बजट 2019 में सस्ते आवास को प्राथमिकता, 2022 तक सबको घर देने का लक्ष्य
बजट ने वित्तीय बाजार की चिंताओं को कम किया है और सरकार के लिए सुधारों को पूरा करने की जमीन तैयार कर दी है।
[मोतीलाल ओसवाल]। बजट में यह अपेक्षा की गई थी कि विकास समावेशी विकास के सिद्धांत पर आधारित होगा और अपने पिछले कार्यकाल में सरकार द्वारा निर्धारित मध्यम और दीर्घकालिक उद्देश्यों को पूरा करेगा। बजट इन उम्मीदों को पूरा करता है। जहां तक मैं समझ पा रहा हूं, बजट में कृषि, एमएसएमई, एनबीएफसी, बुनियादी ढांचे और सस्ते आवास को प्राथमिकता दी गई है। व्यावसायिक भरोसे को पुनर्जीवित करने, निजी कैपेक्स रिकवरी, विनिर्माण पर कम ध्यान दिया गया है।
बजट ने वित्तीय बाजार की चिंताओं को कम किया है। बजट में सरकारी बैंकों में डालने के लिए अतिरिक्त 70,000 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। सरकार सरकारी बैंकों को चालू वित्त वर्ष के दौरान एक लाख करोड़ रुपये की मजबूत एनबीएफसी की पूलित संपत्ति खरीदने के लिए एक बार छह महीने की आंशिक क्रेडिट गारंटी (10 फीसद तक का पहला नुकसान) प्रदान करेगी। इससे पारंपरिक रूप से मजबूत एनबीएफसी को बैंकों से वित्तपोषण में मदद मिलेगी।
शेयर बाजार को भरोसा था कि सरकार विकास को गति देने के उपाय करेगी। इसके दो तरीके थे। पहला तरीका था कि अतिरिक्त टैक्स के जरिए सरकार के पास अधिक धन आए और फिर सरकार उस धन को अर्थव्यवस्था में खर्च करे और दूसरा तरीका था कि उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने के लिए लोगों के हाथों में अधिक पैसा छोड़ा जाए; सरकार ने पहले तरीके को चुना।
निकट भविष्य में बाजार में थोड़ा कम कारोबार होगा, सरकार ने विकास और उसके निष्पादन का रोडमैप नहीं दिखाया है। यदि निकट भविष्य में बाजार कमजोर हो जाते हैं तो यह इक्विटी बढ़ाने का बेहतर अवसर होगा, क्योंकि बजट दीर्घकालिक स्तर पर आशाजनक लग रहा है।
राष्ट्रीय आवास बोर्ड (एनएचबी), पुनर्वित्तपोषक और ऋणदाता होने के साथ ही साथ आवास वित्त क्षेत्र का नियामक भी था जो कुछ हद तक परस्पर विरोधी था। इसलिए, एनएचबी से एचएफसी पर नियामक अधिकार को वापस लेकर उसे आरबीआइ को सौंपने के फैसले से इस क्षेत्र को मजबूत बनाने और वित्तीय उद्योग में इसे दूसरों के बराबर लाने में मदद मिलेगी।
बजट ने सरकार के लिए अगले पांच वर्षों में अपने सुधारों को पूरा करने की जमीन तैयार कर दी है। हालांकि, घोषणाएं अति सूक्ष्म स्तर पर की गई हैं, आने वाले दिनों में इन्हें किस तरह से लागू किया जाएगा और अर्थव्यवस्था पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा इसको समझने के लिए हमें इन प्रस्तावों को विस्तार से देखना होगा। कुल मिलाकर,हमारा मानना है कि बजट से अर्थव्यवस्था के विकास को गति मिलेगी।
(मोतीलाल ओसवाल, एमओएफएसएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक)