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लोन लेकर कुछ भी खरीदना क्या सही ऑप्शन है? बता रहे हैं एक्सपर्ट

कर्ज लो खरीदो और मर जाओ रकम संभालने का यह एक अजीब तरीका बनता जा रहा है। अगर आपकी दिलचस्पी इस बात में है कि पश्चिमी देशों में अमीर लोग अपनी रकम का प्रबंधन कैसे करते हैं तो आपने इसके बारे में जरूर पढ़ा होगा।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 08:41 AM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 08:41 AM (IST)
लोन लेकर कुछ भी खरीदना क्या सही ऑप्शन है? बता रहे हैं एक्सपर्ट
शीर्ष कंपनियों ने डिविडेंड का भुगतान करना लगभग बंद कर दिया है।

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कर्ज लो, खरीदो और मर जाओ, रकम संभालने का यह एक अजीब तरीका बनता जा रहा है। अगर आपकी दिलचस्पी इस बात में है कि पश्चिमी देशों में अमीर लोग अपनी रकम का प्रबंधन कैसे करते हैं तो आपने इसके बारे में जरूर पढ़ा होगा। यह तर्क आपकी जिंदगी को भी प्रभावित कर सकता है। अब इस पर गौर करते हैं कि यह है क्या? बीते समय में अमीर व्यक्ति स्टॉक्स या फिक्स्ड इनकम सिक्युरिटीज में निवेश करते थे। इन दोनों विकल्पों में निवेश का मुख्य मकसद नियमित इनकम हासिल करना था। स्टॉक के मामले कह सकते है कि यहां पूंजी को थोड़ा बढ़ाना भी मकसद था।

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ऐसे में हाल के समय में चीजें बदल गई हैं। एक बदलाव यह हुआ है कि शीर्ष कंपनियों ने डिविडेंड का भुगतान करना लगभग बंद कर दिया है। ऐसे में अगर आपको रकम की जरूरत है तो असेट बेचना ही एक रास्ता बचता है। एक और बात यह है कि कर्ज पर ब्याज बहुत कम है। अब लोगों के पास जो असेट टाइप है वह सिर्फ पूंजी को बढ़ाती है, डिविडेंड या ब्याज भुगतान के बिना।

जब अमीर लोगों को इस निवेश से इनकम हासिल करने की जरूरत पड़ती है तो वे निवेश को कोलैटरल यानी गिरवी की तरह इस्तेमाल करते हुए कर्ज लेते हैं। वित्तीय कालम लिखने वाले मैट लेनिवने के हाल के एक कालम से मुझे यह बात पता चली। किसी के पास 10 करोड़ डालर की संपत्ति थी। उसे 30 लाख डालर की जरूरत थी। असेट सेल्स के जरिये ऐसा करने पर उसको 30 लाख डालर मूल्य की कोई संपत्ति बेचनी पड़ती। इसमें से उसे 10 लाख डालर का टैक्स चुकाना पड़ता और बाकी रकम वह ले सकता था। इसके बजाय उसने निवेश को गिरवी रखकर सिर्फ 30 लाख डालर का कर्ज लिया, जिस पर ब्याज महज एक फीसद है और सारी रकम अब भी रिटर्न अर्जित कर रही है। कुल मिलाकर यह वर्षों तक काम कर सकता है।

पश्चिमी देशों में यह इसलिए संभव है क्योंकि उनके केंद्रीय बैंकों ने विश्व अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर कम ब्याज दर पर रकम प्रवाहित की है। इसकी वजह से दुनिया दो तरह के लोगों में विभाजित हो गई है। एक वे जो कर्ज ले रहे हैं और दूसरे वे जो डेट यानी डिपाजिट और इसी तरह की चीजों से रकम बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

इसका क्या मतलब है? इसका एक सरल और सीधा जवाब है। आपको यह भ्रम छोड़ना होगा कि आपकी रकम कुछ कमाई कर रही है। दुनिया हमेशा दो तरह के लोगों के बीच विभाजित रही है। एक, जिनके पास सब कुछ है। ज्यादातर समय आपकी रकम उस रफ्तार से नहीं बढ़ पाती है जिस रफ्तार से महंगाई बढ़ती है। इस पर अगर टैक्स और हर साल रकम की वैल्यू कम होने का असर जोड़ लें तो फिक्स्ड इनकम से आपको नकारात्मक रिटर्न मिल रहा है। इससे भी बुरी बात यह है कि हालात बदलते नहीं दिख रहे हैं।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)


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