नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कारोबार में ग्राहकों की संतुष्टि अच्छी बात है, क्योंकि वह भविष्य में बेहतर कमाई का संकेत हो सकता है। लेकिन यह सिर्फ एक सोच और संभावना है, कोई अनिवार्यता नहीं। निवेशकों के लिए वही कंपनियां बेहतर हैं जिनके बंधे-बंधाए ग्राहक हैं और जिनसे रिटर्न आना लगभग निश्चित है। एक बात बार-बार कही जाती है। अगर कस्टमर संतुष्ट है तो यह अच्छा संकेत है। यह बात काफी हद तक सच है। हालांकि जैसा विज्ञान में होता है, उसी तरह से अगर हम इक्विटी में निवेश की बात करें तो 'सच होना चाहिए का' कोई मतलब नहीं है। इसकी वजह यह है कि इसे मापना संभव नहीं है। क्या कस्टमर की संतुष्टि और शेयरधारकों के लिए ऊंचे रिटर्न का आपस में कोई रिश्ता है, जो सामने आना चाहिए?

दिलचस्प बात यह है कि कई ऐसे बिजनेस हैं जिनके साथ मैं शेयरधारक के तौर पर व्यक्तिगत रूप से काफी खुश हूं, लेकिन एक कस्टमर के तौर पर ऐसा नहीं है। हो सकता है कि मैं एक शेयरधारक के रूप में किसी बैंक से काफी खुश हूं और ग्राहक के रूप में बिल्कुल नहीं। इसी तरह ऐसे कई कारोबार और कंपनियां हैं जिनके प्रति ग्राहकों और शेयरधारकों की धारणाएं शायद बहुत अलग-अलग हैं।

इस मुद्दे पर सोचने वाले ज्यादातर लोगों के अनुसार अक्सर निवेशकों की नजर में किसी कंपनी के पास संतुष्ट ग्राहक होने का मतलब यह है कि वह भविष्य में मुनाफा कमाएगी। निवेशक तो यह मानते ही हैं, जो निवेशक नहीं हैं वे भी इस बात को समझेंगे कि रिटर्न बढ़ाने वाली सबसे जरूरी चीज कंपनी के वित्तीय नतीजे होते हैं। इसके साथ दूसरी सूचनाएं जैसे इंडस्ट्री और बिजनेस आउटलुक, मैनेजमेंट की गुणवत्ता, नियामकीय माहौल और मौजूदा स्टाक कीमतें भी इसका बड़ा कारक होती हैं।

निवेशक सिर्फ कंपनी के भविष्य के बारे में सोचता है। वह यह देखता है कि उसका फायदा कंपनी की आगामी नीतियों और शेयर भाव पर निर्भर करेगा। अगर कोई कंपनी बीते वर्षो में अपना मुनाफा बढ़ा रही है तो अधिक संभावना है कि वह भविष्य में भी ऐसा करेगी। अगर मैंनेजमेंट ने बीते समय में कंपनी को अच्छी तरह से चलाया है तो संभावना यही है कि वह आगे भी उसे ऐसे ही चलाता रहेगा। लेकिन इक्विटी रिसर्च के बारे में हम शायद ही इस तरह से सोचते हैं, क्योंकि यह भविष्यवाणी करने का तरीका है।

असल में संतुष्ट कस्टमर होना अच्छी बात है। लेकिन उससे भी अच्छी बात यह है कि ग्राहक अपने पसंदीदा ब्रांड या कंपनी को आसानी से छोड़ नहीं पाए। कई बार कंपनी छोड़ नहीं पाना ग्राहक की मजबूरी भी होती है। जैसे कि आप बैंक के कर्मचारियों या ग्राहकों के प्रति उनके व्यवहार अथवा सेवाओं से कितने भी असंतुष्ट क्यों न हों, आप आसानी से अपना बैंक नहीं बदल सकते।

पिछले दिनों दुनियाभर में फेसबुक, वाट्सएप व इंस्टाग्राम की सेवाएं कई घंटों तक बाधित रहीं। लेकिन जो नियमित तौर पर इनका उपयोग करते हैं, उनके लिए इन कंपनियों के विकल्प को अपना लेना सहज नहीं है। असल में फेसबुक जैसी कंपनियों के पास के पास आने-जाने वाले कस्टमर नहीं, बंधे-बंधाए कस्टमर हैं। यह बात कम से कम उन लोगों के लिए सच है जो सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। नतीजा स्पष्ट है। जिन कंपनियों के पास बंधक हैं, वे रिटर्न देने के मामले में संतुष्ट ग्राहक वाली कंपनियों से बेहतर हैं। आखिरकार निवेशक सिर्फ कमाई करने के लिए पूंजी निवेश करता है।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)

Edited By: Ankit Kumar