने बेचे एयरलाइन कंपनियों के शेयर, आइए समझते हैं इसके पीछे की वजह
वारेन बफेट ने बेचे एयरलाइन कंपनियों के शेयर, आइए समझते हैं इसके पीछे की वजह

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कोरोना संकट के इस दौर में कहा जाने लगा है कि लोगों के व्यवहार के लिहाज से सबकुछ बदल जाएगा और सबकुछ डिजिटल और वर्चुअल और रिमोट हो जाएगा। लेकिन यह ठीक वैसा ही होगा जैसा कहा जा रहा है, ऐसा भी नहीं है। मनुष्य एक सामाजिक प्रजाति है और जिस तरह की बातचीत मानवीय गतिविधियों के लिए जरूरी है वह डिजिटल लिंक और शारीरिक दूरी के साथ नहीं हो सकती है। दुनिया के सबसे सधे निवेशकों में से एक वारेन बफेट ने हर वर्ष निवेशकों से होने वाली बातचीत के नवीनतम अंक के तौर-तरीकों से यह जाहिर कर दिया है कि मेल-जोल का अपना मोल और महत्व है। लेकिन एक निवेशक के तौर पर उन्होंने एयरलाइंस कंपनियों के शेयर बेचकर जो संकेत दिए हैं, उनमें निवेशकों के सीखने के लिए बहुत कुछ है।  

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कहते हैं कि किसी भी दौर में संकट का काल गुजर जाने के बाद ही पता चल पाता है कि उसके लिए किसकी तैयारी कैसी थी। शेयर बाजार और निवेश के मामले में तो यह बात अक्षरश: सत्य है। इन्वेस्टिंग यानी निवेश करना सरल है, लेकिन यह आसान नहीं है। एक बहुत अमीर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी संतानों के लिए भी कुछ जरूरी रकम छोड़ दे, ताकि वे मेहनत से कोई काम करना चाहें तो धन की कमी आड़े नहीं आए। लेकिन इस भाव से तो बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए कि उन्हें जीवन में कमाने की जरूरत नही नहीं पड़े। अगर आप एक स्टॉक 10 वर्षों तक रखने की इच्छा नहीं रखते हैं तो आपको इसे 10 मिनट तक भी रखने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। 

अगर ज्ञानवर्धक किताबों के बीच घिरे रहने से ही कोई बुद्धिमान और ज्ञानी हो सकता, तो दुनिया में सबसे ज्यादा बुद्धिमान लाइब्रेरियन होते। दशकों के दौरान वारेन बफेट ने अपने शेयर होल्डर्स को सालाना पत्र लिखे हैं। उन्होंने शेयरधारकों की सालाना आमसभा में जो बातें कहीं हैं उनमें ऐसी कहावतों का एक समृद्ध खजाना मिला है। यह कहावतें न सिर्फ निवेश और रकम के मामलों में गाइड करती हैं बल्कि आम जीवन में भी बहुत उपयोगी हैं। हर साल मई में होने वाली सालाना आमसभा इस बार रद कर दी गई, लेकिन बफेट के साथ सवाल-जवाब का सत्र आयोजित किया गया। हर साल की तरह इस बार भी ऑनलाइन ऑडिएंस थे। शायद पहले से ज्यादा थे। दिलचस्प बात यह है बफेट ने इस सत्र के आयोजन के लिए अपने गृह नगर ओमाशा, नेब्रास्का का वही विशाल ऑडिटोरियम चुना। अंतर सिर्फ यह था कि खचाखच भरी सीटों की जगह 18,000 सीटें खाली थीं। आयोजन का माहौल यह दिखा रहा था कि इस तरह का माहौल जूम या गूगल मीट के सिंथेटिक डिजिटल इवेंट के जरिये बनाना मुश्किल था। इसने पूरे माहौल को इस तरह से बना दिया कि लग रहा था कि यह सामान्य आयोजन के लिए ड्रेस रिहर्सल था। और ऐसा आभास हो रहा था कि ऑडिएंस अभी-अभी आने वाले ही हों।

