ब्याज दर कम होने के बाद भी आपके लिए सर्वोत्तम विकल्प है ईपीएफ, जानिए कैसे
जानिए ब्याज की दरों में की गई कटौती के बाद भी ईपीएफ आपके लिए अभी भी सर्वोत्तम विकल्प क्यों है
बलवंत जैन। ईपीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर में सरकार ने 0.15 फीसदी की कटौती की है। अब आपको ईपीएफ के बैलेंस पर 8.65 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज मिलेगा। ब्याज की दरों में की गई कटौती के बाद भी ईपीएफ आपके लिए अभी भी सर्वोत्तम विकल्प क्यों है जानते हैं..
1. ईपीएफ में जमा होने वाली राशि सामान्यत: आपकी निवृत्ति के समय ही मिलती है और जिंदगी के जितने भी आर्थिक लक्ष्य होते हैं उसमें सेवा निवृत्ति का आर्थिक नियोजन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर आप ईपीएफ में निवेश करने की जगह पैसा कहीं और निवेश करते हैं तो उस पैसे के किसी और उदेश्य या काम में व्यय हो जाने की संभावनाएं ज्यादा है और इस तरह आपके निवृत्ति के आर्थिक नियोजन के पूर्णत: सफल होने में बाधक होगा।
2. सभी निवेश उत्पादों पर मिलने वाला ब्याज, उस समय पर चल रहे ब्याज के चक्र पर निर्भर है। अगर ईपीएफ के ब्याज की दरों में कमी हुई है तो अन्य निवेश उत्पादों पर मिलने वाले ब्याज की दरों में या तो पहले से ही कमी हो गई है या फिर निकट भविष्य में घटने की पूरी संभावना है। अत: ऐसा नहीं है कि सिर्फ अकेले ईपीएफ की ब्याज दरों में ही कटौती हुई है बाकि निवेश उत्पादों की दरें भी नीचे आ चुकी है या आ रही है।
3. ईपीएफ की दरों में आई ताजा कटौती के बाद भी अगर देखा जाए तो अन्य निवेश उत्पादों पर मिलने वाले ब्याज से ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज ज्यादा है। उदाहरण के लिए बैंक डिपॉजिट पर 7 फीसदी, एनएसपी पर 8 फीसदी एवं पीपीएफ पर 8 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा और निकट भविष्य में इसमें और कमी आने की पूरी संभावना है विशेषरुप से जब सरकार ने ईपीएफ की दरों में कटौती की है जो राजनीतिक रूप से ज्यादा संवेदनशील है।
4. अब जब सरकार ईपीएफ में से इक्विटी में निवेश की सीमा 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर चुकी है और भारतीय अर्थव्यवस्था की लंबे समय में अच्छा करने की संभावनाओं को देखते हुए यह 10 फीसदी इक्विटी निवेश का छोंक ईपीएफ के रिटर्न को बढ़ाने में मदद करेगा। परंतु ब्याज दरों में भविष्य में होने वाली कटौती की वजह से अन्य उत्पादों पर मिलने वाला ब्याज और कम हो सकता है।
5. चूंकि ईपीएफ का निवेश हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है परंतु अन्य उत्पादों में निवेश करना ऐच्छिक है और निवेश अनिवार्य होने की वजह से भी आपकी बचत की आदत बन जाती है जिसकी वजह से आप ईपीएफ की कटौती के बाद हाथ में आने वाले वेतन से घर चलाने की आदत पड़ जाती है परंतु अगर निवेश ऐच्छिक हो तो उस पैसे के खर्च हो जाने की संभावना बहुत ज्यादा है अत: ईपीएफ के निवेश की अनिवार्यता ही अपने आपमें एक महत्वपूर्ण तर्क बन जाता है।