आने वाले समय में दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में बढ़ सकती है रियल एस्टेट की मांग, जानिए क्या होगी वजह
रिवर्स माइग्रेशन बेहतर कीमत निर्धारण एवं बड़े स्थानों की उपलब्धता और निर्माण की कम लागत के कारण महामारी ने टियर II और III शहरों में घरों की मांग में तेजी लाई है। प्रमुख डेवलपर्स ने भूमि का उपयोग करने के लिए छोटे शहरों की ओर ध्यान केंद्रित किया है।
नई दिल्ली, रोहित पोद्दार। अर्थव्यवस्था में समग्र मंदी और कोरोना के प्रभाव ने रियल एस्टेट मार्केट की बिक्री को बुरी तरह से प्रभावित किया है। रियल एस्टेट उद्योग पर निर्भर 40 क्षेत्र भी इससे प्रभावित हुए हैं। रियल एस्टेट पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण प्रोजेक्ट लॉन्च, कम बिक्री, चालू निर्माण परियोजनाओं में रोक आदि में देरी हुई है। अनलॉक के बाद से क्रमिक रूप से मिल रहे प्रोत्साहन ने फिर से आर्थिक गतिविधि शुरू कर दी है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न पहलों और प्रोत्साहनों के माध्यम से सरकार द्वारा समर्थन ने रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग और बिक्री बढ़ाने के लिए गति शुरू की।
आवासीय क्षेत्र में मांग आवास क्षेत्र में बिक्री को बढ़ावा देगी, वहीं कोविड-19 के बाद के युग में विशेष रूप से रेडी-टू-मूव-इन और नियर-कंप्लीशन प्रोजेक्ट्स के लिए उम्मीद की जा सकती है। चूंकि मार्केट अंतिम उपयोगकर्ता द्वारा संचालित है, इसलिए सरकार से उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में मदद, माइग्रेशन और रिवर्स माइग्रेशन के कारण कुशल कार्यबल, सस्ते रियल एस्टेट भूमि की तलाश कर रहे कॉर्पोरेट और उच्च पूंजी वृद्धि जैसे कई कारणों से टियर 2/3 शहरों में मांग तेजी से बढ़ी है।
कोविड-19 महामारी ने स्थायी रूप से आदतों को बदल दिया है जो रियल एस्टेट की मांग को प्रभावित कर सकती हैं। उपभोक्ता गैर आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर उच्च खर्च करने के बजाय आवश्यक चीज़ों को संभालकर उन्हें लंबे समय तक टिकाने की कोशिश कर रहे हैं। विकास के लिए एक अच्छा साल प्रतीत होने वाला 2020 अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले हर क्षेत्र के लिए एक चुनौतीपूर्ण वर्ष बन गया है। कोविड-19 के प्रभाव ने पूरी अर्थव्यवस्था को रोक दिया है, जिसने उपभोगताओं की प्राथमिकता में निश्चित व्यवहार परिवर्तन लाया है। रिवर्स माइग्रेशन, बेहतर मूल्य आधारित कीमत निर्धारण एवं बड़े स्थानों की उपलब्धता और निर्माण की कम लागत के कारण महामारी ने टियर II और III शहरों में घरों की मांग में तेजी लाई है।
प्रमुख डेवलपर्स ने लंबे समय तक पड़ी रखी हुई भूमि का उपयोग करने के लिए छोटे शहरों की ओर ध्यान केंद्रित किया है। वर्तमान में शीर्ष सात शहरों में भारत के आवासीय बाजार का लगभग 70% हिस्सा है, शेष 30% टियर II और III शहरों में है। टीयर II शहरों में रिकवरी काफी बेहतर है क्योंकि पेशेवर अब अपने होम टाऊन में बैकअप हाउस में निवेश करने की दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बढ़ती मांग के निम्नलिखित कारण हैं:
घर खरीदारों की मांग और प्राथमिकता में बदलाव
रियल एस्टेट क्षेत्र में लॉकडाउन के बाद से पूछताछ और बिक्री में बढ़ोत्तरी हो रही है; जो लोग अपार्टमेंट किराए पर लेना पसंद कर रहे थे और बड़े रिटर्न्स पाने के लिए बाजार में अपने पैसे का एक बड़ा हिस्सा निवेश कर रहे थे, वे अब अधिक सुरक्षित चीज़ों में निवेश करने की सोच रहे हैं। वर्तमान स्थिति और सार्वजनिक धारणा को देखते हुए, यह संभावना है कि लोग अब उस चीज़ में निवेश करना चाहेंगे जो सुरक्षित है और जो बाजार की स्थिति के चपेट में न आता हो। यही कारण है कि रियल एस्टेट रफ़्तार पकड़ लेगी क्योंकि खरीदी गई संपत्ति यहां रहने के लिए होगी, आरबीआई की तरलता समर्थन के साथ मांग में फिर से तेज़ी दिखेगी।
रिवर्स माइग्रेशन
प्रवासी मजदूर, जो महामारी के दौरान स्थानांतरित हो गए थे, के वापस रहने और परिवार के पास नौकरी के अवसरों की तलाश करने की संभावना हैं। इसके कारण छोटे शहरों में विभिन्न विकास और निर्माण कार्य इन मजदूरों को रोजगार देने के लिए शुरू किए गए थे।
किफायती मूल्य निर्धारण
कीमतें सीमित रहने की संभावना है क्योंकि डेवलपर्स मौजूदा इन्वेंट्री को निकालने के लिए इच्छुक होंगे। वर्क फ्रॉम होम के भारतीय कॉरपोरेट्स में स्वीकृति पाने की संभावना है, जिससे पेशेवरों के रिवर्स माइग्रेशन में तेजी आ सकती है। परिणामस्वरूप, टियर II और टियर III शहरों में आवास की मांग में तेज़ी आ सकती है।
अधिक स्थान
घर खरीदार को टीयर 2 और 3 शहरों में आसानी से बड़े घर मिल सकते हैं, जिससे वे न्यू नॉर्मल में घर की जरूरतों को रीडिजाइन कर सकते है। वर्क फ्रॉम होम और वर्चुअल एज्यूकेशन ने भी अधिक स्थान की आवश्यकता की ज़रूरत को बढ़ावा दिया है।
परिवेश और सुंदर वातावरण
घर खरीदार अब एक महानगरीय क्षेत्र की भीड़ और शोर से दूर एक जीवन शैली का निर्माण करने और सुंदर वातावरण का आनंद लेने के लिए समय बिताना चाहते हैं, फिर भी एक ऐसी जगह की तलाश उन्हें रहेगी जो शहरों की प्रमुख सुविधाओं की पेशकश करता हो।
गेटेड कम्युनिटी
गेटेड कम्युनिटी सुरक्षा के साधन के रूप में कई घर खरीदारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है। मेट्रो शहरों से भिन्न, टियर II और टियर III में घरों को बड़े निवेश की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए परियोजनाएँ प्रकृति केंद्रित स्मार्ट जीवन के साथ एक सुरक्षित कम्युनिटी प्रदान करने पर फोकस करते है।
बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर
बेहतर कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और नौकरी के अवसरों की पृष्ठभूमि में टियर II शहरों की मांग पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रही है।
ये डेवलपर्स जमीनी वास्तविकताओं को समझते हैं और तेजी से अनुकूल बनाने में सक्षम होते हैं। टियर 2/3 शहरों में विस्तार एक चालू प्रक्रिया है। इन शहरों में इंटीग्रेटेड टाउनशिप परियोजनाओं का विस्तार करने के लिए जमीन खरीदना न केवल मांग को बढ़ाने में बल्कि कमजोर रियल एस्टेट क्षेत्र को भी पुनर्जीवित करने में मदद कर सकता है।
(लेखक पोद्दार हाउसिंग एंड डेवलपमेंट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)