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Union Budget 2019: वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये देने का किया एलान

Budget 2019 Public sector banks को 70 हजार करोड़ रुपये और देने का एलान किया गया है। पिछले पांच वर्षो में देखे तो सरकार तकरीबन 2.30 लाख करोड़ रुपये सरकारी बैंकों को दे चुकी है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2019 10:35 AM (IST)
Union Budget 2019: वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये देने का किया एलान
Union Budget 2019: वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये देने का किया एलान

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करते हुए बैंकिंग क्षेत्र की जो तस्वीर पेश की है, उससे यही बात सामने आती है कि सरकारी बैंकों की हालत में सुधार हुआ है। लेकिन वह सुधार नाकाफी है। यही वजह है कि अभी भी खजाने से सरकारी बैंकों को चालू वित्त वर्ष में 70 हजार करोड़ रुपये और देने का एलान किया गया है। पिछले पांच वर्षो में देखे तो सरकार तकरीबन 2.30 लाख करोड़ रुपये सरकारी बैंकों को दे चुकी है।

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वित्त मंत्री ने इस बात पर अपनी सरकार की पीठ ठोकी है कि फंसे कर्जे (एनपीए) में एक लाख करोड़ रुपये की कमी हुई है और नए दिवालिया कानून (आइबीसी-इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड) से चार लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई है। लेकिन अभी भी कुल एनपीए (कुल अग्रिम के मुकाबले) 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का है। एनपीए कम होना शुरू जरूर हुआ है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इस समस्या से निजात पा लिया गया है। यह बात पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कई बार कही थी कि उन्हें विरासत में यूपीए सरकार से एक बेहद की कमजोर सरकारी बैंकिंग व्यवस्था मिली।

वित्त वर्ष 2018-19 के वित्तीय परिणाम बताते हैं कि देश के 14 प्रमुख सरकारी बैंकों को लगातार दूसरे वर्ष घाटा उठाना पड़ा है। जनवरी-मार्च, 2019 तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि अभी इन बैंकों को वापस मुनाफे की हालत में लौटने में वक्त लगने वाला है। बहरहाल, वित्त मंत्री का यह कहना कि घरेलू कर्ज की दर में 13.8 फीसद का इजाफा हुआ है, जो स्वागतयोग्य है।पिछले कुछ वर्षो से सरकारी बैंक नए एनपीए से इतने डरे हुए थे कि वे नया कर्ज ही नहीं दे रहे थे। वित्त मंत्री से उम्मीद थी कि वह सरकारी बैंकों के विलय का कोई रोडमैप देंगी। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है। वैसे पिछले कुछ वर्षो में आठ सरकारी बैंकों का विलय हुआ है।सरकारी बैंकों के ग्राहकों के बारे में आम बजट में यह कहा गया है कि उन्हें और ज्यादा सशक्त बनाया जाएगा।

नोटबंदी के दौरान यह देखने में आया था कि खाताधारक को पता नहीं है लेकिन उसके खाते में कोई दूसरा व्यक्ति पैसा जमा करा रहा है। इस तरह की कई घटनाओं का पर्दाफाश हुआ था और इसमें बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई थी। वित्त मंत्री ने कहा है कि इस बारे में ग्राहकों के अधिकार को ज्यादा सशक्त बनाया जाएगा। संभव है कि इस बारे में रिजर्व बैंक की तरफ से घोषणा हो। बैंक सेवा की तरफ भी वित्त मंत्री का ध्यान गया है। उन्होंने कहा है कि जीवन को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए बैंक ज्यादा से ज्यादा तकनीकी का इस्तेमाल करेंगे।

ऑनलाइन पसर्नल लोन बांटने का काम भी शुरू करेंगे और ग्राहकों को उनके घर पर जाकर बैंकिंग सेवा देने की परंपरा को और जोरशोर से लागू करेंगे। यह एक तरह से आने वाले दिनों में सरकारी बैंकों के कामकाज का रोडमैप है। बैंकों में गवर्नेस को लेकर भी एक वाक्य बोला गया है कि उसे और मजबूत बनाया जाएगा। जाहिर है कि जिस तरह से हाल के वर्षो में बैंकिंग फ्रॉड सामने आये हैं, उसे देखते हुए उम्मीद थी कि वित्त मंत्री बैंक गवर्नेस को लेकर ज्यादा विस्तार से बात करेंगी। बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाने को लेकर कोई भी वादा नहीं है।

एक करोड़ से ज्यादा निकासी पर टीडीएस

बैंक खाते से साल में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी करने पर दो फीसद का टीडीएस लगाने का प्रावधान किया गया है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बैंकिंग लेनदेन पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया था। लेकिन उसका इतना विरोध हुआ था कि हटाना पड़ा था। लेकिन इस बार राशि एक करोड़ रुपये की तय की गई है जिससे शायद इसका ज्यादा विरोध ना हो। कई अर्थविद तमाम टैक्स को समाप्त कर सिर्फ बैंकिंग लेनदेन पर टैक्स लगाने की बात करते हैं।


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