Move to Jagran APP

'शेयर बाजार में निवेश को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने का समय, जोश में आकर ना लगाएं पैसे'

Share Market में निवेश करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 12:15 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 01:29 PM (IST)
'शेयर बाजार में निवेश को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने का समय, जोश में आकर ना लगाएं पैसे'
'शेयर बाजार में निवेश को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने का समय, जोश में आकर ना लगाएं पैसे'

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। आजकल शेयर बाजारों में जबरदस्त उठापटक देखने को मिल रही है। दैनिक गिरावट या उछाल तो हो ही रहा है, शेयर कुछ ही घंटों में अर्श और फर्श का सफर करते नजर आ रहे हैं। ऐसे समय में कोई इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता कि यह मार्केट में खलबली मचने का समय है। लेकिन इन सबके बावजूद एक बात हमें थोड़ा संतोष जरूर देती है कि बाजार में पहले भी ऐसे भूचाल आ चुके हैं और निवेशक उनसे उबरने में सफल रहे हैं। चीजें कितनी भी बेरंग क्यों न हों, पासा पलटना तो निश्चित है। ऐसे में मार्केट को पटरी पर लौटने की उम्मीद लगाना कोई बेमानी नहीं है। 

loksabha election banner

शेयर बाजारों में जब-जब बड़ी हलचलें हुई हैं कुछ नया देखने को मिला है। लेकिन कोरोना के चलते पैदा हुए हालात कुछ अलग कहे जा सकते हैं। इस बार बाजार धड़ाम होने का कारण बाहरी है। वैसे इक्विटी निवेश हमेशा जोखिम का विषय होता है। जब हम शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो मुनाफे के साथ ही जोखिम को भी दावत देते हैं और हमें इसकी संभावना को नकारना भी नहीं चाहिए। बिना जोखिम उठाए मुनाफे की उम्मीद करना तर्कसंगत नहीं होगा। शेयर बाजार में किया गया निवेश हमेशा इकोनॉमी और कारोबार के बेहतर प्रदर्शन का मोहताज होता है। इसके अलावा कुछ अन्य बाहरी वजहें भी इसे प्रभावित करती हैं। हम निवेशकों को अक्सर यह भ्रम हो जाता है कि इक्विटी में जोखिम केवल आर्थिक जगत की उपज होता है। जबकि असल में हर बार ऐसा होता नहीं हैं। अब कोरोना के मामले को ही ले लें। यह सीधे तौर पर वित्तीय बाजारों की समस्या नहीं था। लेकिन अंत में हुआ क्या? चीन से उपजा यह संकट देखते ही देखते दुनियाभर में फैल गया और ग्लोबल शेयर मार्केट को गंभीर संकट में डाल दिया। यह स्थिति वर्ष 2001 या 2008 के संकट से एकदम अलग है। उस दौरान वित्तीय जगत से उभरे संकट पर जल्द ही काबू पा लिया गया था। लेकिन इस बार फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा। 

बाजार पर छाए संकट के इन बादलों को लेकर कोई टिप्पणी करना आसान नहीं है। यह स्थिति कब तक बनी रहेगी और इसका प्रभाव कितना गहरा होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोना का उग्र रूप अभी आना शेष हो सकता है। इसके चलते इकोनॉमी को अब तक हुए नुकसान का अंदाजा भी लगाना आसान नहीं है। आने वाले कुछ समय में स्थिति और साफ होगी। हाल में गूगल ने दक्षिण अमेरिका के अपने 10 हजार कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कहा है। इस दौरान वे कर्मचारी ऑफिस आएंगे जिनका कार्य घर से संभव नहीं है। मुझे आशंका है कि आने वाले कुछ दिनों में सभी टेक्नोलॉजी कंपनियों को ऐसी घोषणा करनी पड़ सकती है। 

घर से काम करने वाले कर्मचारी कब वापस लौटेंगे? क्या आगे से काम करने का पैटर्न बदल तो नहीं जाएगा? ऑफिस के लिए ढांचागत व्यवस्था देने वाले कारोबार पर इसका क्या प्रभाव होगा? ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनपर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हम इस समय कोरोना संकट के प्राथमिक दौर से ही गुजर रहे हैं। आगे चलकर यह संकट कौन सा मोड़ लेगा, इकोनॉमी को यह कितनी चोट पहुंचाएगा? इन सवालों का जवाब भविष्य की गर्त में छुपा है। 

एक निवेशक के रूप में हमें यह मानकर चलना चाहिए कि यह वास्तविक ऊहापोह की स्थिति है। ऐसे समय बाजार के जानकार अलग-अलग मतों के साथ सामने आएंगे। इनमें कुछ निवेश को लेकर आशावादी नजरिया पेश करेंगे तो कुछ निवेश से दूर रहने की सलाह देंगे। अब आपको कौन सा रास्ता चुनना है इसका निर्णय पूरी तरह से आपकी मनोदशा पर निर्भर करता है। हालांकि मैं यही कहूंगा कि ऐसे में धैर्य रखने की जरूरत है। जोश में आकर किसी तरफ बह जाना सही नहीं है। शेयर बाजारों के जो हालात हैं वे कब तक जारी रहेंगे और कहां तक जाएंगे कुछ कहा नहीं जा सकता। इस समय सबसे बेहतर यही होगा कि मूल बातों को ध्यान में रखा जाए। कोरोना के प्रकोप के बाद भी जीवन चल रहा है, रोजाना की गतिविधियां जारी हैं। हालांकि वही चीजें अब दूसरे तरीकों से या अतिरिक्त सावधानी के साथ हो रही हैं। इसी तरह से आर्थिक गतिविधियां भी जारी रहेंगी, लेकिन सावधानी के साथ। ऐसे समय में सावधानीपूर्वक किए गए गुणवत्तापूर्ण निवेश से बेहतर रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। 

कोरोना के प्रकोप के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका के कारण ग्लोबल शेयर बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसी स्थिति में कोई भी निश्चित अनुमान लगाना आसान नहीं है। यह संकट कब तक बना रहेगा और इसका प्रभाव कितना गहरा होगा, इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फिलहाल मौजूदा हालात को देखते हुए यह और गहराता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में निवेश को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। जोश में आकर किसी तरफ बह जाना सही नहीं है। निवेशकों को मूल सिद्धांतों के इर्दगिर्द रहकर ही निवेश का फैसला लेना चाहिए।

(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं और ये उनके निजी विचार हैं।)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.