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Union Budget 2020: देश के बजट में भी होती है आय और व्यय की गणना, जानिए क्या है इन जटिल शब्दों का अर्थ

Union Budget 2020 प्रत्यक्ष कर में वे कर आते हैं जो सरकार को सीधे प्राप्त होते हैं। इनमें इनकम टैक्स कॉर्पोरेट टैक्स वेल्थ टैक्स आदि शामिल हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 05:36 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 08:50 AM (IST)
Union Budget 2020: देश के बजट में भी होती है आय और व्यय की गणना, जानिए क्या है इन जटिल शब्दों का अर्थ
Union Budget 2020: देश के बजट में भी होती है आय और व्यय की गणना, जानिए क्या है इन जटिल शब्दों का अर्थ

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट पेश करने जा रही हैं। जिस तरह हम अपने घरों में बजट बनाते हैं, वैसे ही देश का भी सालाना बजट बनाया जाता है। देश के बजट में भी आय और व्यय की ही गणना की जाती है, लेकिन वहां बड़ी राशि होती है। बजट के दो घटक होते हैं। जिसमें पहला होता है सार्वजनिक आय और दूसरा होता है सार्वजनिक व्यय।

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सार्वजनिक आय

सार्वजनिक आय दो तरह की होती है। पहली राजस्व आय और दूसरी पूंजीगत आय। कर राजस्व देश का सबसे बड़ा आय का स्रोत है। कर राजस्व, राजस्व आय का एक हिस्सा होता है। यह दो प्रकार का होता है। पहला डायरेक्ट टैक्स और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स। राजस्व आय का दूसरा हिस्सा गैर-कर आय होती है।

प्रत्यक्ष कर व अप्रत्यक्ष कर

प्रत्यक्ष कर में वे कर आते हैं जो सरकार को सीधे प्राप्त होते हैं। इनमें इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, वेल्थ टैक्स आदि शामिल हैं। उधर अप्रत्यक्ष करों में जीएसटी, सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी आदी कर शामिल हैं।

गैर-कर राजस्व

राजस्व आय के दूसरे हिस्से यानी गैर-कर राजस्व में करों के अलावा अन्य मदों से प्राप्त होने वाली आय शामिल होती है। इसमें ऋण से प्राप्त ब्याज, फीस, विदेशों से प्राप्त आय और विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय शामिल होती है। राजस्व आय का सरकार को भविष्य में भुगतान नहीं करना होता है।

पूंजीगत आय

राजस्व आय के अतिरिक्त सार्वजनिक आय का दूसरा हिस्सा पूंजीगत आय होती है। पूंजीगत आय में सरकार की परिसंपत्तियों में कमी आती है और उसका उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। सरकार को इस तरह की आय का भविष्य में भुगतान करना होता है। इस तरह की आय में रिजर्व बैंक से लिया जाने वाला टैक्स, शुद्ध विदेशी ऋण और शुद्ध घरेलू ऋण शामिल होता है।


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