नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। इन्फ्लुएंसर एक अजीब और नया शब्द है। आज यह पूरी तरह प्रोफेशन में तब्दील हो गया है। इन्फ्लुएंसर शब्द एडवरटाइज या विज्ञापित करने वालों के लिए इस्तेमाल होता है। जैसे- पारंपरिक मीडिया न्यूजपेपर या टीवी चैनल को पैसे देकर लोगों को प्रभावित करने के लिए विज्ञापन कराया जाता है। उसी प्रकार अच्छी खासी सोशल मीडिया आडियंस वाले शख्स को पैसे देकर पोस्ट करने के लिए और लोगों तक आपकी बात पहुंचाने के लिए कहा जाता है।
इंस्टाग्राम पर पुर्तगाली फुटबालर क्रिस्टियानो रोनाल्डो के करीब आधा अरब फालोअर हैं। रोनाल्डो प्रमोशन की एक पोस्ट के लिए 16 लाख अमेरिकी डालर लेते हैं। उनकी तरह बहुत से लोग हैं, जिनमें भारत के टाप क्रिकेटर और एक्टर भी शामिल हैं। पर, जब बात बचत और फाइनेंस की आती है, तब इन्फ्लुएंसर काफी अलग तरह के जीव साबित होते हैं। ये लोग ट्विटर, इंस्टाग्राम, और यूट्यूब, पर मौजूद होते हैं। हालांकि, ये वैसा कोई काम नहीं करते हैं, जैसा किसी प्रोडक्ट को एंडोर्स करने वाले सेलेब्रिटी करते हैं।
दरअसल, पिछले कुछ वर्षो में हम ऐसे कल्चर की तरफ बढ़े हैं, जिसमें नए हुनर सीखने के लिए ऐसे ही प्लेटफार्म इस्तेमाल होने लगे हैं। इंटरनेट पर आपको ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जिन्होंने यू-ट्यूब पर इस सबसे जुड़ा, पूरा ट्यूटोरियल डाला होगा और इनमें से कई लोगों को इन कामों में महारत भी हासिल होती है। हालांकि, कुछ काम ऐसे हैं जिनमें ये तरीका बिल्कुल कारगर नहीं है। अब सवाल है कि क्या आप बचत और निवेश के बारे में सबकुछ सीखना चाहते हैं? क्या आपको यू-ट्यूब पर जाकर 'निवेश कैसे करें' टाइप करना चाहिए? कोशिश कीजिए। पर ख्याल रखिएगा कि आप इन-काग्नीटो/ प्राइवेट विंडो में ही ऐसी सर्च करें; वर्ना आपकी सर्च हिस्ट्री आपको मिलने वाले जवाब के नतीजों को प्रभावित करेगी। अब आप सर्च में सामने आए कुछ वीडियो को देख लीजिए। इन्हें देखने के बाद आपको क्या लगता है कि आपको कैसी सलाह दी गई है? इसमें सबसे ज्यादा बातें जो आप देखेंगे, वो ये कि पहला, ऐसे स्टाक कैसे चुनें जो कल/अगले हफ्ते बहुत बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले हैं। दो, आप इस तरह के स्टाक कितनी देर में चुन सकते हैं।
तीसरा, वारेन बफेट के फेक वीडियो और चौथा, जाहिर सी बात है कि क्रिप्टो पर ढेर सारा ज्ञान मिलेगा। ये जिस क्वालिटी की सलाह और गाइडेंस है, उसे लेकर आप क्या सोचते हैं? मेरे ख्याल से आपने भी यही कुछ पाया होगा। एक दिलचस्प बात निकलकर आती है कि अगर आप यही कवायद किसी ऐसे विषय पर करते हैं, जिसे आप जानते-समझते हैं, फिर चाहे वो गार्डनिंग, कुकिंग, वुडवर्क हो या और कुछ। इन ज्यादातर विषयों पर ऐसे वीडियो जो आपकी शुरुआती सर्च में सामने आते हैं, वो इन कामों की शुरुआत करने वालों के लिए सही होते हैं। मगर इसके ठीक उलट, बचत और फाइनेंस के मामले में ये बड़ा डिजास्टर साबित होते हैं। ऐसे वीडियो देख कर आप खुद समझ जाएंगे कि आपको बहुत कम समय में नतीजे देने वाले सुझाव दिए जा रहे हैं।
एक कारण ये भी समझ में आता है कि जब ऑडियंस के पास किसी विषय की सहज समझ नहीं होती, तो सबसे ज्यादा तेज-तर्रार और बढ़ा-चढ़ा कर बातें करने वाले इन्फ्लुएंसर पापुलर हो जाते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर एक गार्डनिंग करने वाला यू-ट्यूबर ऐसी सीक्रेट तकनीक का दावा करता है कि उसका लगाया पौधा एक ही दिन में भरा-पूरा पेड़ बन जाएगा, तो कोई भी सुन कर हंसेगा। पर एक इन्वेस्टमेंट वीडियो अगर दावा करता है कि उसके पास ऐसे स्टाक को चुनने का सीक्रेट है, जिससे अगले छह महीनों में आपका निवेश 10 गुना हो जाएगा-जो एक दिन में पेड़ उगाने जैसा ही हास्यास्पद है-तो कई लोग इस पर विश्वास करेंगे। दुख की बात है कि इसका कोई आसान रास्ता नहीं है।
नोट- यह लेखक धीरेंद्र कुमार, सीईओ, वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के निजी विचार हैं।
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