मेरे लिए यह उस आम चर्चा का जवाब लगता है जिसमें कहा जा रहा है कि लोगों के व्यवहार के लिहाज से सबकुछ बदल जाएगा और सबकुछ डिजिटल और वर्चुअल और रिमोट हो जाएगा। मनुष्य एक सामाजिक प्रजाति है और जिस तरह की बातचीत मानवीय गतिविधियों के लिए जरूरी है वह डिजिटल लिंक और शारीरिक दूरी के साथ नहीं हो सकती है। बफेट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जब सबसे पहले संकट सामने आया तो संभावनाओं की रेंज बहुत ज्याादा व्यापक थी। ऐसा हेल्थ और इकोनॉमिक दोनों क्षेत्र के लिए था। लेकिन कुछ माह बीतने के बाद अब हेल्थ के क्षेत्र में संभाावनाएं सिकुड़ गई हैं। हालांकि इकोनॉमिक क्षेत्र के लिए संभावनाओं की रेंज अब भी बहुत व्यापक है। यह सही बात है कि बफेट ने मजबूती और रिकवरी की बात की। इसके बावजूद उनकी कंपनी बर्कशायर हैथवे ने बहुत बड़े पैमाने पर स्टॉक बेच दिए। और सबसे अहम बात यह है कि उन्होंने अपने सभी एयरलाइन स्टॉक बेच दिए। शेयर बाजार में दांव लगाने वाले किसी व्यक्ति के लिए ऐसा करना सामान्य बात है। लेकिन लंबी अवधि के दिग्गज निवेशक की ओर से उठाया गया यह कदम चैंकाने वाला था। इस लेख की शुरूआत में 10 साल निवेश करने के बारे में आई बात पर गौर करें तो लगेगा कि बफेट का सारा एयरलाइंस स्टॉक बेचने का कदम एयरलाइन बिजनेस में लंबी अवधि की कारोबारी संभावनाओं पर नकारात्मलक टिप्पणी की तरह है। 

निश्चित तौर पर, जैसा कि बहुत से विश्लेषकों ने कहा भी है, इसका यह मतलब नहीं है कि दुनियाभर की सभी एयरलाइंस कंपनियों की कब्र खुद जाएगी। लेकिन यह न सिर्फ एयरलाइंस बल्कि इससे जुड़े कई बिजनेस के लिए भरोसे के स्तर का संकेत जरूर देता है। हालांकि हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि बफेट और चार्ली मंगर भविष्य के बारे में अनुमान लगाने के कारोबार में नहीं हैं। असल में वे बहुत कम जोखिम उठाने के नजरिये के साथ इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो मैनेज करने के बिजनेस में हैं। उन्होंने सारा एयरलाइन स्टॉक बेच दिया इसका मतलब है कि बफेट ने संभावनाओं की रेंज पर विचार किया और अंदाजा लगाने की जगह सारी रकम निकाल लेना बेहतर समझा। ऐसा भी हो सकता है कि एयरलाइंस सेक्टर में नए मौके बनें, लेकिन हाथ में पूंजी हो तो निवेश और काम के दर्जनों नए आयाम सामने नजर आते हैं। एक आम आदमी के अनुमान और निवेश की दुनिया के बडे खिलाड़ी के कदम का अंतर ही यह तय करेगा कि इन्वेस्टेमेंट और कंपनियों का क्या होगा। इसके साथ ही मैं यह भी मानता हूं कि अप्रैल में इक्विटी निवेश में जो जोरदार तेजी आई, वह सिर्फ तात्कालिक उत्साह का नतीजा नहीं है, बल्कि इसके कुछ निहितार्थ आगे दिख सकते हैं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीइओ हैं। ये लेखक के निजी विचार हैं।)


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