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SIP: कमजोर बाजार में बंद न करें निवेश, एक्सपर्ट ने बताई आपके फायदे की बात

शेयर बाजार के उतार चढ़ाव के बीच आपको सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआइपी) में निवेश करना बंद नहीं करना चाहिए। नए लोगों को इसमें निवेश करने से कतराना नहीं चाहिए। एसआइपी में निवेश करना चाहिए। एक्सपर्ट ने बताया कि यह आगे चलकर काफी फायदेमंद साबित होता है।

By Sarveshwar PathakEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 06:48 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 06:59 AM (IST)
SIP: कमजोर बाजार में बंद न करें निवेश, एक्सपर्ट ने बताई आपके फायदे की बात
कमजोर बाजार में बंद न करें SIP ।

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। इंडस्ट्री डेटा दिखाता है कि मई 2022 में नए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआइपी) में कमी आई है। बीते साल भर में यह महीना नए अकाउंट खुलने को लेकर सबसे सुस्त रहा है। यह बाजार के हालात का नतीजा है। पिछले कुछ महीनों से मार्केट में गिरावट है, इसलिए नए एसआइपी को लेकर निवेशकों का उत्साह कम हुआ है। अगर पिछले पैटर्न पर जाएं तो कुछ लोग अपनी मौजूदा एसआइपी को भी रोकेंगे और ये गिरावट जितनी देर तक रहेगी, ये ट्रेंड भी उतना ही बढ़ेगा। ऐसा मत कीजिए। अपनी समझ से लिए गए सभी फैसलों में इक्विटी निवेशकों का ये फैसला सबसे घातक होता है।

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एसआइपी का मतलब ही है कि आप निवेश करना तब भी जारी रखें, जब बाजार कमजोर हो। एसआइपी का गणित और उसका मनोविज्ञान, दोनों बने ही इसके लिए हैं कि आप लगातार निवेश के लिए उत्साहित रहें, फिर बाजार की परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों। बाजार की स्थिति पर एसआइपी शुरू करना और रोक देना, इसकी सारी खूबियों का अंत कर देता है।

आमतौर पर, जिनका निवेश के प्रति सटोरियों वाला रवैया होता है, वो लोग यही तौर-तरीके एसआइपी में भी अपनाते हैं। वो बाजार की स्थिति और अपने आकलन के मुताबिक, एसआइपी रोकते और शुरू करते हैं। यह तरीका काम नहीं करता है, बल्कि उल्टे नतीजे देता है। बाजार के खराब हालात के अनुपात में यही घटनाचक्र समय-समय पर दोहराया जाता है।

दरअसल, एसआइपी के विचार की बुनियाद ही है कि जब इक्विटी निवेश की आम दशा, उसे ऊपर की दिशा में ले जाती है, तो निश्चित तौर पर ये पता नहीं लगाया जा सकता कि असल में कितने उतार-चढ़ाव आएंगे। इसलिए बजाए अपने निवेश की तरफ देखने के आपको एक तय रकम लगातार निवेश करनी चाहिए। जैसे-जैसे समय गुजरता है और निवेश की नेट असेट वैल्यू (एनएवी) या बाजार के दाम नीचे होते हैं, ये अपने-आप ही तय कर देता है कि कब आपको बड़े नंबर में शेयर या यूनिट मिलेंगे। अंत में, जब आप अपने निवेश को रिडीम करेंगे, तो सभी यूनिट रिडीम करने वाले दामों के होंगे, क्योंकि आपकी एसआइपी में आपने बड़ी संख्या में यूनिट्स तब लीं, जब दाम कम थे।

ऐसे में दाम बढ़ने पर आपके रिटर्न ऊंचे होंगे। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो आपके रिटर्न कम होंगे। ये बुनियादी बात है जिस पर एसआइपी निवेश काम करता है। मगर ये काम करता रहे, इसके लिए निवेशक को इसे बिगाड़ने से बचना होगा। आपको तब निवेश जारी रखना होगा, जब बाजार नीचे हों। एक तरह से, खर्च को औसत पर ला देने की एसआइपी की खूबी भी इतना मायने नहीं रखती, क्योंकि लंबे अर्से में इसका असर भी कोई बड़ा फर्क नहीं पैदा करता है। इसके बजाय, एसआइपी निवेश की असली समस्या को सुलझाती है, वो ये है कि हालात चाहे जैसे हों, निवेश रोकने की कोई जरूरत नहीं, बल्कि उसे लगातार जारी रखा जाना चाहिए। क्योंकि होता ये है कि बचत करने वाले जैसे अचानक पैसा बचाना शुरू करते हैं, वैसे ही इक्विटी बाजार में गिरावट होते ही बचत अचानक रोक भी देते हैं।

अक्सर मीडिया में शेयर बाजार में गिरावट एक संकट के तौर पर पेश किया जाता है। मगर इस सबका कोई मतलब नहीं बनता। आप कुछ भी खरीदें, आपको उसे कम दाम में खरीदना चाहिए। यही बात इक्विटी या इक्विटी म्यूचुअल फंड के लिए भी सही है। गौर कीजिए, जब भी आप अपने सहज ज्ञान पर चलेंगे, तो ख़ुद को अक्सर महंगा खरीदते हुए और सस्ता बेचते हुए पाएंगे और जरूरत इसका ठीक उलटा करने की है।

नोट- यह लेखक धीरेंद्र कुमार, सीईओ, वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के निजी विचार हैं।


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