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आर्थिक मंदी की आशंका और क्रूड आयल की ऊंची कीमतों के बावजूद भारतीय बाजार में बढ़ा विदेशी निवेशकों का भरोसा, क्‍या है वजहें..?

FPIs invest in indian market भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors FPIs) ने अगस्त महीने के दौरान जबर्दस्त निवेश किया है। इस उत्‍साह की विशेषज्ञों ने कई वजहें बताई है। पेश है इन वजहों की पड़ताल करती रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 28 Aug 2022 02:20 PM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2022 02:20 PM (IST)
आर्थिक मंदी की आशंका और क्रूड आयल की ऊंची कीमतों के बावजूद भारतीय बाजार में बढ़ा विदेशी निवेशकों का भरोसा, क्‍या है वजहें..?
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अगस्त महीने में भारतीय शेयर बाजारों में जबर्दस्त निवेश किया है।

नई दिल्‍ली, एजेंसी। वैश्विक स्तर पर जारी महंगाई, आर्थिक मंदी की आशंका और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद भारतीय बाजार पर निवेशकों का भरोसा बरकरार है। आधिकारिक आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट बतलाती है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors, FPIs) ने अगस्त महीने के दौरान भारतीय शेयर बाजारों में जबर्दस्त निवेश किया है। इस उत्‍साह की क्‍या वजहें हैं। प्रस्‍तुत है विदेशी निवेश के मौजूदा सूरत-ए-हाल को बयां करती रिपोर्ट...

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विदेशी निवेश के आंकड़ों पर नजर डालें तो लंबे अंतराल के बाद पिछले महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (Foreign Portfolio Investors, FPIs) शुद्ध खरीदार के रूप में नजर आए। बाजार के विश्‍लेषक बताते हैं कि कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजार में बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में विदेशी निवेशकों ने शुद्ध रूप से 49,254 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक लगातार नौ माह तक सेलर बने रहने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक जुलाई में पहली बार शुद्ध लिवाल बने थे। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors, FPIs) ने जुलाई में भारतीय बाजार में 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इसके बाद यह सिलसिला तेजी से बढ़ता नजर आया। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली का सिलसिला पिछले साल अक्टूबर से शुरू होकर इस साल जून तक बरकरार रहा था।

बताया जाता है कि पिछले साल अक्टूबर से लेकर इस साल जून तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2.46 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। आगे भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का यह रुख जारी रहेगा या नहीं... इस बारे में वित्तीय प्रौद्योगिकी मंच गोलटेलर के संस्थापक सदस्य विवेक बंका (Vivek Banka) का कहना है कि आगामी महीनों में एफपीआई का रुझान काफी हद तक जिंस की कीमतों, भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा।

यही नहीं भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजों और फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों पर लिए गए फैसलों से भी एफपीआइ प्रभावित होंगे। 'धन' (Dhan) के संस्थापक जय प्रकाश गुप्ता कहते हैं कि भारतीय बाजार पर वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का अप्रत्‍याशित असर नहीं देखा गया है। यही कारण है कि कंपनियों के तिमाही नतीजे बेहतर रहे हैं। यही वजह है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार में जमकर लिवाली की है।  

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक (प्रबंधक शोध) हिमांशु श्रीवास्तव कहते हैं कि भले ही महंगाई ऊंचे स्तर पर कायम है लेकिन हाल फि‍लहाल में इसके बढ़ने की आशंका नहीं है। इसके चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की धारणा में सुधार हुआ है। यह भी उम्‍मीद है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक कम आक्रामक रुख अख्तियार करे। इस वजह से भी एफपीआई (Foreign Portfolio Investors, FPIs) की भारतीय बाजारों में लिवाली बढ़ी है। बता दें कि एफपीआई ने पहली से 26 अगस्त के दौरान भारतीय शेयर बाजारों में नेट 49,254 करोड़ रुपये डाले हैं।


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