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साफ-सुथरा हो सकता है घर बेचने का बिजनेस, जानिए रियल एस्टेट मार्केट में क्या हैं खामियां

Real Estate Market असल में सूचना का प्रवाह और जानकारी की विश्वसनीयता सही और गलत मार्केट में सबसे बड़ा फर्क पैदा करती है। फिर सूचना का प्रवाह अच्छा हो या खराब हमें अपनी समझ का भी इस्तेमाल करना होता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 02:35 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 06:58 AM (IST)
साफ-सुथरा हो सकता है घर बेचने का बिजनेस, जानिए रियल एस्टेट मार्केट में क्या हैं खामियां
रियल एस्टेट ( P C : Pexels )

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। इंवेस्टमेंट मार्केट की तुलना में रियल एस्टेट मार्केट कहीं ज्यादा खराब तरीके से काम करता है। सही तरह से काम करने वाले मार्केट में पारदर्शिता होती है और चीजों के बारे में जानकारी आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलावा मांग, आपूर्ति और लेनदेन साफ-सुथरे होते हैं। अगर मार्केट में ये चीजें हैं, तो अधिकतम संभावना यही है कि खरीदार और विक्रेता दोनों को सही डील मिलेगी और उन्हें यह भरोसा भी होगा कि सही डील मिलेगी। सही डील मिलने का भरोसा वास्तव में सही डील मिलने जितना ही महत्वपूर्ण है।

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निश्चित तौर पर इस लिहाज से फाइनेंशियल मार्केट खामियों से मुक्त नहीं है। छोटी कंपनियों और कम ट्रेडिंग वाले स्टॉक्स के लिहाज से मार्केट अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है। हालांकि, तब भी इंवेस्टमेंट मार्केट के काम करने का तौर-तरीका रियल एस्टेट मार्केट जितना खराब नहीं है। समस्या यह है कि रियल एस्टेट से पेशेवर जुड़ाव न रखने वाले सामान्य व्यक्ति को कभी-कभी इससे डील करना पड़ता है। एक सामान्य निवेशक स्टॉक्स में निवेश करते हुए अनुभव और विशेषज्ञता हासिल करने की उम्मीद रखता है। लेकिन रियल एस्टेट में निवेश बहुत से लोगों के लिए बहुत खतरनाक हो जाता है।

असल में सूचना का प्रवाह और जानकारी की विश्वसनीयता सही और गलत मार्केट में सबसे बड़ा फर्क पैदा करती है। फिर, सूचना का प्रवाह अच्छा हो या खराब, हमें अपनी समझ का भी इस्तेमाल करना होता है। दिक्कत यह है कि ज्यादातर लोगों की रियल एस्टेट के काम करने तरीके को लेकर समझ बहुत पुरानी है। आमतौर पर खरीदार रियल एस्टेट को लेकर पुरानी सोच से बंधा हुआ है। खरीदारों में यह पुरानी सोच पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ रही है।

दशकों पहले तक यह सोच सही थी। लेकिन रियल एस्टेट डेवलपर्स ने नए तौर-तरीके अपना लिए और फिर खरीदारों की सोच का आज के लिहाज से कोई मतलब नहीं रह गया। पहले प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ने के शायद पांच स्रोत होते थे और आपका अंतिम मुनाफा इन सभी का उत्पाद होता था। ये स्रोत थे - कृषि भूमि को रेजिडेंशियल या कॉमर्शियल में बदल लेना, जमीन के नए मकसद के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना, इलाके में आबादी बढ़ने के साथ जमीन का आवासीय या कॉमर्शियल रूप से वहनीय होना, रियल एस्टेट में समय-समय पर आने वाली तेजी या गिरावट, और सामान्य आíथक विकास और अर्थव्यवस्था की महंगाई, जो प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ातीं थीं।

हाल के दिनों तक घर बनाने वाला इन पांच चरणों में से तीन या चार चरणों में कीमतों में होने वाला इजाफा हासिल कर सकता था। कभी-कभी ऐसा सभी पांच चरणों के लिए भी हो सकता था। वर्तमान सदी की शुरुआत में रियल एस्टेट डेवलपर्स ने सभी पांच चरणों का फायदा उठाने का प्रयास शुरू कर दिया।

अक्सर डेवलपर्स पांचवे चरण की भविष्य की कीमत भी हासिल करने का प्रयास करते हैं। इसके लिए वे अक्सर ऐसी कीमत की बात करते हैं जो भविष्य के लिहाज से उचित साबित हो सकती है। यह हमारे माता-पिता की पीढ़ी के समय के लिहाज से ठीक विपरीत था।

हो सकता है कि रियल एस्टेट बिजनेस के काम-काज में कुछ सुधार आए क्योंकि महामारी ऐसे समय में आई है जब सेक्टर में कीमतें पिछले चार-पांच वर्षो से एक ही स्तर के आसपास हैं। हो सकता है कि डेवलपर्स ने यह सपना देखना छोड़ दिया हो कि कीमतें हमेशा बढ़ती रहेंगी।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)


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