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कोरोना काल में शेयर बाजार में लगा रहे हैं पैसे, तो बस इस बात पर दें ध्यान

हम निवेशकों को अपने काम पर फोकस करने की जरूरत है। यानी सतर्कता के साथ सभी संभावनाओं पर विचार करते हुए निवेश करना। बाजार का ऊंट किस करवट बैठेगा इसका जवाब मायने नहीं रखता है क्योंकि हमारे पास कोई चुनाव नहीं है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 10:27 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 06:15 PM (IST)
कोरोना काल में शेयर बाजार में लगा रहे हैं पैसे, तो बस इस बात पर दें ध्यान
निवेशकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि निवेश रणनीति और पोर्टफोलियो में कोई गलती न हो।

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। आर्थिक मोर्चे की हकीकत और स्टॉक कीमतों के बीच अभी जो फासला है उसे देखते हुए निवेशकों को बचाव के मजबूत उपाय करने की जरूरत है। निवेशकों को बाजार को ऐसे लेना चाहिए जैसे कि वे कोविड हॉस्पिटल जा रहे हों। इसमें कपड़े का मास्क काम नहीं करेगा। आपको उच्च गुणवता वाला एन-95 मास्क और फेस शील्ड पहनना होगा, यह सुनिश्चित करना होगा कि निवेश रणनीति और पोर्टफोलियो में कोई गलती न हो।

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चीन में पुराने जमाने में एक श्राप दिया जाता था- आप रोमांचक जीवन जीएं। अब उसी चीन के वायरस ने पूरी दुनिया को ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है कि निश्चित रूप से कुछ भी कह पाना मुश्किल है। फरवरी, 2020 में कारोबार और निवेशकों के लिए संभावनाएं डरावनी, लेकिन अनुमान लायक लग रहीं थीं। ऐसा लग रहा था कि दुनिया भर के इंवेस्टमेंट मार्केट में तेज गिरावट आएगी और वायरस की कहानी खत्म होने तक ऐसे ही हालात बने रहेंगे। मार्च इस उम्मीद के मुताबिक गुजरा। लेकिन अप्रैल से यह कहानी बदल गई और इसके बाद चीजें अनुमान के विपरीत रही हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान चीजें उम्मीद के अनुरूप क्यों नहीं हो रही हैं, इसमें जाना बेमानी है। लेकिन यह सच है कि कंपनियां और व्यक्तिगत निवेशक जिस आर्थिक वास्तविकता का सामना कर रहे हैं और शेयर बाजार जैसा व्यवहार कर रहा है, इन दोनों के बीच बीच बड़ा फासला है।

यह सही है कि रिकवरी के लिए रास्ता तैयार किया गया है और ग्लोबल इकोनामी का एक बड़ा हिस्सा इस रास्ते को तय करने के लिए कदम बढ़ा चुका है। दूसरी तरफ, यह भी उतना ही सच है कि फरवरी, 2020 के बड़े पैमाने पर शुरू हुआ नुकसान अब भी जारी है। जिन सेक्टरों में हालात लगभग सामान्य हो गए हैं, उनमें भी ऐसी दर्जनों कंपनियां हैं जिनके भविष्य पर सवाल है।

आर्थिक मोर्चे की हकीकत और इक्विटी मार्केट में अपेक्षाकृत अच्छे समय के बीच का विरोधाभास निवेशकों के लिए चिंता का सबब बन रहा है। सवाल यह है कि क्या व्यक्तिगत निवेशक को इन हालातों से डर कर भाग जाना चाहिए और तब वापस आना चाहिए जब हालात सामान्य हो चुके हों? या कि उन्हें हिम्मत दिखानी चाहिए और हर दिन के हालात का सामना करना चाहिए? इसका जवाब इस सवाल में है कि क्या आपने यह अनुमान लगाकर मास्क पहनने का प्रयास किया कि किसे कोरोना है और किसे नहीं? और क्या आप मास्क पहनने का फैसला इसी आधार पर करते हैं कि जिसके बारे में आपको लगता है कि उसे कोरोना है, उसके सामने मास्क पहन लें और बाकी लोगों के सामने नहीं पहनें? मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसा नहीं होगा। स्टाक मार्केट को लेकर भी यही सिद्धांत काम करता है।

हम निवेशकों को अपने काम पर फोकस करने की जरूरत है। यानी सतर्कता के साथ सभी संभावनाओं पर विचार करते हुए निवेश करना। बाजार का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका जवाब मायने नहीं रखता है क्योंकि हमारे पास कोई चुनाव नहीं है। लेकिन इसमें हमारा पोर्टफोलियो कैसा हो, खुद से यह सवाल पूछने से भविष्य को समझने में मदद मिलेगी।

(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)


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