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यू-ट्यूब देखकर स्टॉक में पैसा लगाना कितना सही? ऐसे होता है शेयरों को चढ़ाने और गिराने का खेल

अगर कोई यू-ट्यूब पर आपको ये सीक्रेट बता रहा है कि क्यों ये वाला या वो स्टाक चढ़ेगा तो इतना तो खुद से पूछिए कि ये इंसान ऐसा कर क्यों रहा है। यही बात हर किसी के लिए है चाहे वो पड़ोसी हो या बैंक का रिलेशनशिप मैनेजर।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiPublished: Sun, 19 Mar 2023 09:22 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2023 09:22 PM (IST)
यू-ट्यूब देखकर स्टॉक में पैसा लगाना कितना सही? ऐसे होता है शेयरों को चढ़ाने और गिराने का खेल
How correct is it to invest money by watching YouTube? how the game happens

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। बात कुछ दिनों पहले की है। कुछ लोग अपने फायदे के लिए स्टाक के दामों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे। अब सेबी ने उनके खिलाफ आर्डर जारी कर दिया है। यह आर्डर दिखाता है कि ये गोरखधंधा, साधना ब्राडकास्ट नाम की एक कंपनी के प्रमोटरों की मिलीभगत से खेला गया। यह खेल स्टाक मार्केट के सबसे पुराने खेलों में से है।

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इसकी शुरुआत होती है, किसी एक स्टाक को खरीदने के लिए खूब प्रमोट करने, और ऐसा करने से पहले प्रमोटरों के साथ मिलीभगत करके उस स्टाक को बड़े नंबर में खरीदने से। पहले स्टाक का खूब प्रचार करो, उसके दाम चढ़ाओ, उसे बेचो, और मोटा मुनाफा कमाकर रफूचक्कर हो जाओ।

डिजिटल मार्केटिंग का नया खेल

इस बार पुराने खेल के लिए बड़े पैमाने पर डिजिटल मार्केटिंग का इस्तेमाल किया गया। इस केस में, धोखाधड़ी को अंजाम देने वाले गैंग ने दो यू-ट्यूब चैनल चलाए और कम-से-कम 4.72 करोड़ रुपये गूगल पर विज्ञापन और प्रमोशन पर खर्च किए। एक रिपोर्ट बताती है कि जो लोग और संस्थाएं इसमें शामिल थे, उनके मुनाफे के करीब 40 करोड़ रुपये अब उनसे वसूले जाएंगे। एक वक्त था, जब ऐसी स्कीमें सिर्फ मुठ्ठीभर हेरा-फेरी करने वाले ताकतवर लोगों तक ही सीमित थीं। इन लोगों की पहुंच इतनी नहीं हुआ करती थी, और जो लोग उनके कहने में चला करते थे, वो जानते थे कि वो क्या कर रहे हैं।

अब इंटरनेट ने जो कारनामा किया है, उसने घोटाला करने वालों की पहुंच बेतहाशा बढ़ा दी है। और हां, इस केस की जांच दिखाती है कि डिजिटल ट्रेल को मिटाया नहीं जा सकता। यह नए दौर का घोटाला है। इस घोटाले का पता लगाना और उसकी जांच डिजिटल तरीके से ही की जा सकती है। इस जैसे मसले पर हमेशा की तरह नियामकीय कार्यवाही तो जारी रहेगी।

सलाह देने वालों के स्वार्थ पर ध्यान देना जरूरी

सवाल ये है कि लोग खुद को इस तरह की स्कीमों से बचाने के लिए क्या कर सकते हैं। और इस बात का अचरज भी है कि इस सवाल का जवाब पाना बड़ा मुश्किल है। सरसरी तौर पर तो कहा जा सकता है कि आपको निवेश की सलाह इंटरनेट पर यूं ही किसी से नहीं लेनी चाहिए। किसी अच्छी छवि वाले स्रोत की बात ही अपनी सलाह के लिए चुनें। ये बात समझदारी की है कि आप आधिकारिक स्रोत से ही खबरें लें। हालांकि, उससे भी बड़ी बात ये है कि संस्थागत सलाह देने वाली संस्थाएं जो नियामकीय दायरे में हैं, जैसे- बैंक और ब्रोकर। वो भी अपने फायदे को नजरअंदाज करके सिर्फ आपके फाइनेंशियल सरोकार को ध्यान में रखकर ही आपको सलाह देंगी, ऐसा कतई नहीं है।

आंकड़ों के मुताबिक, इनका अपना खुद का मुनाफा कमाने की सलाहों से जितने लोग पीड़ित हैं, उनका नंबर ऐसे लोगों से कहीं ज्यादा है, यू-ट्यूब वाली स्टोरी से नुकसान उठाया है। तो इसका हल क्या है? मुझे डर है कि इसका हल अपनी जानकारी और समझ बढ़ाना ही है। कम-से-कम, ये तो समझना ही चाहिए कि कोई भी आपके लिए पैसे बनाने के धंधे में नहीं है। जब भी कोई निवेश की सलाह देता है तो उस व्यक्ति या संस्था का इसमें क्या स्वार्थ है, इसे लेकर जरूर सोचिए।

'सीक्रेट' वाली सलाह कितनी सार्थक

अगर कोई यू-ट्यूब पर आपको ये 'सीक्रेट' बता रहा है कि क्यों ये वाला, या वो स्टाक चढ़ेगा, तो इतना तो खुद से पूछिए कि ये इंसान ऐसा कर क्यों रहा है। यही बात हर किसी के लिए है, चाहे वो अपनेपन से भरा पड़ोसी हो या आपके बैंक का कोई 'रिलेशनशिप मैनेजर' या फिर मैं, जो इस बात को कह रहा है। आमतौर पर, ऐसी सलाह पर ही कान देने चाहिए जो आपको सीखने और समझने की बात करती है, बजाए उन पर ध्यान देने के जो किसी खास जगह पर निवेश की बात करते हैं। वित्तीय साक्षरता का रास्ता लंबा और मुश्किल है।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

 


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