लंबी अवधि का निवेश ही फायदेमंद, जल्द रिटर्न की उम्मीद नुकसानदेह
पर्सनल फाइनेंस में बहुत सी शब्दावलियां बेमतलब की होती हैं, उनका कोई खास मतलब नहीं होता। कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जिनका मतलब कुछ भी निकाला जा सकता है
निवेशक हमेशा सुनते हैं कि इक्विटी में लांग टर्म यानी लंबी अवधि का निवेश ही फायदेमंद होता है। जल्दी रिटर्न की उम्मीद अक्सर नुकसान का कारण बनती है। लेकिन इस स्थिति में निवेशकों के सामने सबसे बड़ी परेशानी आती है कि आखिर कितनी लंबी अवधि को असल में लांग टर्म माना जाए? कुछ लोग एक या दो साल के निवेश को ही लांग टर्म मान लेते हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो हर उस निवेश को लांग टर्म मानते हैं, जो एक दिन से ज्यादा के लिए हो। लेकिन ऐसा नहीं है। निवेश के लिहाज से लांग टर्म असल में पांच साल या उससे ज्यादा को कहना ही तर्कसंगत होगा।
पर्सनल फाइनेंस में बहुत सी शब्दावलियां बेमतलब की होती हैं, उनका कोई खास मतलब नहीं होता। कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जिनका मतलब कुछ भी निकाला जा सकता है। फिर, कई ऐसे शब्द भी हैं जिनके मायने अलग-अलग लोगों और परिस्थितियों के हिसाब से बदल जाते हैं। अलग-अलग लोगों और परिस्थितियों के हिसाब से अलग मतलब रखने वाले दो शब्दों का ऐसा ही एक जोड़ा है ‘लांग टर्म’ यानी लंबी अवधि। लंबी अवधि असल में कितनी लंबी होती है? इस बारे में हर किसी का उत्तर अलग-अलग हो सकता है और सही मायनों में अलग-अलग लोगों के लिए इसके मायने बदल सकते हैं। अगर ऐसा है भी, तब भी लंबी अवधि सही मायनों में सबके लिए कोई ऐसी निश्चित अवधि जरूर होनी चाहिए, जिसमें निवेश रणनीति के फायदे परिलक्षित हो जाने चाहिए।
भूल जाना निवेश की सबसे अच्छी रणनीति: कुछ साल पहले फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स ने अमेरिका में यह पता लगाने के लिए अध्ययन कराया था कि किस तरह के निवेशकों को सबसे अच्छा रिटर्न मिला। इसमें उन्होंने पाया कि सबसे अच्छा रिटर्न उन निवेशकों को मिला जो कई वर्षो, या कई बार तो दशकों के लिए अपना निवेश भूल बैठे थे। इतना ही नहीं, सर्वे में पता चला कि कई निवेशकों का तो काफी समय पहले निधन हो गया था।
कुल मिलाकर सर्वे का हासिल यह था: जहां तक आपके निवेश पोर्टफोलियो को लंबी अवधि के लिए संभालने की बात है तो आपको वही करना चाहिए जो कोई मृत व्यक्ति कर सकता है। यानी कुछ मत कीजिए और निवेश को लगभग भूल जाइए।
फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स ने तो सर्वे में बहुत से निवेशकों को शामिल किया था। लेकिन हमारे यहां भी ऐसे किस्सों की कमी नहीं है। कुछ दिन पहले एक स्टॉक मार्केट चैनल पर इन्वेस्टर कॉल-इन शो के दौरान आए एक फोन कॉल से मुङो फिडेलिटी के इस अध्ययन की याद आ गई। सवाल पूछने वाला व्यक्ति इक्विटी बाजार की जानकारियों से अनभिज्ञ सा लग रहा था। उसने पूछा कि करीब 25 साल पहले उसके एक रिश्तेदार ने एमआरएफ के 20,000 शेयर खरीदे थे। वह जानना चाहता था कि आज उन शेयरों का कोई मूल्य है भी या नहीं। पता चला कि अगर उसकी बात सच है तो आज उन शेयरों की कीमत करीब 130 करोड़ रुपये है। यह भी संभव है कि कॉल करने वाले ने शेयरों की संख्या कुछ बढ़ा-चढ़ाकर बताई हो। इसके बावजूद यह तथ्य अपनी जगह बना रहेगा कि इतने वर्षो में इस कंपनी में किया गया निवेश करीब 200 गुना बढ़ चुका है।
लंबी अवधि यानी एक वर्ष से ज्यादा, लेकिन: जो लोग लंबी निवेश के मामले में तीन-चार महीने से ज्यादा की अवधि को भी लंबी अवधि का मान बैठते हैं, उनके लिए इस सवाल के बहुतेरे जवाब हो सकते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हर उस निवेश को लंबी अवधि का मानते हैं, जो एक दिन से ज्यादा के लिए हो। सवाल है कि असल में लांग टर्म निवेश है क्या?
