पैसिव फंड्स निवेश भी अच्छी रणनीति, जानिए एक्टिव फंड्स से कैसे अलग है यह
एक्टिव और पैसिव इंवेस्टमेंट के बीच अंतर को समझना होगा। एक्टिव फंड में फंड मैनेजर यह तय करता है कि बेंचमार्क इंडेक्स से आगे निकलने के लिए किन स्टॉक और सेक्टर में निवेश करना है। पैसिव फंड में फंड मैनेजर की सक्रिय भूमिका नहीं होती है।
नई दिल्ली, रितु मोदी। बढ़ती महंगाई को देखते हुए सभी निवेशकों के लिए अपना पोर्टफोलियो अपग्रेड करना आवश्यक है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में एक्टिव या पैसिव स्ट्रैटजी का उपयोग करना चाहिए? इसका जवाब यह है कि एक ही पोर्टफोलियो में दोनों रह सकते हैं। ऐसे समय जब बाजार कोरोना महामारी के चपेट में था, तब पैसिव फंड की लोकप्रियता में भारी वृद्धि देखी गई। इंडेक्स फंड से लेकर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) तक, पैसिव इंवेस्टमेंट ने निवेशकों के हितों के साथ एसेट मैनेजमेंट के मामले में उनका विश्वास हासिल किया। जनवरी, 2020 में इंडेक्स फंड का औसत एयूएम लगभग तीन गुना बढ़कर 240 अरब रुपये और ईटीएफ (इसमें गोल्ड ईटीएफ भी शामिल है) 1.7 गुना बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये हो गया। इस वृद्धि की एक बड़ी वजह पिछले कुछ वर्षों के दौरान फंड हाउस द्वारा लॉन्च किए जाने वाले इंडेक्स और ईटीएफ फंड भी हैं।
एक्टिव और पैसिव इंवेस्टमेंट के बीच अंतर को समझना होगा। एक्टिव फंड में फंड मैनेजर यह तय करता है कि बेंचमार्क इंडेक्स से आगे निकलने के लिए किन स्टॉक और सेक्टर में निवेश करना है। जबकि पैसिव फंड में फंड मैनेजर की निवेश में कोई बड़ी और सक्रिय भूमिका नहीं होती है। क्योंकि यहां पर फंड पहले से तय बेंचमार्क को ही दोहराता है और रिटर्न देता है। समय के साथ बाजार बदल रहा है और पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि एक्टिव फंड बेंचमार्क इंडेक्स से आगे नहीं निकल पा रहे हैं।
एसपीआइवीए के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2020 तक 87.95 फीसद लार्ज कैप फंड्स ने पांच वर्षो की अवधि में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। एक साल की अवधि का आकलन करें तो 80.65 फीसद फंड ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। इंडेक्स के रिटर्न का अनुसरण करने वाले पैसिव फंड निवेश के एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरे हैं। ना केवल इनका प्रदर्शन अच्छा है बल्कि यह कम लागत वाले होते हैं, क्योंकि इनका प्रबंधन खर्च बहुत कम होता है। लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाला कोई भी व्यक्ति प्रबंधन से जुड़े खर्चो पर विचार जरूर करेगा।
ईटीएफ में निवेश बढ़ने की एक बड़ी वजह इसका लचीलापन है। विविधिकरण और म्यूचुअल फंड की कम लागत के चलते भी यह लोकप्रिय हो रहा है। इसमें जोखिम कम है और प्रत्यक्ष निवेश की तुलना में फायदे ज्यादा हैं। दरअसल, पैसिव इंवेस्टमेंट प्रमुख तौर पर उन निवेशकों के लिए हैं जो फंड से जुड़ी जटिलताओं को नहीं जानते हैं। ईटीएफ के अलावा थीम बेस्ड ईटीएफ ने भी निवेशकों को आकर्षित किया है। निवेशक विशेष ईटीएफ की ओर रुख कर रह हैं, इससे उन्हें होल्डिंग में विविधता रखने में मदद मिलती है।
नए निवेशकों के लिए इंडेक्स फंड ज्यादा मायने रखते हैं, लेकिन ऐसे निवेशक कम लागत वाले पैसिव फंड को अपने पोर्टफोलियो में रखकर अतिरिक्त रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। निवेशक ईटीएफ/इंडेक्स फंड में इक्विटी के कुछ हिस्से को आवंटित करके एक मिश्रित पोर्टफोलियो बना सकते हैं। इससे कुछ हद तक जोखिम कम करने में मदद मिलेगी।
(लेखिका एलआईसी म्यूचुअल फंड असेट मैनेजमेंट लिमिटेड में फंड मैनेजर (इक्विटी) के पद पर हैं। प्रकाशित विचार लेखिका के निजी हैं।)