बुनियादी ढांचे के विकास और सुधार के सहारे खेती को लहलहाने की तैयारी, बजट में एक लाख करोड़ का आवंटन
कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे का मजबूत विकास और कानूनी सुधार के सहारे किसानों की माली हालत को दुरुस्त करने की दिशा में आम बजट में कारगर पहल की गई है। खेती के बुनियादी ढांचे के लिए बजट में एक लाख करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे का मजबूत विकास और कानूनी सुधार के सहारे किसानों की माली हालत को दुरुस्त करने की दिशा में आम बजट में कारगर पहल की गई है। खेती के बुनियादी ढांचे के लिए बजट में एक लाख करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। आम बजट पेश होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट के केंद्र में गांव और किसान हैं। ग्रामीण विकास के बुनियादी ढांचे के साथ एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड केलिए विशेष बंदोबस्त किया गया है।
विशेष कृषि उपकर लगाने का प्रविधान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इसके लिए विशेष कृषि उपकर लगाने का प्रविधान किया है। आम बजट के तीसरे आधार स्तंभ में आकांक्षी भारत व समग्र विकास के शीर्षक तले कृषि, किसान और गांव को प्राथमिकता दी गई है। कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम पहल की गई है। आयातित सभी कृषि उत्पादों पर एग्री सेस (उपकर) लगाया गया है।
2022 तक आमदनी दोगुना करने का लक्ष्य
आम बजट में किसानों की आमदनी को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है। कृषि क्षेत्र की विकास दर को रफ्तार देने के लिए कृषि सह उद्यमों पर विशेष बल देते हुए कई तरह के प्रोत्साहन की घोषणा की गई है। कृषि की लागत में कटौती करने के साथ उपज की बेहतर कीमत दिलाने का भरोसा दिलाया गया है। आयात होने वाले कृषि उत्पादों को रोकने के प्रस्ताव किए गए हैं, ताकि घरेलू किसानों को अच्छी कीमतों का लाभ मिल सके।
आम बजट के सहारे संदेश देने की कोशिश
कृषि सुधारों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को भी आम बजट के सहारे संदेश देने की कोशिश की गई है कि सरकार उनके भले के लिए सब कुछ करने को तैयार है। अपने बजट भाषण में सीतारमण ने जोर देकर कहा कि देश की कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) की मंडियों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। उनकाडिजिटल ढांचागत विकास कर उन्हें ई-प्लेटफार्म पर लाया जाएगा।
1,000 मंडियों को ई-नाम से जोड़ा जाएगा
वित्त वर्ष 2021-22 में देश की कुल 1,000 मंडियों को इलेक्ट्रानिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम) से जोड़ा जाएगा। इसके लिए एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी। इससे किसानों को अपनी उपज को घर बैठे उचित व मनमाफिक मूल्य पर बेचने में सहूलियत होगी। तथ्य यह है कि ई-नाम के तहत अब तक 1.68 करोड़ किसानों ने अपना पंजीकरण करा लिया है। अब तक ई-नाम के प्लेटफार्म पर कुल 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार किया जा चुका है।
कृषि ऋण को बढ़ाकर 16.50 लाख करोड़ किया
किसानों पर मेहरबान वित्त मंत्री ने रियायती कृषि ऋण को बढ़ाकर 16.50 लाख करोड़ रुपये कर दिया है, ताकि किसानों को स्थानीय सूदखोरों से कर्ज लेने की नौबत न आए। यह पिछले साल के 15 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 10 फीसद अधिक है। विदेशी कृषि उपज से घरेलू किसानों को बचाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए आम बजट में विशेष प्रविधान करते हुए सीतारमण ने कपास पर सीमा शुल्क की दर शून्य से बढ़ाकर 10 फीसद कर दिया है।
इन पर लगा एग्री सेस
बजट में विदेशी रेशम के आयात पर लगने वाले 10 फीसद के शुल्क को बढ़ाकर 15 फीसद कर दिया गया है। इसी तरह विदेश से आयात होकर घरेलू बाजार को प्रभावित करने वाले अन्य कृषि उत्पादों- मटर, काबुली चना, मसूर, अरहर, कपास, सेब, क्रूल सोयाबीन और पाम आयल, सूरजमुखी तेल समेत अन्य खाद्य तेलों के अलावा फर्टिलाटइर और यूरिया पर उपकर (एग्री सेस) लगा दिया गया है। देश में मकई चोकर, राइस ब्रान आयल केक, पशु चारा जैसी चीजें भी आयात होती रही हैं। वित्त मंत्री ने इन सबके आयात पर 15 फीसद तक का शुल्क लगा दिया है।
मांग आधारित खेती पर जोर
देश में घरेलू खाद्य तेलों की कुल खपत का 65 फीसद आयात होता है, जिस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं। जबकि देश में गेहूं, चावल और चीनी का सरप्लस उत्पादन है। इसकी जगह मांग आधारित खेती पर जोर दिया जा रहा है। सरकार उसी दिशा में बढ़ रही है। इसके लिए ही कृषि क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया को तेज किया गया है। लेकिन किसान आंदोलन के बहाने विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोल दिया है।