इस मामले में भारत सरकार के राजस्व विभाग की ओर से एक आधिकारिक उत्तर है। टैक्स देनदारी की गणना के लिए लिस्टेड स्टॉक और इक्विटी म्यूचुअल फंड में सालभर से ज्यादा समय के लिए किए गए सभी निवेश को लंबी अवधि के निवेश की कैटेगरी में रखा जाता है। अन्य निवेश के मामले में यह समय सीमा तीन साल है। कराधान के लिहाज से यह एक कानून हो सकता है, लेकिन निवेश के लिहाज से इस पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। इक्विटी के लिहाज से एक साल बहुत छोटा समय है।
पांच-सात वर्षो का होता है पूरा निवेश चक्र: वापस बुनियादी सवाल पर चलते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कितनी अवधि को लंबी अवधि कहा जाए? इसका जवाब पाने के लिए सबसे पहले कुछ बुनियादी सवालों के जवाब खोजने चाहिए। मसलन, इक्विटी में निवेश लांग टर्म के लिए ही क्यों किया जाना चाहिए?
सबसे सटीक उत्तर है: अस्थिरता से बचने के लिए। पांच-छह वर्षो जितनी अवधि के निवेश में रिटर्न की रकम बेहद मजबूत होती है। लेकिन उससे कम की किसी भी अवधि के निवेश में अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर होती है। यह भी संभव है कि उससे कम अवधि में निवेश पर नुकसान हो। इसे देखने का दूसरा तरीका भी है। इक्विटी बाजार एक चक्र में काम करता है, और प्राय: तेजी, गिरावट, स्थिरता और फिर तेजी का एक चक्र पांच से सात साल में पूरा होता है। सही रिटर्न पाने के लिए हमें एक पूरे चक्र में निवेश करना होगा। यह एक या दो साल में नहीं हो सकता।
लांग टर्म का असल मतलब पांच वर्ष से ज्यादा: इसे देखने का एक और भी तरीका है। इसे वैल्यू रिसर्च की ओर से इस साल की शुरुआत में किए गए एक खास अध्ययन से मिले नतीजों से देखा जा सकता है। हमने पाया कि औसतन अगर आप एसआइपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिये चार साल के लिए निवेश करते हैं, तब नुकसान का खतरा नगण्य हो जाता है। एक से ज्यादा दशक तक के इतिहास के आधार पर पाया गया है कि किसी फंड में एक साल में जो अधिकतम संभावना है, वह है ज्यादा से ज्यादा 160 फीसद का रिटर्न या 57 फीसद का नुकसान। दो साल में यह संभावना अधिकतम 82 फीसद और न्यूनतम -34 फीसद रहती है। तीन साल में यह संभावना अधिकतम 63 फीसद और न्यूनतम -18 फीसद रहती है।
पांच साल में यह संभावना अधिकतम 54 फीसद और न्यूनतम चार फीसद की हो जाती है, जिसका अर्थ है कि नुकसान की आशंका शेष नहीं रहती। दस साल में यह अधिकतम 30 फीसद और न्यूनतम 13 फीसद हो जाती है। यह वार्षिक आधार पर तैयार आंकड़े हैं। इससे स्पष्ट है कि शॉर्ट टर्म में फायदा बहुत ज्यादा हो सकता है, लेकिन घाटे की आशंका भी उतनी ही ज्यादा रहती है। इससे स्पष्ट है कि लांग टर्म का मतलब पांच साल या उससे ज्यादा का समय है।
बस इसी में आपका उत्तर है। इक्विटी में निवेश के मामले में लांग टर्म का मतलब ऐसी अवधि नहीं है कि किसी की इच्छा से हाथ हिलाते ही बीत जाए। इसका सीधा सा अर्थ है पांच साल या इससे ज्यादा समय तक का निवेश।
(इस लेख के लेखक धीरेन्द्र कुमार है जो कि वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं।)