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बड़ा मुनाफा कमाने के लिए शेयर बाजार में निवेश क्यों सबसे बेहतर? समझिए

इक्विटी निवेश में बड़े रिटर्न के सभी गुण मौजूद हैं, बशर्ते निवेशक कुछ सधे नियमों को अपना लें और भटकाव से बचें

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 29 Apr 2018 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 02:41 PM (IST)
बड़ा मुनाफा कमाने के लिए शेयर बाजार में निवेश क्यों सबसे बेहतर? समझिए
बड़ा मुनाफा कमाने के लिए शेयर बाजार में निवेश क्यों सबसे बेहतर? समझिए

पर्सनल फाइनेंस के बारे में हर तरह की सलाह का निचोड़ सिर्फ इतना है कि लंबी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश ही सबसे अच्छा निवेश है। यह बात यूं ही नहीं कही जाती। ऐसा कहने के पीछे वजह यह है कि आंकड़े कभी झूठ नहीं बोलते। या कहें, तो इतिहास कभी गलतबयानी नहीं करता।

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पिछले कुछ दशकों के दौरान भारतीय इक्विटी बाजार में निवेश करने वालों को इस बाजार ने सालाना 18 फीसद तक का रिटर्न दिया है। सेंसेक्स ने इस दरम्यान करीब 18.5 फीसद तक का रिटर्न दिया है।

सच तो यह है कि एक दशक या उससे ज्यादा वक्त तक बाजार में टिकने वाले कई इक्विटी फंड्स ने बेहतर प्रदर्शन किया है। बल्कि उनमें से कुछ ने तो बेहतरीन मुनाफा दिया है। इसमें अगर सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआइपी या सिप को भी जोड़ दें, तो मामला कुछ और ज्यादा ललचाने वाला लगने लगता है। इसकी वजह यह है कि खुद पूरे सेंसेक्स ने एसआइपी के मोर्चे पर पिछले एक दशक के दौरान करीब 22 फीसद रिटर्न दिया है। उनमें से कई इक्विटी ने तो सेंसेक्स से काफी ज्यादा, करीब 25-30 फीसद तक रिटर्न देने में सफलता पाई है।

सच तो यह है कि अगर निवेश पर इस तरह का रिटर्न एक दशक या उससे ज्यादा वक्त तक बना रहे, तो वह निवेशक को बिना कोई अतिरिक्त जोखिम दिए धनवान बना सकता है।1अब इसे एक उदाहरण से समझते हैं। फर्ज कीजिए कि किसी ने पिछले एक दशक के दौरान हर महीने 20,000 रुपये किसी प्रचलित निश्चित आय ब्याज दर वाली योजना में लगाए। यानी 10 वर्षो के दौरान उसने कुल 24 लाख रुपये का निवेश किया। और 10 वर्षो के बाद उसे उस योजना से कुल 36 लाख रुपये मिले। लेकिन यही रकम अगर उसने किसी प्रचलित एसआइपी योजना में निवेश किया होता, तो उसे इसी अवधि के दौरान करीब 1.20 करोड़ रुपये मिले होते। दोनों योजनाओं में लगाई रकम पर आय में इतना ज्यादा अंतर है कि किसी की जिंदगी बदल सकती है।

जो भी हो, यह बात किसी से छुपी नहीं है कि ऐसे इक्विटी निवेशकों की संख्या बहुत कम है, जो रिटर्न में इस बड़े अंतर को ठीक से पहचान पाते हैं। अगर ऐसे निवेशक हैं भी, तो वे हर जगह मिलते नहीं हैं। वित्तीय सलाहकारों के इर्द-गिर्द अमूमन ऐसे निवेशकों का ही जमावड़ा होता है, जो इक्विटी निवेश पर या तो बड़ा नुकसान ङोल रहे होते हैं, या बहुत कम लाभ कमा रहे होते हैं।

आखिर ऐसा क्यों है? अगर इक्विटी में निवेश सच में इतना लुभावना है, तो निवेश की गली में लाभ कमाने वाले इक्विटी निवेशकों की भीड़ क्यों नहीं दिखाई देती? मेरी समझ में इसका जवाब इक्विटी निवेश के सिद्धांतों और प्रायोगिक सच के बीच बढ़ती खाई में छिपा है।

इक्विटी निवेश में बड़े रिटर्न के सभी गुण मौजूद हैं, बशर्ते निवेशक कुछ सधे नियमों को अपना लें और भटकाव से बचें। वे नियम क्या हैं? पहला नियम तो यह है कि मजबूती से बाजार में टिके चुनिंदा बड़े और मध्यम दर्जे के बड़े स्टॉक्स में निवेश करें। दूसरा, अपनी लागत को औसत स्तर पर बनाए रखने के लिए नियमित तौर पर निवेश करते रहें और यह निवेश सालों-साल तक करें। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण नियम तीसरा है। वह यह, कि बाजार गिरते वक्त निवेश कम नहीं करें और चढ़ते वक्त निवेश बढ़ाएं नहीं। मुङो नहीं पता कितने निवेशक इन नियमों का अक्षरश: पालन करते हैं।

सच तो यह है कि हम में से ज्यादातर लोगों के लिए किताबी बातें सिर्फ किताबी बनकर रह जाती हैं। हकीकत यह है कि हम करते वही हैं जो हमारा दिल कहता है। इसकी झलक तब मिलती है जब लोग एसआइपी से जुड़े सवाल पूछते हैं। एक सवाल तो करीब-करीब हर निवेशक पूछता है: मैं एक वर्ष से ज्यादा समय से एसआइपी में निवेश कर रहा हूं। क्या अब मैं मुनाफावसूली कर लूं?

इसका क्या जवाब दिया जाए। यह सवाल दो तर्को पर गलत है। पहला, और स्वाभाविक रूप से यह कि इस तरह के सवाल पूछने वाला निवेशक मान कर चलता है कि एक वर्ष का निवेश लंबी अवधि का निवेश है। लेकिन उससे ज्यादा गहरी दिक्कत यह है कि निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश और शॉट-टर्म पंटिंग में फर्क ही नहीं कर पाते। एक साल का निवेश कोई लांग टर्म निवेश नहीं होता। लेकिन निवेशकों की जल्दी ही कई बार नुकसान का कारण बनती है।

सच यह है कि इक्विटी निवेश सबके लिए फलदायी और सुलभ है। लेकिन इसके लिए निवेश की कळ्छ बुनियादी शर्तो का पालन बेहद जरूरी है।

(इस लेख के लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार हैं)


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