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कमाना चाहते हैं मोटा रिटर्न तो Debt Mutual Funds का लें सहारा, बेहतर लाभ के साथ निवेश में लाएं स्थिरता

Mutual Funds डेट फंड मामूली जोखिम व नियमित आय के साथ निवेशक के छोटे व मध्यम अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 11:07 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 06:26 PM (IST)
कमाना चाहते हैं मोटा रिटर्न तो Debt Mutual Funds का लें सहारा, बेहतर लाभ के साथ निवेश में लाएं स्थिरता
कमाना चाहते हैं मोटा रिटर्न तो Debt Mutual Funds का लें सहारा, बेहतर लाभ के साथ निवेश में लाएं स्थिरता

नई दिल्ली, कुमारेश रामकृष्णन। म्युचुअल फंड केवल इक्विटी फंड के माध्यम से ग्रोथ ही प्रदान नहीं करते, बल्कि वे डेट फंड्स के जरिए संतुलन और स्थिरता भी लेकर आते हैं। इतना ही नहीं, डेट फंड यथोचित रूप से सुरक्षित और लिक्विड भी हैं। डेट फंड्स के माध्यम से बैंक एफडी आदि अन्य पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में उच्च रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। इस लेख में हम तीन मुख्य बातों पर बात करने वाले हैं। ये तीन बाते हैं-

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1. आपके पोर्टफोलियो में डेट फंड्स की भूमिका

2. अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप सही डेट फंड का चयन करना

3. डेट फंड में निवेश करना

1. आपके पोर्टफोलियो में डेट फंड्स की भूमिका

डेट फंड मामूली जोखिम व नियमित आय के साथ निवेशक के छोटे व मध्यम अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं। इसके लिए डेट फंड कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियां (बॉन्ड व डिबेंचर) और पूंजी बाजार के इंस्ट्रूमेंट्स (वाणिज्यिक पत्र, बैंक जमा का प्रमाण पत्र) जैसे विभिन्न निश्चित आय के साधनों में निवेश करता है। फंड कई सारे उधारकर्ताओं में निवेश करता है, जिससे किसी एक कंपनी में ओवर एक्सपोजर का जोखिम घट जाता है। नियमित आय चाहने वाले निवेशकों के लिए भी डेट फंड काफी उपयुक्त है, क्योंकि ये कम अस्थिर होते हैं। कोई भी अपनी विशिष्ट समयसीमा, लिक्विडिटी की जरूरत और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर डेट फंड का चुनाव कर सकता है।

2. करें सही डेट फंड का चुनाव

निवेशक को सबसे पहले हर एक फंड के प्रमुख जोखिमों को समझ लेना चाहिए। आइए जानते हैं कि ये क्या हैं।

(क) लिक्विडिटी रिस्क

नकदी पैदा करने के लिए प्रतिभूतियों को लिक्विड करते समय रिटर्न पर जोखिम ही लिक्विडिटी रिस्क है। लिक्विडिटी रिस्क इंस्ट्रूमेंट की जटिलता, इसकी रेटिंग और मैच्योरिटी की अवधि पर निर्भर करता है।

(ख) क्रेडिट रिस्क

मैच्योरिटी पर डिफॉल्ट होने या ब्याज अथवा मूलधन का भुगतान नहीं होने का जोखिम क्रेडिट रिस्क कहलाता है।

(ग) ड्यूरेशन रिस्क

अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में बदलाव होने पर किसी बॉन्ड के मूल्य में परिवर्तन का जोखिम ही ड्यूरेशन रिस्क कहलाता है। सामान्य तौर पर, यह जोखिम इंस्ट्रूमेंट की अवधि के साथ बढ़ता है। अधिकतर डेट फंड्स में इन सभी जोखिमों का कुछ अंश रहता है। हालांकि, आमतौर पर इनमें से कोई एक जोखिम हावी रहता है, जो उत्पाद की प्रकृति पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं कि कौनसे उत्पाद पर किस परिस्थिति में कैसा जोखिम हावी रहता है।

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डेट फंड रिटर्न पैदा करने के लिए क्रेडिट या अवधि में से किसी एक का उपयोग करके निवेशक के लिए रिटर्न जनरेट करते हैं।

(क) क्रमिक रणनीति (इसमें क्रेडिट रिस्क हावी रहता है) ब्याज दर जोखिम को मध्यम स्तर पर रखते हुए और क्रेडिट रिस्क को मैनेज करते हुए एक स्थिर ब्याज आय धारा को जनरेट करने पर निर्भर करती है। अधिकांश क्रेडिट रिस्क फंड्स मैच्योरिटी तक प्रतिभूतियों को खरीदते हैं और रखते हैं। इन फंड्स में इंस्ट्रूमेंट्स की अवधि आमतौर पर एक से तीन साल के बीच होती है। ये फंड्स किसी भी आकस्मिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए कुछ लिक्विड होल्डिंग्स व नकदी भी बनाए रखते हैं। हालांकि, शॉर्ट नोटिस पर क्रेडिट प्रतिभूतियों को बेचने पर कुछ रिटर्न का त्याग किये बिना यह थोड़ा कठिन होता है।

(ख) दूसरी तरफ जो फंड ड्यूरेशन रणनीति का अनुसरण करता है, वे ब्याज दरों के मूवमेंट की प्रतिक्रिया में बॉन्ड प्राइस में बदलाव से लाभ प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। बॉन्ड प्राइस और ब्याज दरें विपरीत दिशा में चलते हैं। इसलिए जब ब्याज दरें गिरती हैं, मौजूदा बॉन्ड्स की कीमत बढ़ती है, क्योंकि इन बॉन्ड्स को ब्याज दर के नए स्तर के हिसाब से दोबारा एडजस्ट करने की जरूरत होती है। चूंकि नए बॉन्ड कम ब्याज कैरी करेंगे, इसलिए मौजूदा बॉन्ड अधिक आकर्षक हो जाते हैं और इस तरह से तब तक कीमतों में बढ़ोतरी होती है, जब तक कि यील्ड्स नए बॉन्ड से मेल नहीं खाती। एक ड्यूरेशन फंड अपने द्वारा होल्ड किये गए बॉन्ड से पूंजी में वृद्धि की कोशिश करेगा। यह फंड सावधानिपूर्वक चुने गए लंबी अवधि के डेट इंस्ट्रूमेंट्स के पोर्टफोलियो में निवेश करके रिस्क मैनेज करता है।

3. डेट फंड में कैसे निवेश करें

डेट फंड में निवेश करना काफी आसान है। अधिकतर मध्यम व बड़े आकार के फंड हाउसेज ऊपर सूचीबद्ध डेट प्रोडक्ट्स में से अधिकांश की पेशकश करते हैं। निवेशक एसेट मैनेजमेंट कंपनी व विशिष्ट योजनाओं के ट्रैक-रिकॉर्ड की जानकारी प्राप्त कर अपनी आवश्यकता के अनुसार एक विशिष्ट उत्पाद में निवेश कर सकते हैं। यहां निवेशक को फंड के प्रदर्शन की तुलना केवल उसकी श्रेणी के उत्पादों के साथ ही नहीं, बल्कि संबंधित बेंचमार्क व फंड के उद्देश्यों के आधार पर भी कर लेनी चाहिए।

(लेखक पीजीआइएम म्युचुअल फंड के सीआईओ-फिक्‍स्‍ड  इनकम हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)


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